शासन व्यवस्था
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग बाइ सब्जेक्ट 2021
- 08 Mar 2021
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चर्चा में क्यों?
‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग बाइ सब्जेक्ट’ के नवीनतम संस्करण (11वें) के अनुसार, भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के 25 सब्जेक्ट को उनकी संबंधित विषय श्रेणियों में दुनिया के शीर्ष 100 में स्थान प्राप्त हुआ है।
प्रमुख बिंदु:
- क्वाक्वरेली साइमंड्स (QS): यह महत्त्वाकांक्षी पेशेवरों को उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित’ करने वाला एक प्रमुख ‘ग्लोबल कॅरियर और एजूकेशन नेटवर्क’ है।
- क्यूएस, संस्थानों की गुण वत्ता की पहचान करने के लिये तुलनात्मक डेटा संग्रह और विश्लेषण के तरीकों को विकसित करके उन्हें सफलतापूर्वक लागू करता है।
- क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स: इस यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स का प्रकाशन वार्षिक स्तर पर होता है जिसमें वैश्विक रूप से समग्र सब्जेक्ट रैंकिंग शामिल हैं।
- मूल्यांकन के लिये छह मापदंड और उनका वेटेज:
1. अकादमिक प्रतिष्ठा (40%)
2. नियोक्ता प्रतिष्ठा (10%)
3. संकाय/छात्र अनुपात (20%)
4. उत्कृष्टता प्रति संकाय (20%)
5. अंतर्राष्ट्रीय संकाय अनुपात (5%)
6. अंतर्राष्ट्रीय छात्र अनुपात (5%)
- मूल्यांकन के लिये छह मापदंड और उनका वेटेज:
- क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग बाइ सब्जेक्ट: इसके प्रदर्शन की गणना चार मापदंडों के आधार पर की जाती है-
1. अकादमिक प्रतिष्ठा
2. नियोक्ता प्रतिष्ठा
3. अनुसंधान प्रभाव (प्रति पेपर उत्कृष्टता)
4. किसी संस्थान के शोध संकाय की उत्पादकता।
शीर्ष प्रदर्शक:
- वैश्विक रूप से ‘मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी शीर्ष प्रदर्शक हैं, जबकि रूस तथा चीन ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।
भारत का प्रदर्शन:
- इसमें भारत के 52 भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के 51 अकादमिक विषयों के 253 कार्यक्रमों के प्रदर्शन पर स्वतंत्र आँकड़ों को प्रस्तुत किया गया।
- इस वर्ष शीर्ष 100 शीर्ष सब्जेक्ट रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों/संस्थानों की संख्या 8 से बढ़कर 12 हो गई है।
- 12 भारतीय संस्थान जिन्हें विश्व के शीर्ष 100 संस्थानों में स्थान मिला है- IIT बॉम्बे, IIT दिल्ली, IIT मद्रास, IIT खड़गपुर, IISC बंगलुरु, IIT गुवाहाटी, IIM बंगलुरु, IIM अहमदाबाद, JNU, अन्ना विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और ओपी जिंदल विश्वविद्यालय।
- IIT बॉम्बे ने किसी भी अन्य भारतीय संस्थान की तुलना में शीर्ष 100 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है
- एक को छोड़कर सभी 25 कार्यक्रम राज्य या संघ सरकार द्वारा संचालित संस्थानों में हैं। हालाँकि पिछले वर्ष यह संख्या 26 थी।
- विश्व स्तर पर स्थान प्राप्त 25 विषयों में से 17 भारतीय इंजीनियरिंग संस्थानों से संबंधित हैं। IIT-Madras के पेट्रोलियम इंजीनियरिंग कार्यक्रम ने भारतीय संस्थानों के कार्यक्रमों में सबसे अच्छा प्रदर्शन दर्ज किया- विश्व में 30वें स्थान पर।
- सरकार द्वारा संचालित इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (IoE) से संबंधित संस्थानों ने निजी संस्थानों की तुलना में रैंकिंग में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।
- ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने विधि (76वें) के लिये वैश्विक रूप से शीर्ष -100 में स्थान प्राप्त किया है। यह एक निजी IoE द्वारा शीर्ष-100 में प्राप्त एकमात्र स्थान है।
- IoE: यह 20 संस्थानों (सार्वजनिक क्षेत्र से 10 और निजी क्षेत्र से 10) को विश्व स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों के रूप में स्थापित करने तथा उन्हें अपग्रेड करने के लिये विनियामक ढाँचा प्रदान करने की सरकारी योजना है।
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, जीवन विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में शीर्ष 300 में एकमात्र संस्थान बना रहा, लेकिन इसका स्थान पहले से लगभग 10 स्थान कम हो गया।
विश्लेषण:
- भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है- उच्च गुणवत्ता वाली तृतीयक शिक्षा प्रदान करना। इस समस्या को पिछले वर्ष की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में पहचाना गया तथा वर्ष 2035 तक 50% सकल नामांकन अनुपात का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया।
- चिंता का एक कारण यह भी है कि 51 अकादमिक विषयों से संबंधित भारतीय कार्यक्रमों की संख्या वास्तव में पिछले वर्ष से कम हो गई है- 235 से 233।
- भारत के निजी रूप से संचालित ‘इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस’ के कई कार्यक्रमों ने इस वर्ष प्रगति की है, इन संस्थानों की सकारात्मक भूमिका से यह स्पष्ट होता है कि अच्छी तरह से विनियमित निजी संस्थान भी भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
- वैश्विक पर्यावरण विज्ञान अनुसंधान क्षेत्र में भारत सबसे आगे है। आँकड़े यह इंगित करते हैं कि भारत इस क्षेत्र में अनुसंधान के मामले में केवल जर्मनी, चीन, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद 5वें स्थान पर है।
- सुधार करने वाले राष्ट्रों और नहीं करने वाले राष्ट्रों के बीच समानताएँ (तीन कारक):
- पहला, एक अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण, संकाय निकाय और अनुसंधान के संदर्भ में बेहतर प्रदर्शन किया है।
- दूसरा, उभरते विश्वविद्यालयों को विशेष रूप से चीन, रूस और सिंगापुर के विश्वविद्यालयों को पिछले एक दशक में सरकारों द्वारा मज़बूत लक्षित निवेश प्राप्त हुआ है।
- तीसरा बेहतर रोज़गार, अनुसंधान और नवाचार परिणामों का उद्योग क्षेत्र के साथ संबंधों में सुधार देखा गया है।
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क:
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने सितंबर, 2015 में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की स्थापना की।.
- शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग करने के लिये कुछ विशेष मानक तय किये गए हैं। इन मानकों में आम तौर पर ‘शिक्षण, शिक्षा और संसाधन’ (Teaching, Learning and Resources), ‘अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास (Research and Professional Practices), ‘स्नातक परिणाम’ (Graduation Outcomes), ‘आउटरीच और समावेशिता’ (Outreach and Inclusivity) और ‘अनुभूति’ (Perception) आदि को शामिल किया जाता हैं।