खाद्य लेबल के लिये QR कोड | 01 Nov 2023
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य लेबल, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग (FOPL), त्वरित प्रतिक्रिया कोड, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016, खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020 मेन्स के लिये:भारत में खाद्य लेबल, खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योगों के लिये QR कोड का दायरा और महत्त्व, समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न मुद्दे |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने दृष्टिबाधित व्यक्तियों की पहुँच के लिये खाद्य उत्पादों पर QR कोड शामिल करने की सिफारिश की है, जिसमें कहा गया है कि इससे सभी के लिये सुरक्षित भोजन तक पहुँच सुनिश्चित होगी।
- FSSAI ने वर्ष 2019 में फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग (FOPL) का प्रस्ताव रखा, जो उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प चुनने के लिये सचेत और शिक्षित करने की एक प्रमुख रणनीति है।
QR कोड:
- त्वरित प्रतिक्रिया (Quick Response- QR) कोड एक प्रकार का द्वि-आयामी मैट्रिक्स बारकोड है जो विभिन्न प्रकार के डेटा को संग्रहीत कर सकता है, जैसे- अल्फान्यूमेरिक टेक्स्ट, वेबसाइट यूआरएल, संपर्क जानकारी आदि।
- इसका आविष्कार वर्ष 1994 में जापानी कंपनी डेंसो वेव द्वारा मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल के हिस्सों को ट्रैक व लेबल करने के उद्देश्य से किया गया था।
- QR कोड की विशेषता उसके विशिष्ट चौकोर आकार और सफेद पृष्ठभूमि पर काले वर्गों का एक पैटर्न है, जिसे QR कोड रीडर या स्मार्टफोन कैमरे का उपयोग करके स्कैन एवं भाषांतरित/इंटरप्रेट किया जा सकता है।
FSSAI की प्रमुख सिफारिशें:
- FSSAI के खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020:
- ये सिफारिशें FSSAI के खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020 के अनुरूप हैं।
- यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य निर्माता लेबलिंग आवश्यकताओं का पालन करें, जो खाद्य सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण के लिये आवश्यक हैं।
- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016:
- दृष्टिबाधित व्यक्तियों की पहुँच के लिये QR कोड को शामिल करने का यह कदम दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप है।
- यह समावेशिता और आवश्यक जानकारी तक समान पहुँच को बढ़ावा देता है।
- QR कोड द्वारा प्रदत्त जानकारी:
- QR कोड में उत्पाद से संबंधित व्यापक विवरण शामिल होगा, जिसमें सामग्री, पोषण जानकारी, एलर्जी संबंधी चेतावनी, विनिर्माण तिथि, तिथि से पहले/समाप्ति/उपयोग की सर्वोत्तम तिथि और ग्राहक पूछताछ के लिये संपर्क जानकारी आदि, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है।
- जानकारी तक पहुँच के लिये QR कोड को शामिल करना, संबंधित नियमों द्वारा निर्धारित उत्पाद लेबल पर अनिवार्य जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता को प्रतिस्थापित या अस्वीकार नहीं करता है।
सुरक्षित भोजन तक पहुँच से संबंधित वर्तमान चिंताएँ:
- भारत में मोटापा, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों जैसे- गैर-संचारी रोगों (NCD) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पिछले दो दशकों में NCD में वैश्विक वृद्धि देखी गई है।
- इन बीमारियों को आंशिक और आक्रामक रूप से आसानी से उपलब्ध सस्ते और प्री-पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की खपत एवं विपणन के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, जो उपभोक्ताओं के बीच तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
इसका महत्त्व:
- दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिये पहुँच:
- इन कोड्स को स्कैन करने के लिये स्मार्टफोन के एप्लीकेशन का उपयोग किया जा सकता है और उपयोगकर्त्ता पढ़ी गई जानकारी को सुन सकता है।
- यह गारंटी के साथ सुरक्षित भोजन तक समावेशिता और न्यायसंगत पहुँच को बढ़ावा देता है तथा सामान्य ग्राहकों के समान ही दृष्टिबाधितों की पहुँच खाद्य उत्पादों के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी तक सुनिश्चित करता है।
- विस्तृत जानकारी:
- QR कोड में प्रदान किये गए विवरण का स्तर सभी उपभोक्ताओं, जिनमें आहार संबंधी प्रतिबंध या एलर्जी वाले लोग भी शामिल हैं, को सूचित विकल्प चुनने का अधिकार देता है, ताकि प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं या स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सके।
- सूचित निर्णय लेना:
- उपभोक्ता निर्माताओं द्वारा किये गए दावों को तुरंत सत्यापित कर सकते हैं और ऐसे विकल्प चुन सकते हैं जो उनके स्वास्थ्य तथा आहार संबंधी आवश्यकताओं का समर्थन करते हैं।
- प्री-पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की पर्याप्तता वाले बाज़ारों में यह विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उपभोक्ता स्वस्थ और कम स्वस्थ विकल्पों के बीच अंतर कर सकते हैं।
- QR कोड के माध्यम से पोषण जानकारी और एलर्जी संबंधी चेतावनियाँ प्राप्त कर उपभोक्ता स्वस्थ खाद्य पदार्थ का चयन कर सकते हैं।
- वैश्विक महत्त्व:
- खाद्य उत्पादों पर QR कोड का उपयोग केवल भारत ही नहीं करता है बल्कि अमेरिका, फ्राँस और ब्रिटेन जैसे देश भी खाद्य उत्पादों पर QR कोड के प्रमुख उपयोगकर्त्ता हैं।
- यह वैश्विक रुझानों के अनुरूप है, क्योंकि उपभोक्ता अपने द्वारा खरीदी गई वस्तुओं के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिये QR कोड का अधिक-से-अधिक उपयोग करते हैं।
निष्कर्ष:
- भारत में खाद्य उत्पादों पर QR कोड को शामिल करना सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, उपभोक्ता संरक्षण और समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह खाद्य लेबलिंग में वैश्विक रुझानों के अनुरूप है तथा उपभोक्ताओं को उनकी आहार संबंधी प्राथमिकताओं के विषय में सूचित विकल्प चुनने का अधिकार देता है।
- यह पहल प्री-पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत और NCD में वृद्धि से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिये भारतीय अधिकारियों की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। |