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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ओपेक (OPEC) से अलग होगा क़तर

  • 04 Dec 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में क़तर ने तेल निर्यातक देशों के संगठन (Organization of Petrolium Exporting Countries- OPEC) अर्थात् ओपेक से जनवरी 2019 में अलग होने की घोषणा की है।

OPEC से कतर के अलग होने का कारण

  • OPEC से अलग होने का कारण सऊदी अरब द्वारा क़तर पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप भी हो सकता है लेकिन क़तर इस आरोप को बेबुनियाद बताता रहा है।
  • क़तर का कहना है की वह OPEC से इसलिये अलग हो रहा है क्योंकि वह प्राकृतिक गैस उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है।
  • कुछ विश्लेषकों ने OPEC से कतर के अलग होने के फैसले को सऊदी अरब के विरोध में राजनीतिक निर्णय माना है।

क़तर के इस फैसले का OPEC पर असर

  • संभवतः OPEC से कतर के अलग होने के फैसले का तेल की कीमत पर कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि यह तेल का अपेक्षाकृत छोटा उत्पादक है।

opec oil production

  • OPEC में तेल उत्पादन में कतर का 11वाँ स्थान है, अतः कहा जा सकता है कि OPEC में क़तर तेल के सबसे छोटे उत्पादकों में से एक है, तेल के सामूहिक उत्पादन में क़तर का योगदान 2% से भी कम है।

भारत-क़तर संबंध

  • अभी तक क़तर भारत के लिये एक OPEC सहयोगी देश ही रहा है। आने वाले समय में भारत और क़तर के बीच संबंधों में बदलाव आ सकता है क्योंकि क़तर विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस उत्पादक है। प्राकृतिक गैस के कुल वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 30% है।
  • जिस तरह से भारत में द्रवित प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ रहा है उसकी आपूर्ति के लिये भारत और क़तर के बीच बेहतर व्यापारिक संबंध स्थापित हो सकते हैं।
  • इसके अलावा यदि भविष्य में OPEC तेल उत्पादन और निर्यात में कटौती करने का फैसला लेता है तो भारत स्वतंत्र रूप से तेल आयात के लिये क़तर की ओर रुख कर सकता है।
  • लेकिन सऊदी अरब के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं और सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है। ऐसे में भारत के लिये आवश्यक है कि वह सोच-समझ कर कदम उठाए।

OPEC के बारे में

  • OPEC एक स्थायी, अंतर सरकारी संगठन है, जिसका गठन 10-14 सितंबर, 1960 को आयोजित बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला ने किया था।
  • इन पाँच संस्थापक सदस्यों के बाद इसमें कुछ अन्य सदस्यों को इसमें शामिल किया गया, ये देश हैं-
  • क़तर (1961), इंडोनेशिया (1962), लीबिया (1962), संयुक्त अरब अमीरात (1967), अल्जीरिया (1969), नाइजीरिया (1971), इक्वाडोर (1973), अंगोला (2007), गैबन (1975), इक्वेटोरियल गिनी (2017) और कांगो (2018)
  • इक्वाडोर ने दिसंबर 1992 में अपनी सदस्यता त्याग दी थी, लेकिन अक्तूबर 2007 में वह पुनः OPEC में शामिल हो गया।
  • इंडोनेशिया ने जनवरी 2009 में अपनी सदस्यता त्याग दी। जनवरी 2016 में यह फिर से इसमें सक्रिय रूप से शामिल हुआ, लेकिन 30 नवंबर, 2016 को OPEC सम्मेलन की 171वीं बैठक में एक बार फिर से इसने अपनी सदस्यता स्थगित करने का फैसला किया।
  • गैबन ने जनवरी 1995 में अपनी सदस्यता त्याग दी थी। हालाँकि, जुलाई 2016 में वह फिर से संगठन में शामिल हो गया।
  • अतः वर्तमान में इस संगठन में सदस्य देशों की संख्या 15 है तथा क़तर के अलग होने के बाद सदस्य देशों की संख्या 14 रह जाएगी।
  • OPEC के अस्तित्व में आने के बाद शुरुआत में पाँच वर्षों तक इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में था। 1 सितंबर, 1965 को इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियना में स्थानांतरित कर दिया गया था।

वैश्विक रूप से कच्चे तेल के उत्पादन में OPEC की हिस्सेदारी
opec

स्रोत : द हिंदू एवं OPEC वेबसाइट

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