ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने का प्रयास | 25 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
- अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने और रोज़गार के नए अवसर पैदा करने के लिये केंद्र सरकार मनरेगा, आवास एवं स्वयं सहायता समूहों जैसी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर विशेष ध्यान देगी। केंद्र सरकार के इस कदम का उद्देश्य कस्बाई और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी लाना है।
- विदित हो कि इन योजनाओं को गति देने से देश में, खासकर सुदूर क्षेत्रों में आर्थिक विकास और रोज़गार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि मनरेगा कार्यक्रम के तहत व्यय बढ़ाकर मांग में तेज़ी लाई जा सकती है।
वर्तमान प्रयास में क्या?
- विदित हो कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अतिरिक्त बजटीय समर्थन के रूप में मौजूदा वित्त वर्ष के लिये 17,000 करोड़ रुपए (कुल बजटीय प्रावधान 48,000 करोड़ रुपए के अलावा) की मांग की है। मंत्रालय इस रकम का इस्तेमाल अतिरिक्त लोगों को रोज़गार देने के साथ ही काम के दिन बढ़ाने में करेगा।
- इसके अलावा सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों के लिये ऋण प्रावधान बढ़ाना चाहती है। इससे रोज़गार के अवसर सृजित करने में आसानी होगी। वित्त वर्ष 2016-17 में इन समूहों के लिये 42,000 करोड़ रुपए के ऋण प्रावधान किये गए थे। केंद्र सरकार 2017-18 में इसे बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपए करना चाहती है।
- सरकार का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्ष्य आवास क्षेत्र में तेज़ी लाना है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत सरकार मार्च 2019 तक एक करोड़ मकान बनाना चाहती है। हालाँकि पिछले कुछ महीनों में इस दिशा में गतिविधियाँ तेज़ हुई हैं, जिससे सरकार को दिसंबर 2018 तक ही यह लक्ष्य पूरा हो जाने की उम्मीद है।
- गौरतलब है कि सरकार ने 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 2.07 करोड़ मकान बनाने का दीर्घकालीन लक्ष्य तय किया है।
क्यों आवश्यक है यह प्रयास?
- ग्रामीण विकास मंत्रालय को अतिरिक्त रकम की भी आवश्यता इसलिये होगी, क्योंकि बजट में जितनी रकम का प्रावधान किया गया है, वह 30 सितंबर तक समाप्त हो जाएगी।
- देश में मानसूनी बारिश एक समान नहीं रहने से विभिन्न हिस्सों में मनरेगा के तहत लोगों के लिये अतिरिक्त कार्यदिवस बढ़ाने की ज़रूरत पड़ सकती है, जिसके लिये अधिक राशि की दरकार होगी।
- साथ ही वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर कम होकर 5.7 प्रतिशत रह गई है, ऐसे में यह आवश्यक है कि इस संबंध में सरकार द्वारा प्रयास किया जाए।
- ग्रामीण आवास योजना के लिये 2017-18 में करीब 23,000 करोड़ रुपए का प्रावधान हुआ है, जिसका करीब 80 प्रतिशत हिस्सा 30 सितंबर तक समाप्त हो जाएगा। लक्ष्य बढऩे के साथ ही अतिरिक्त रकम की ज़रूरत भी होगी।
- हालाँकि ग्रामीण आवास कार्यक्रम के मद में रकम जुटाने के लिये सरकार के पास नाबार्ड से 10,000 करोड़ रुपए लेने का विकल्प मौजूद है, लेकिन बजटीय समर्थन के ज़रिये ऐसा करना अपेक्षाकृत आसान है।