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भारतीय अर्थव्यवस्था

क्रय शक्ति समता एवं भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार

  • 24 Jun 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

क्रय शक्ति समता , सकल घरेलू उत्पाद

मेन्स के लिये:

क्रय शक्ति समता सिद्धांत का महत्त्व एवं वैश्विक तथा क्षेत्रीय स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति

चर्चा में क्यों?

विश्व बैंक’ ने 'अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम’ (International Comparison Program- ICP) के तहत संदर्भ वर्ष 2017 के लिये नई ‘क्रय शक्ति समानताएँ’ (Purchasing Power Parities-PPPs) जारी की हैं, जो विश्व की अर्थव्यवस्थाओं में जीवन की लागत के अंतर को समायोजित करती हैं।

प्रमुख बिंदु:

  •  ‘अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम’ के वर्ष 2017 के इस चक्र में विश्व की 176 अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया ।
  • अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम, ‘संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकीय आयोग’ (UN Statistical Commission- UNSC) के दिशा-निर्देशन में विश्व में डेटा संग्रह की सबसे बड़ी पहल है।

क्रय शक्ति समता :

  • यह अंतर्राष्ट्रीय विनिमय का एक सिद्धांत है।
  • इसका अर्थ किन्हीं दो देशों के बीच वस्तु या सेवा की कीमत में मौजूद अंतर से लिया जाता है।
  • क्रय शक्ति समता के आधार पर  किसी देश की अर्थव्यवस्था के आकार का पता लगाया जा सकता है।
  •  क्रय शक्ति समता के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि दो देशों के बीच मुद्रा की क्रयशक्ति में कितना अंतर या फिर समता मौजूद है। 
  • क्रय शक्ति समता द्वारा मुद्रा विनिमय दर को तय किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकीय आयोग:

  •  यह राष्ट्रीय आँकड़ों के विकास को प्रोत्साहन देता है तथा उनको तुलना योग्य बनता है।
  • 20 अक्तूबर को विश्व सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है, इसकी शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी।
  •  इसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग द्वारा की गई थी। जिसे पॉँच वर्ष में एक बार मनाया जाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम का उद्देश्य: 

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व की अर्थव्यास्थों में क्रय शक्ति समानताओं का उत्पादन  करना है जो सभी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तुलना किये जाने के लिये, आर्थिक गतिविधियों के उपायों को रूपांतरित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • क्रय शक्ति समानता के साथ-साथ, अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम, मूल्य स्तर सूचकांकों (Price Level Indices- PLI) एवं जीडीपी व्यय के अन्य क्षेत्रीय तुलना योग्य समुच्चयों का भी उत्पादन करता है।

मूल्य स्तर सूचकांक:

  • मूल्य स्तर सूचकांक किसी अन्य देश के सापेक्ष दिये गए देश के मूल्य स्तर को वर्तमान नाम मात्र विनिमय दर से क्रय शक्ति समता (पीपीपी) को विभाजित करके व्यक्त करता है।
  • यह संकेतक एक सूचकांक के रूप में मापा जाता है।
  • वर्ष 1970 में 'अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम’ की शरुआत  के बाद से भारत लगभग सभी ICP चक्रों में शामिल हो चुका है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय भारत के लिये राष्ट्रीय कार्यान्वयन एजेंसी (NIA) है, जिसे ‘राष्ट्रीय तुलनात्मक कार्यक्रम’ गतिविधियों की योजना, समन्वय और कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी दी गई है। 
  • भारत को ICP के वर्ष 2017 चक्र के लिये ऑस्ट्रिया के साथ-साथ आईसीपी गवर्निंग बोर्ड का सह-अध्यक्ष बनने का गौरव भी हासिल होता रहा  है।

विश्वव्यापी स्थिति:

  • सकल घरेलू उत्पाद ( Gross Domestic Product- GDP) के स्तर पर प्रति डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपए की क्रय शक्ति समानता वर्ष 2017 में 20.65 है जो वर्ष 2011 में 15.55 रही थी। 
  • भारतीय रूपए की अमेरिकी डॉलर के साथ विनिमय दर समान वर्ष की इसी अवधि के 46.67 के तुलना में बढ़कर अब 65.12 पर है।
  •  इसके अनुसार ‘बाज़ार विनिमय दर’ (Market Exchange Rate) की क्रय शक्ति समानता का अनुपात-मूल्य स्तर सूचकांक (Price Level Index- PLI) का उपयोग भारत की अर्थव्यवस्था की कीमतों के स्तरों की तुलना करने के लिये किया जाता है जो वर्ष 2011 के 42.99 की तुलना में वर्ष 2017 में 47.55 है।

वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति: 

  • वर्ष 2017 में, भारत द्वारा PPP के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी वैश्विक स्थिति को बनाए रखा गया है जो क्रमशः चीन (16.4 प्रतिशत) एवं अमेरिका (16.3 प्रतिशत) की तुलना में PPP के लिहाज से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 6.7 प्रतिशत (वैश्विक रूप से कुल 119,547 बिलियन अमेरिकी डॉलर में से 8,051 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा।
  • भारत वैश्विक वास्तविक एकल उपभोग एवं वैश्विक सकल पूंजी निर्माण में अपनी क्रय शक्ति समता आधारित हिस्से के लिहाज से भी तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति:

  • वर्ष 2017 में, भारत ने विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी क्षेत्रीय स्थिति बनाए रखी जो पीपीपी के लिहाज से क्षेत्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 20.83 प्रतिशत (एशिया प्रशांत के कुल 232,344 बिलियन हांगकांग डॉलर में से 48,395 हांगकांग डॉलर) था ।
  • वही चीन 50.76 प्रतिशत के साथ प्रथम तथा इंडोनेशिया 7.49 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहा । 

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत की स्थिति:

  • भारत क्षेत्रीय वास्तविक एकल उपभोग एवं क्षेत्रीय सकल पूंजी निर्माण में अपने पीपीपी आधारित हिस्से के लिहाज से भी दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • भारतीय रुपए से हांगकांग डॉलर की विनिमय दर इसी अवधि की तुलना में 6.00 % से बढ़कर 8.36 % हो गई है।
  • वही भारत का मूल्य स्तर सूचकांक (Price Level Index-PLI ) वर्ष 2011 के 71.00 की तुलना में घटकर वर्ष 2017 में 64.00 रहा है।
    • अगली ICP तुलना संदर्भ वर्ष 2021 के लिये की जानी है ।

स्रोत: पीआईबी

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