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भारतीय राजनीति

सार्वजनिक स्वास्थ्य बनाम निजी जानकारी

  • 01 Apr 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण,  COVID-19, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, 

मेन्स के लिये:

COVID-19 के संदिग्धों की निजी जानकारी से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में COVID-19 के संदिग्धों की निजी जानकारी न केवल सोशल मीडिया पर पाई गई बल्कि कुछ राज्य सरकारों ने भी आधिकारिक रूप से डेटा का खुलासा किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • COVID-19 के संदिग्धों की निजी जानकारी का खुलासा करने से सार्वजनिक स्वास्थ्य, डॉक्टर-मरीज की गोपनीयता और निजता के अधिकार का हनन हो सकता है।
  • किसी राष्ट्रीय प्रोटोकॉल या कानून की अनुपस्थिति के कारण राज्य सरकारें COVID-19 से उत्पन्न समस्याओं से निपटने हेतु अलग-अलग उपाय अपना रही हैं।
  • कुछ राज्य नागरिकों को बेहतर जानकारी देने हेतु सार्वजनिक रूप से निजी जानकारी का खुलासा कर रहे हैं, वही अन्य राज्य गोपनीयता का सम्मान करते हुए ऐसा करने से बच रहे हैं।
  • कर्नाटक सरकार ने ऐसे लोगों की एक ज़िलेवार सूची प्रकाशित की है जिनको एकांत में रखा गया है। स्वास्थ्य और परिवार नियोजन विभाग की वेबसाइट पर एकांत में रखे गए लोगों का यात्रा विवरण और घर का पता मौजूद है।
  • दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक सहित कई अन्य राज्यों ने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि उन घरों के बाहर नोटिस चस्पा करे जहाँ व्यक्तियों को एकांत में रखा गया है।
  • हालाँकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने व्यक्तियों या अस्पतालों की पहचान का खुलासा नहीं किया है।

कानूनी परिप्रेक्ष्य:

  • चिकित्सा आचार संहिता के तहत, भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा निर्धारित नियम के अनुसार, उपचार के दौरान किसी विशेष परिस्थिति में रोगी से संबंधित जानकारी का खुलासा कर सकते हैं।
  • निगरानी के लिये स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों के अनुसार एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme) के तहत राज्य/ज़िला स्तर की निगरानी इकाइयों या किसी अन्य प्राधिकरण के साथ लोगों की निजी जानकारी साझा कर सकते है लेकिन इन दिशा-निर्देशों में रोगी के विवरण को सार्वजनिक रूप से साझा करने का कोई प्रावधान नहीं है।
  • महामारी अधिनियम, 1897 (Epidemic Act, 1897) और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (Disaster Management Act, 2005) के तहत किसी विकट समस्या से निपटने हेतु लोगों की भलाई के लिये की गयी कार्रवाई को कानूनी शक्ति प्रदत्त है लेकिन लोगों की निजी जानकारी को सार्वजनिक रूप से साझा करने का कोई कानून नही है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण

(National Disaster Management Authority):

  • यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिये एक सर्वोच्च निकाय है, जिसका गठन ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005’ के तहत किया गया था।
  • यह आपदा प्रबंधन के लिये नीतियों, योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों का निर्माण करने के लिये ज़िम्मेदार संस्था है, जो आपदाओं के वक्त समय पर एवं प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
  • भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इस प्राधिकरण की अध्यक्षता की जाती है।

समस्या:

  • सोशल मीडिया पर या लोगों के घर की दीवार पर उनके नाम और पता के साथ नोटिस चस्पा कर देने से परिवारों को शारीरिक या भावनात्मक संकट का खतरा हो सकता है।
  • नोटिस लगाने से आपातकाल में लोगों में ज्यादा दहशत भी पैदा हो सकती है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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