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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

'पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री' और इसकी उपयोगिता

  • 08 Nov 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस.एन. विश्वनाथन का कहना है कि एक ‘पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री’ (public credit registry-PCR) के आरंभ होने से डिजिटलीकरण की गति बढ़ेगी। विदित हो कि पीसीआर बनाने को लेकर आरबीआई ने हाल ही में एक कार्यदल का गठन किया था। यह पीसीआर कई कारणों से महत्त्वपूर्ण साबित होगा।

क्या है पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री (पीसीआर)?

  • पीसीआर क्रेडिट से संबंधित जानकारियों का एक विस्तृत डाटाबेस होगा जो सभी हितधारकों के लिये उपलब्ध रहेगा।
  • पीसीआर में ऋण की मांग करने वाले व्यक्ति से संबंधित सभी जानकारियाँ, जैसे- उसने पहले कितना ऋण लिया है, उसने समयानुसार ऋण चुका दिया है या नहीं? आदि एकत्र कर रखी जाएंगी।

कैसे होता है पीसीआर का प्रबंधन?

  • आमतौर पर पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री यानी पीसीआर का प्रबंधन केंद्रीय बैंक या बैंकिंग पर्यवेक्षक के हाथ में होता है।
  • कानूनी तौर पर कर्ज़दाताओं या कर्ज़दारों के लिये ऋण विवरणों की सूचना पीसीआर को देना अनिवार्य बना दिया जाता है।

पीसीआर के संभावित लाभ

  • ‘लोन डिफॉल्ट’ घटाने, ऋण लेने एवं देने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने और वित्तीय समावेश को प्रोत्साहित करने में पीसीआर की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
  • भारत में पारदर्शी और व्यापक ‘पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री’ बनाना समय की मांग भी है, क्योंकि आज बैंकों का एनपीए उल्लेखनीय रूप से बढ़ा हुआ है।
  • साथ ही इसका फायदा छोटे और मझोले कारोबारियों व उद्यमियों को भी मिलेगा और वित्तीय समावेश बढ़ेगा तथा कारोबार करना सुगम होगा।

निष्कर्ष

  • ऋण की मांग करने वालों के बारे में पता लगाने के लिये अब अलग-अलग तरह के डाक्यूमेंट्स जुटाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि ये सभी जानकारियाँ पीसीआर के ज़रिये उपलब्ध होंगी। इससे डिजिटलीकरण को बढ़ावा तो मिलेगा साथ ही इसके कई अन्य फायदे भी हैं।
  • यदि यह व्यवस्था भारत में लागू की जाती है, तो इससे बैंकों की ओर से क्रेडिट के आकलन और दर निर्धारण में मदद मिलेगी। इसके अलावा नियामकों के लिये निगरानी करना आसान बन जाएगा।
  • पीसीआर की सहायता से मौद्रिक नीतियों से भी संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ जुटाई जा सकती हैं, जैसे-इन नीतियाँ का ऋण बाज़ार पर क्या प्रभाव देखा जा रहा है? यदि ये नीतियाँ सही से काम नहीं कर रही तो बाधाएँ कहाँ पर हैं और उनका समाधान कैसे हो?
  • दरअसल, बड़े कर्ज़दारों को प्रायः ऋण बाजार में तरजीह दी जाती है और इसका कारण यह है कि उनकी ‘क्रेडिट हिस्ट्री’, ‘ब्रांड वैल्यू’ आदि के संबंध में जानकारियाँ आसानी से उपलब्ध होती है।
  • लेकिन, अब पीसीआर के बनने से छोटे व मझोले कारोबारियों और उद्यमियों की भी जानकारियाँ सुलभ उपलब्ध होंगी, ज़ाहिर है इन्हें फायदा मिलेगा।
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