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सार्वजनिक क्लाउड सेवाएँ

  • 22 Jun 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

गार्टनर (Gartner) द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं (Public cloud services) से 2.4 बिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है जो कि वर्ष 2018 में इन सेवाओं से प्राप्त राजस्व की तुलना में 24.3 प्रतिशत अधिक है।

प्रमुख बिंदु

  • यद्यपि क्लाउड सेवाओं से प्राप्त होने वाला भारत का राजस्व वर्ष 2019 में सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं से प्राप्त होने वाले कुल वैश्विक राजस्व का 1.2 प्रतिशत है, फिर भी भारत उन नौ देशों में से एक है, जिसकी विकास दर वैश्विक औसत विकास दर (16 प्रतिशत) से अधिक होगी।
  • वर्ष 2019 में भारत, चीन (33 फीसदी) और इंडोनेशिया (29 फीसदी) के बाद तीसरी सर्वाधिक विकास दर प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर है।
  • गार्टनर के अनुसार, ‘क्लाउड फर्स्ट' (cloud first) के स्थान पर ‘क्लाउड ओनली' (cloud only) मॉडल भारतीय संगठनों को सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं पर व्यय में वृद्धि हेतु प्रेरित कर रहा है ताकि वे अपनी डिजिटल व्यापार पहलों को विकसित कर सकें। "नए डेटा केंद्रों में विनिवेश भी इस कदम के शुरुआती संकेतों में से एक है।"
  • गार्टनर द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 34 प्रतिशत मुख्य निवेश अधिकारियों (Chief Investment Officers) द्वारा वर्ष 2019 में क्लाउड सेवाओं पर खर्च में वृद्धि किये जाने का अनुमान है। संगठन मौजूदा डेटा केंद्रों को समेकित कर और नए केंद्रों के निर्माण को बाधित कर पूंजीगत व्यय को कम करना चाहते हैं।
  • वर्ष 2019 में क्लाउड एप्लिकेशन सर्विसेज़ (Cloud application services- SaaS) भारत का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला बाज़ार का हिस्सा साबित हो सकती है, सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं के कुल राजस्व में इसका योगदान साल-दर-साल लगभग आधा रहने का अनुमान है।
  • SaaS का राजस्व वर्ष 2019 में बढ़कर 1.15 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। इसके बाद क्लाउड सिस्टम इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज़ (cloud system infrastructure services-IaaS) का खर्च आता है, जिसमें वर्ष 2019 के दौरान 22 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है ।

India Public Cloud Services

  • SaaS (Software as a Service) के उपयोग में वृद्धि ग्राहक संबंध प्रबंधन (Customer Relationship Management- CRM) पर अंतिम-उपयोगकर्त्ता व्यय में वृद्धि के कारण होती है भारत में विभिन्न संगठन COTS ( commercial off-the-shelf) और लाइसेंस आधारित OPS (on-premises software) से SaaS मॉडल की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं ताकि संगठन स्वयं को अधिक दक्ष, नवाचार के प्रति उन्मुख और लागत प्रभावी बना सकें।
  • भारत में डिजिटल प्लेटफार्म के उपयोग में वृद्धि भारतीय संगठनों को सुरक्षा पर अपने व्यय को बढ़ाने के लिये बाध्य कर रहा है, क्योंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म और नेटवर्क का उपयोग अपने साथ खतरों और जोखिमों में भी वृद्धि करते हैं।
  • गार्टनर की रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय संगठनों पर हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है यदि संगठन साइबर सुरक्षा के लिये एक रोडमैप को क्रियांवित नहीं करते हैं तो ऐसे हमलों में और भी वृद्धि की संभावना है।
  • एक मज़बूत साइबर सुरक्षा रोडमैप बनाने के हिस्से के रूप में, भारतीय संगठनों को देशी और अन्य साइबर सुरक्षा उपलब्ध करने वाले संगठनों की विशेषज्ञता का उपयोग करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, उन्हें अपने संगठनों में क्लाउड को सुरक्षित करने के लिये वेब एप्लिकेशन फायरवॉल (WAFs), क्लाउड एक्सेस सिक्योरिटी ब्रोकर्स (CASBs), क्लाउड वर्कलोड प्रोटेक्शन प्लेटफॉर्म (CWPPs) और माइक्रो सेगमेंटेशन प्लेटफॉर्म जैसे तकनीकों का भी उपयोग करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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