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नए दिवालियापन कानून को बाधित करने वाले प्रावधान अमान्य

  • 08 Sep 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

सर्वोच्च न्यायालय के एक खंडपीठ ने दिवालिया और दिवालियापन संहिता-2016 (Insolvency and Bankruptcy Code-2016) को 'कारोबार को आसान बनाने' में सुधार करने के उद्देश्य से एक प्रभावी कानूनी रूपरेखा बताते हुए कहा है कि नए दिवालियापन कानून को बाधित करने वाले राज्य के अधिनियमों के प्रावधानों को शून्य घोषित कर दिया जाएगा। 

क्या था मामला ? 

  • सर्वोच्च न्यायालय ने इन्नोवेंटिव इंडस्ट्रीज़ (Innoventive Industries) की एक अपील को खारिज़  करते हुए ऐसा कहा है। 
  • गौरतलब है कि इन्नोवेंटिव इंडस्ट्रीज़ ने आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) द्वारा दायर आईबीसी के तहत अपने विरुद्ध दिवालिया कार्यवाही को रोकने की अपील की थी। 
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 88 पन्नों के फैसले में कहा कि अगर आरोपि प्रबंधन अपने क़र्ज़ का भुगतान नहीं कर पाता है तो उसे प्रबंधन में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
  • इन्नोवेंटिव इंडस्ट्रीज़ ने दिवालिया और दिवालियापन संहिता की धारा 7 के तहत दिवालिया समाधान प्रक्रिया के विरुद्ध महाराष्ट्र रिलीफ अंडरटेकिंग्स (विशेष प्रावधान अधिनियम), 1958 (Maharashtra Relief Undertakings (Special Provisions Act) of 1958) का सहारा लिया था। 

क्या कहता है महाराष्ट्र रिलीफ अंडरटेकिंग्स,1958 कानून ?

  • महाराष्ट्र रिलीफ अंडरटेकिंग्स (विशेष प्रावधान अधिनियम), 1958 किसी कंपनी के विरुद्ध ऋण वसूली को अस्थायी तौर पर रोकता है तथा राज्य को संबंधित कंपनी के कर्मचारियों के रोज़गार के हित में कंपनी के कार्यों को ज़ारी रखने की अनुमति देता है।

इस बारे में संसदीय कानून क्या कहता है?

  • संसद ने इस बारे में नया दिवालिया और दिवालियापन संहिता- 2016 बनाया है। यह इस मामले में किसी भी राज्य के कानून से ऊपर है। 
  • राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलिएट अधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal) ने इस संसदीय कानून का हवाला देते हुए कहा था कि इन्नोवेंटिव  इंडस्ट्रीज़ का प्रबंधक दिवालिया और दिवालियापन संहिता के तहत प्रक्रिया ज़ारी रखने के विरुद्ध महाराष्ट्र के कानून से कोई लाभ नहीं ले सकते हैं तथा कोई भी बीमार प्रबंधन जो कंपनी के वित्तीय ऋण का भुगतान करने में सक्षम नहीं है प्रबंधन में बना नहीं रह सकता है। 

क्या है नए दिवाला और दिवालियापन संहिता में ?

  • नया दिवालिया और दिवालियापन संहिता- 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code-2016) आरोपी प्रबंधन के विरुद्ध शेयरधारकों, लेनदारों और कामगारों के हितों की सुरक्षा के लिये लाया गया है।
  • इसके प्रावधानों के तहत डिफॉल्ट के मामले में किसी बैंकिंग कंपनी को दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिये निर्देशों हेतु आरबीआई को प्राधिकृत करने के लिये 04 मई, 2017 को बैंकिंग नियमन संशोधन अधिसूचना 2017 लागू किया गया है।
  • यह अधिसूचना बाध्य होने के बावजूद परिसंपत्तियों के मामले में निर्देश देने का अधिकार भी रिज़र्व  बैंक को देता है। 
  • रिज़र्व बैंक के तहत आंतरिक निगरानी समिति बनाई गई है। 
  • इस समिति के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर पाँच कर दी गई है। 
  • पुनर्निर्धारित निगरानी समिति को 500 करोड़ रूपए से अधिक उधार के मामलों को सुलझाने के लिये  समीक्षा के अधिकार दिये गए हैं।
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