कोयला खनन को लेकर छत्तीसगढ़ में विरोध प्रदर्शन | 22 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:कोयला खदान, कोयला भंडार, कोयले का वर्गीकरण। मेन्स के लिये:कोयला खनन और पर्यावरण एवं स्थानीय समुदायों पर इसका प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ में अडानी एंटरप्राइज़ लिमिटेड (AEL) की कोयला खनन परियोजना द्वारा पर्यावरण और स्थानीय समुदायों पर इसके प्रभाव के कारण विवाद उत्पन हो गया है।
- AEL, छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले के परसा ईस्ट और कांटा बसन कोयला ब्लॉकों में पिछले एक दशक से भी अधिक समय से कोयले का खनन कर रहा है। इसका अनुबंध 30 वर्षों में प्रति वर्ष 15 मिलियन टन कोयला निकालने और आपूर्ति करने के लिये संचालन की अनुमति देता है।
- छत्तीसगढ़ के हरिहरपुर, घाटबर्रा और फतेहपुर गाँवों में ज़्यादातर गोंड जनजाति के स्थानीय लोग एक वर्ष से भी अधिक समय से खनन के खिलाफ हरिहरपुर के प्रवेश द्वार पर धरना दे रहे हैं।
खनन कार्यों के प्रभाव:
- पर्यावरण पर प्रभाव:
- इस क्षेत्र में खनन से हसदेव बेसिन में साल वनों के लगभग 8 लाख वृक्ष नष्ट हो जाएंगे। इससे हसदेव नदी का जलग्रहण क्षेत्र भी प्रभावित होगा।
- जिस समय खनन शुरू हो रहा था, उस समय वृक्षों को बचाने का प्रयास किया गया था। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने वर्ष 2014 में खनन के पर्यावरणीय प्रभाव पर अध्ययन का आदेश देते हुए खनन लाइसेंस पर रोक लगा दी थी। हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने NGT के आदेश को खारिज कर दिया और खनन कार्य शुरू हो गया।
- स्थानीय लोगों पर प्रभाव:
- खनन परियोजना ने स्थानीय लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चूँकि खदान ने वन भूमि को कम कर दिया है।
- हसदेव के वनों को बचाने के लिये 'हसदेव बचाओ अभियान' भी चलाया जा रहा है।
- खदानों से मवेशियों के चरागाह नष्ट हो गए हैं, भूजल स्तर प्रभावित हुआ है और विस्फोटों से बोरवेलों के आसपास की मृदा को ढीली हो गई है तथा लोग नलकूपों का उपयोग छोटे क्षेत्रों में खेती करने के लिये कर रहे हैं।
- खुदाई के बाद हरिहरपुर के पास बहने वाली नदी, जिसमें कभी वर्ष भर जल और मछलियाँ पाई जाती थीं, का जलग्रहण क्षेत्र प्रभावित हुआ है जिससे यह पंकिल धारा में परिवर्तित हो गई है।
- खनन परियोजना ने स्थानीय लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चूँकि खदान ने वन भूमि को कम कर दिया है।
कोयला:
- परिचय:
- यह एक प्रकार का जीवाश्म ईंधन है जो अवसादी शैलों के रूप में पाया जाता है और अक्सर इसे 'ब्लैक गोल्ड' के रूप में जाना जाता है।
- यह ऊर्जा का एक पारंपरिक स्रोत है और व्यापक रूप से उपलब्ध है। इसका उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में, लोहा और इस्पात, भाप इंजन जैसे उद्योगों में तथा विद्युत उत्पन्न करने के लिये किया जाता है। कोयले से निकलने वाली विद्युत् को ताप विद्युत् कहा जाता है। विश्व के प्रमुख कोयला उत्पादकों में चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, भारत शामिल हैं।
- भारत में कोयले का वितरण:
- गोंडवाना कोयला क्षेत्र (250 मिलियन वर्ष पुराना):
- भारत में गोंडवाना कोयले का कुल भंडार में 98% और उत्पादन में 99% की हिस्सेदारी है।
- यहाँ भारत के मेटलर्जिकल ग्रेड के साथ-साथ बेहतर गुणवत्ता वाला कोयला मिलता है।
- यह दामोदर (झारखंड-पश्चिम बंगाल), महानदी (छत्तीसगढ़-ओडिशा), गोदावरी (महाराष्ट्र) और नर्मदा घाटियों में विस्तृत है।
- टर्शियरी कोयला क्षेत्र (15-60 मिलियन वर्ष पुराना):
- इसमें कार्बन की मात्रा बहुत कम और नमी तथा सल्फर की मात्रा अधिक होती है।
- टर्शियरी कोयला क्षेत्र मुख्य रूप से बाह्य-प्रायद्वीपीय क्षेत्रों तक ही सीमित है।
- इसके महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में असम, मेघालय, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग क्षेत्र की हिमालय तलहटी, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व केरल शामिल हैं।
- गोंडवाना कोयला क्षेत्र (250 मिलियन वर्ष पुराना):
- वर्गीकरण:
- एन्थ्रेसाइट (80-95% कार्बन सामग्री) सीमित मात्रा में जम्मू-कश्मीर में पाया जाता है।
- बिटुमिनस (60-80% कार्बन सामग्री) झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश में पाया जाता है।
- लिग्नाइट (40-55% कार्बन सामग्री, उच्च नमी सामग्री) राजस्थान, लखीमपुर (असम) एवं तमिलनाडु में पाया जाता है।
- पीट [इसमें 40% से कम कार्बन सामग्री और कार्बनिक पदार्थ (लकड़ी) से कोयले में परिवर्तन के पहले चरण में प्राप्त होता है]।
- कोयला भंडार:
- भारत में कुल कोयला भंडार के मामले में शीर्ष राज्य झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. कोयले के वृहत् सुरक्षित भंडार होते हुए भी भारत क्यों मिलियन टन कोयले का आयात करता है? (2012)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, गोंडवाना चट्टानों को भारत की रॉक प्रणालियों में सबसे महत्त्वपूर्ण मानने का उपयुक्त कारण है? (2010) (a) भारत के 90% से अधिक चूना पत्थर के भंडार इन्हीं में पाए जाते हैं। उत्तर: (b) dमेन्सप्रश्न.प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017) |