लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

शासन व्यवस्था

ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास के विरुद्ध प्रदर्शन

  • 26 Nov 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

ब्रू जनजाति और उनकी अवस्थिति, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTGs)

मेन्स के लिये

नृजातीय संघर्ष से उत्पन्न आंतरिक सुरक्षा की समस्या

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, उत्तरी त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में ब्रू आदिवासियों के लिये प्रस्तावित पुनर्वास को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन देखे गए।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि

  • ब्रू समुदाय भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक जनजातीय समूह है, जो कि मुख्य तौर पर त्रिपुरा, मिज़ोरम और असम में निवास करते हैं। इस जनजातीय समूह को त्रिपुरा में, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTGs) के रूप में मान्यता दी गई है।
    • ब्रू समुदाय स्वयं को म्याँमार के शान प्रांत का मूल निवासी मानता है, इस समुदाय के लोग सदियों पहले म्याँमार से आकर भारत में बस गए थे।
  • यद्यपि मिज़ोरम में इस जनजातीय समूह के लोगों को संख्या काफी अधिक है, किंतु वहाँ एक वर्ग विशेष इस जनजातीय समूह को राज्य के निवासी के रूप में स्वीकार नहीं करता है और अक्सर इस धारणा के कारण ब्रू समुदाय के लोगों को लक्षित किया जाता है।
  • वर्ष 1997 में हिंसक जातीय झड़पों के बाद ब्रू समुदाय के लगभग 37,000 लोग मिज़ोरम के मामित कोलासिब और लुंगलेई ज़िलों से भागकर त्रिपुरा आ गए थे और उन्हें त्रिपुरा के राहत शिविरों में रखा गया था।
  • तब से आठ चरणों में लगभग 5,000 लोग मिज़ोरम लौट गए हैं, जबकि तकरीबन 32,000 लोग अब भी उत्तरी त्रिपुरा के राहत शिविरों में निवास कर रहे हैं।
  • 16 जनवरी, 2020 को केंद्र सरकार, त्रिपुरा तथा मिज़ोरम की राज्य सरकारों व ब्रू समुदाय के प्रतिनिधियों के मध्य ब्रू शरणार्थियों से जुड़ा एक चतुर्पक्षीय समझौता हुआ था। 

 वर्ष 2020 का चतुर्पक्षीय समझौता

  • इस समझौते में लगभग 32 हज़ार ब्रू शरणार्थियों को त्रिपुरा में ही बसाए जाने की बात की गई थी, साथ ही इस समझौते में ब्रू शरणार्थियों को सीधे सरकारी तंत्र से जोड़कर राशन, यातायात, शिक्षा आदि की सुविधा प्रदान कर उनके पुनर्वास में सहायता करने का प्रावधान भी किया गया था।
  • जनवरी 2020 में हुए चतुर्पक्षीय समझौते के बाद त्रिपुरा में 300 परिवारों के साथ छह ज़िलों में 12 पुनर्वास स्थलों की योजना बनाई गई है।
  • केंद्र सरकार ने इस कार्य के लिये 600 करोड़ रूपए के वित्तपोषण के साथ एक विशेष विकास परियोजना की भी घोषणा की है।
  • समझौते के तहत विस्थापित परिवारों को 0.03 एकड़ का आवासीय प्लाॅट दिया जाएगा। साथ ही प्रत्येक विस्थापित परिवार को घर बनाने के लिये 1.5 लाख रुपए की नकद सहायता भी जाएगी। साथ ही ब्रू परिवारों को जीविका के लिये 4 लाख रूपए की एकमुश्त नकद राशि तथा दो वर्षों तक प्रतिमाह 5 हज़ार रुपए और निःशुल्क राशन भी प्रदान किया जाएगा।

विरोध का कारण

  • वर्ष 2020 में हुए चतुर्पक्षीय समझौते के कारण त्रिपुरा के बंगाली और मिज़ो समुदाय के लोगों के बीच असंतोष उत्पन्न हो गया, जिससे राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
  • इस समझौते का विरोध करने वाले समूहों का दावा है कि उत्तरी त्रिपुरा ज़िले में स्थायी रूप से हज़ारों ब्रू शरणार्थियों को बसाने से इस क्षेत्र में जनसांख्यिकीय असंतुलन, स्थानीय संसाधनों पर अत्यधिक दबाव और कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याएँ पैदा हो जाएंगी।
  • इस क्षेत्र में रहने वाले बंगाली और मिज़ो समुदाय के लोगों का आरोप है कि उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर के आसपास के क्षेत्रों में 650 बंगाली परिवार और जम्पुई हिल (Jampui Hill) रेंज के आसपास के क्षेत्रों से लगभग 81 मिज़ो परिवार, ब्रू समुदाय के अत्याचारों के कारण किसी अन्य स्थान पर चले गए थे, उन्हें अभी तक दो दशक बाद भी बसाया नहीं गया है।

ब्रू जनजाति की स्थिति 

  • ब्रू जनजाति के पुनर्वास की योजना को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण समुदाय के लोगों में एक डर और अनिश्चितता है, क्योंकि इन विरोध प्रदर्शनों के कारण समुदाय के लोगों को सामाजिक-आर्थिक स्तर पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • इस माह ब्रू शरणार्थियों को राहत पैकेज के तहत निर्धारित खाद्यान्न भी प्राप्त नहीं हुआ है और यदि भविष्य में भी ये विरोध प्रदान जारी रहते हैं तो उन लोगों के लिये परिस्थितियाँ और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2