बाज़ार अस्थिरता से निवेशकों की सुरक्षा | 14 Feb 2023
प्रिलिम्स के लिये:बाज़ार अस्थिरता, सेबी, सर्वोच्च न्यायालय, आरबीआई। मेन्स के लिये:बाज़ार अस्थिरता से निवेशकों की सुरक्षा। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) तथा सरकार से भारतीय मध्यम वर्ग के निवेशकों की सुरक्षा के लिये मौजूदा नियामक ढाँचे के बारे में पूछा।
- अडानी समूह पर अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा स्टॉक में हेर-फेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है।
- इससे पहले अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में गिरावट के बाद तेज़ी से बाज़ार में अस्थिरता के कारण कई छोटे निवेशकों को लाखों करोड़ का नुकसान हुआ था।
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी:
- शेयर बाज़ार केवल "उच्च मूल्य निवेशकों" के लिये नहीं है, बल्कि यह अब एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ वित्तीय और कर व्यवस्थाओं में बदलाव के कारण मध्यम वर्ग का एक बड़ा समूह निवेश कर रहा है।
- इसलिये अन्य क्षेत्रों की तरह यहाँ भी सर्किट ब्रेकर की आवश्यकता है, ताकि बाज़ार में अस्थिरता के कारण अधिक नुकसान न हो।
- शेयर बाज़ार पूरी तरह से विश्वास पर चलता है, पूंजी में निर्बाध रूप से वृद्धि देखी जा रही है, भारत में और भारत से बाहर धन का प्रवाह हो रहा है, जिससे भारतीय निवेशकों की सुरक्षा के लिये मज़बूत तंत्र बनाना अनिवार्य हो गया है।
बाज़ार अस्थिरता:
- परिचय:
- शेयर बाज़ार कभी-कभी तेज़ और अप्रत्याशित मूल्य संचलन का अनुभव करते हैं, जो नीचे या ऊपर हो सकता है। इस प्रवृत्ति को अक्सर "अस्थिर बाज़ार" के रूप में जाना जाता है और यह दिनों, हफ्तों या महीनों की अवधि में हो सकता है।
- कारण:
- चौंकाने वाली आर्थिक खबर जो निवेशकों की अपेक्षाओं से भिन्न है।
- मौद्रिक नीति में अचानक बदलाव, जैसे कि फेडरल रिज़र्व ने योजनाओं की घोषणा की।
- अप्रत्याशित चुनाव परिणामों सहित राजनीतिक घटनाक्रम, एक घटना जैसे कि सरकारी शटडाउन या अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये बनाए गए प्रमुख कानून का पारित होना।
- भू-राजनीतिक घटनाएँ जैसे कि सैन्य संघर्ष का प्रारंभ या शक्तिशाली देशों के बीच तनाव बढ़ना जिसके आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं।
- बाज़ार से संबंधित विशिष्ट घटनाएँ, जैसे कि स्टॉक का ओवरवैल्यूड होना।
- ऐसा वर्ष 2000 में हुआ था जब ओवरवैल्यूड "डॉट-कॉम" शेयरों को अचानक बिकवाली का सामना करना पड़ा जिससे निवेशक चिंतित हो गए क्योंकि कीमतें कंपनी के आधारभूत सिद्धांतों से आगे निकल गई थीं।
बाज़ार की अस्थिरता से कैसे निपटा जा सकता है?
- मौद्रिक नीति:
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अर्थव्यवस्था में मुद्रा और ऋण की आपूर्ति को प्रभावित करने के लिये ब्याज दरों को समायोजित कर सकता है, जिसका बाज़ार की धारणा और स्थिरता पर असर पड़ता है। शेयर बाज़ार तथा ब्याज दरों के बीच बिपरीत संबंध है।
- उदाहरण के लिये दर में कटौती से निवेशकों की चिंताओं का समाधान और बाज़ार के प्रति विश्वास बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
- राजकोषीय नीति:
- सरकारें आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और प्रभावित उद्योगों और व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने के लिये कर कटौती, खर्च में वृद्धि तथा लक्षित सब्सिडी जैसे राजकोषीय उपायों का उपयोग कर सकती हैं।
- नियामक उपाय:
- सरकारें और नियामक प्राधिकरण वित्तीय बाज़ारों में पारदर्शिता एवं स्थिरता बढ़ाने के उपाय पेश कर सकते हैं।
- कंपनियों के लिये प्रकटीकरण (Disclosure) आवश्यकताएँ, वित्तीय संस्थानों के लिये सख्त मानक और हेज फंड तथा अन्य सट्टा निवेशकों की अधिक निगरानी इसमें शामिल हो सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- एक वैश्वीकृत वित्तीय प्रणाली में अचानक बाज़ार की अस्थिरता सीमाओं के पार तेज़ी से फैल सकती है।
- केंद्रीय बैंकों और नियामक प्राधिकरणों के मध्य समन्वय, बाज़ार की अस्थिरता के प्रभाव को कम करने और वित्तीय संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है।
- वित्तीय शिक्षा और साक्षरता:
- जनता के बीच वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को प्रोत्साहित करने से बाज़ार की अटकलों, जोखिम को कम करने और समग्र वित्तीय स्थिरता में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
- विविधता:
- विभिन्न संपत्तियों और बाज़ारों में निवेश कर निवेशक अपने पोर्टफोलियो पर बाज़ार की अस्थिरता के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
निवेशकों की सुरक्षा हेतु उपाय:
- निवेशक सुरक्षा कानून सेबी अधिनियम की धारा 11(2) के तहत लागू किया गया है। उपाय इस प्रकार हैं:
- स्टॉक एक्सचेंज और अन्य प्रतिभूति बाज़ार व्यापार विनियमन।
- म्यूचुअल फंड और वेंचर कैपिटल फंड जैसी निवेश योजनाओं को पंजीकृत करना तथा उनके कामकाज़ को विनियमित करना।
- स्व-नियामक कंपनियों का संवर्द्धन और नियंत्रण।
- निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (IEPF):
- भारत सरकार ने 1956 के कंपनी अधिनियम के तहत निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष की स्थापना की।
- इस अधिनियम के अनुसार, जिस कंपनी ने व्यवसाय क्षेत्र में सात वर्ष पूरे कर लिये हैं, उसे IEPF के माध्यम से सभी लावारिस फंड लाभांश (Unclaimed Fund Dividends), परिपक्व जमा (Matured Deposits) और डिबेंचर, शेयर आवेदन धनराशि (Share Application Money) आदि को सरकार को सौंप देना चाहिये।
- निवेशक सुरक्षा कोष:
- वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किये गए निवेशक सुरक्षा के नियमों के अनुपालन में इंटरकनेक्टेड स्टॉक एक्सचेंज (ISE) ने एक्सचेंज सदस्यों (मध्यस्थों), जिन्होंने भुगतान करने में चूक की अथवा भुगतान करने में विफल रहे, से निवेशक दावों को कवर करने के लिये निवेशक सुरक्षा कोष (IPF) की स्थापना की।
पूंजी बाज़ार:
- पूंजी बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ स्टॉक और बॉण्ड जैसी प्रतिभूतियाँ खरीदी तथा बेची जाती हैं।
- यह कंपनियों, सरकारों और अन्य संस्थाओं को प्रतिभूतियों को जारी करके पूंजी जुटाने के लिये तथा निवेशकों को रिटर्न प्राप्त करने की उम्मीद के साथ इन प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- पूंजी बाज़ार को दो मुख्य खंडों में विभाजित किया जा सकता है, प्राथमिक बाज़ार और द्वितीयक बाज़ार।
- प्राथमिक बाज़ार वह है जहाँ नई प्रतिभूतियाँ जारी की जाती हैं और सीधे निवेशकों को बेची जाती हैं।
- द्वितीयक बाज़ार वह है जहाँ पहले से जारी की गई प्रतिभूतियों को निवेशकों के बीच खरीदा तथा बेचा जाता है।
- बचतकर्त्ताओं और उधारकर्त्ताओं में सामंजस्य स्थापित कर तथा पूंजी के प्रवाह को उसके सबसे अधिक उत्पादक उपयोग की सुविधा देकर पूंजी बाज़ार अर्थव्यवस्था के कामकाज़ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पूंजी बाज़ार भी निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने, जोखिम का प्रबंधन करने तथा संभावित रूप से उच्च रिटर्न अर्जित करने का अवसर प्रदान करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन विदेशी निवेशकों, जो स्वयं को सीधे पंजीकृत कराए बिना भारतीय स्टॉक बाज़ार का हिस्सा बनना चाहते हैं, निम्नलिखित में से क्या जारी किया जाता है? (2019) (a) जमा प्रमाण पत्र उत्तर: (d) |