बेनामी अधिनियम के तहत अभियोजन का मामला फिर अटका | 03 Aug 2018
चर्चा में क्यों?
बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम के तहत दाखिल किये गए लगभग 100 स्थायी मामलों में वांछित अभियुक्तों के अभियोजन का मामला लटक गया है क्योंकि इस उद्देश्य के लिये अधिनियम में प्रावधानित देश भर में विशेष अदालतों की स्थापना अभी तक नहीं की जा सकी है।
प्रमुख बिंदु
- इस कानून के तहत 5000 करोड़ रुपए से अधिक की बेनामी परिसंपत्तियों को आयकर विभाग द्वारा कुर्क किया गया है।
- अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार अधिसूचना के माध्यम से विशेष अदालतों की स्थापना करेगी।
- ऐसी अदालतों का गठन यह सुनिश्चित करने के लिये किया जाना चाहिये कि ऐसे मामलों का विचारण "यथासंभव शीघ्रता से" किया जा सके।
- अधिनियम में कहा गया है, "शिकायत दर्ज करने की तारीख से छह महीने के भीतर ऐसे मामलों का विचारण समाप्त करने के लिये विशेष अदालतों द्वारा हरसंभव प्रयास किया जाएगा।"
- आवश्यक विशेष अदालतों को अभी तक स्थापित नहीं किया गया है। इसलिये विभिन्न राज्यों में आई-टी विभाग द्वारा लगभग 100 मामलों की जाँच पूरी करने तथा निर्णयन प्राधिकारी द्वारा संपत्तियों को कुर्क किये जाने की पुष्टि के बावजूद आरोपियों के विरुद्ध विचारण शुरू नहीं हुआ है।