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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

फैक्ट्री अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध

  • 15 Feb 2017
  • 3 min read

सन्दर्भ
गौरतलब है कि हाल ही में बारह मज़दूर संगठनों ने केन्द्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय से मिलकर फैक्ट्री अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध किया है। मज़दूर संगठनों का कहना है कि सरकार मज़दूरों के हितों की अनदेखी कर रही है, और मज़दूरों संगठनों से समुचित तरीके से सलाह-मशविरा भी नहीं कर रही है।

क्यों है विवाद?

  • विदित हो कि इन बारह मज़दूर संगठनों की ओर से श्री दत्तात्रेय को दिये गये ज्ञापन में कहा गया है कि फैक्ट्री अधिनियम में मज़दूरों की सीमा संख्या को 20 से बढ़ाकर 40 किये जाने का प्रस्ताव किया गया है, जो उचित नहीं है। इस सीमा को हटाया जाना चाहिये।
  • इसके अलावा ज्ञापन में लाइसेंसिंग के मौजूदा प्रावधानों को बरकरार रखने, फैक्ट्रीज अधिनियम, 1948 में बालक, किशोर और युवा की मौजूदा परिभाषा को कायम रखने और काम के घंटे बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव को हटाने की भी मांग की गई है।

 क्या है फैक्ट्री (संशोधन) विधेयक, 2016?

  • 10 अगस्त, 2016 को लोकसभा द्वारा पारित कारखाना (फैक्ट्री संशोधन विधेयक), 2016 के तहत कारखाना (फैक्ट्री) अधिनियम, 1948 में संशोधन किया जायेगा, जो श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण जैसे विषयों से संबंधित मुद्दों को विनियमित करता है।
  • यह अधिनियम राज्य सरकार को विभिन्न विषयों के संबंध में नियम बनाने की अनुमति प्रदान करता है, जैसे-दोहरा रोजगार, कारखाने के रजिस्टर में व्यस्क श्रमिकों के विवरणों को सम्मिलित करना तथा विशेष प्रकार के काम करने वाले श्रमिकों को अधिनियम के प्रावधानों से छूट प्रदान करने संबंधी शर्तें, इत्यादि।
  • विधेयक में  ओवरटाइम कार्यावधि के लिये भी नियम बनाये गए हैं| विधेयक के अनुसार एक तिमाही के लिये ओवरटाइम की कुल समयावधि 50 घंटों से अधिक नहीं होनी चहिये। उल्लेखनीय है कि इस विधेयक के तहत एक तिमाही में ओवर टाइम की समयावधि को 50 घंटे से बढ़ाकर 100 घंटे कर दिया गया है।
  • हालाँकि यदि किसी कारखाने में काम का अत्यधिक दबाव है तो यह विधेयक एक तिमाही में ओवर टाइम काम करने की समयावधि को 75 घंटे से बढ़ाकर 115 घंटे करने की अनुमति भी प्रदान करता है।

निष्कर्ष

श्रमिक वर्ग देश के विकास में अहम् भूमिका तो निभाता ही हैं, साथ में वह सामाजिक सुरक्षा प्रदान किये जाने का भी हकदार है, अतः फैक्ट्री अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन को इन कसौटियों पर परखे जाने की आवश्यकता है।

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