सोशल मीडिया शिकायत के लिये अपीलीय समितियों का प्रस्ताव | 03 Jun 2022
प्रिलिम्स के लिये:शिकायत अपीलीय समिति, आईटी नियम, 2021। मेन्स के लिये:आईटी नियम, 2021 में संशोधन की आवश्यकता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत सरकार द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में अपीलों की सुनवाई के लिये 'शिकायत अपीलीय समितियों' के गठन का प्रस्ताव रखा गया है।
शिकायत अपीलीय समितियांँ:
- परिचय:
- आईटी नियम, 2021 में प्रस्तावित संशोधनों के मसौदे के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा एक या एक से अधिक 'शिकायत अपीलीय समितियों' का गठन किया जाएगा।
- अपीलीय समितियांँ सोशल मीडिया मध्यस्थ द्वारा नियुक्त शिकायत अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध प्रयोक्ताओं की अपीलों पर कार्रवाई करेंगी।
- इस समिति में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल होंगे।
- कार्य:
- सोशल मीडिया नेटवर्क द्वारा नियुक्त शिकायत अधिकारी के आदेश से प्रभावित कोई भी व्यक्ति शिकायत अधिकारी से सूचना प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर शिकायत अपील समिति में अपील कर सकता है।
- शिकायत अपील समिति ऐसी अपील पर तेज़ी से कार्रवाई करेगी और अपील की प्राप्ति की तारीख से 30 कैलेंडर दिनों के भीतर अंतिम रूप से अपील का निपटान करने का प्रयास करेगी।
- शिकायत अपील समिति द्वारा पारित प्रत्येक आदेश का अनुपालन संबंधित मध्यस्थ द्वारा किया जाएगा।
शिकायत अपीलीय समितियों की आवश्यकता:
- वर्ष 2021 में ‘कंटेंट मॉडरेशन एंड टेकडाउन’ को लेकर सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बीच कई गतिरोध उत्पन्न हुए।
- सरकारी आदेशों के बाद किसान आंदोलन के समर्थन में संदेश पोस्ट करने वाले समाचार वेबसाइटों, अभिनेताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और ब्लॉगर्स के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया।
- जैसे-जैसे भारत में इंटरनेट का तेज़ी से विस्तार हो रहा है, सरकारी नीतियों से संबंधित नए मुद्दे भी सामने आते रहते हैं। अतः ऐसे मुद्दों से निपटने के लिये कमियों को दूर करना आवश्यक हो जाता है।
आईटी नियम, 2021:
- परिचय:
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम सरकार द्वारा 2021 में अधिसूचित किये गए थे।
- मुख्य विशेषताएंँ:
- भारत में पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ एक अधिसूचित सीमा से ऊपर सोशल मीडिया मध्यस्थों को महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों (SSMI) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- SSMI को अनुपालन कर्मियों को नियुक्त करने, सूचना के पहले प्रवर्तक की पहचान को सक्षम करने और सामग्री की पहचान के लिये प्रौद्योगिकी-आधारित उपायों को लागू करने की आवश्यकता होती है।
- सभी मध्यस्थों को उपयोगकर्ताओं या पीड़ितों की शिकायतों के समाधान के लिये शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करना आवश्यक है।
- समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री के ऑनलाइन प्रकाशकों के साथ-साथ ‘क्यूरेटेड ऑडियो-विज़ुअल’ सामग्री के विनियमन के लिये एक रूपरेखा निर्धारित की है।
- प्रकाशकों के लिये स्व-नियमन के विभिन्न स्तरों के साथ एक त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र निर्धारित किया गया है।
- प्रमुख मुद्दे:
- नियम कुछ मामलों में आईटी अधिनियम, 2000 के तहत प्रत्यायोजित शक्तियों से परे जा सकते हैं, जैसे SSMI और ऑनलाइन प्रकाशकों के विनियमन और कुछ मध्यस्थों को जानकारी के पहले प्रवर्तक की पहचान करने की आवश्यकता होती है।
- ऑनलाइन सामग्री को प्रतिबंधित करने के आधार व्यापक हैं जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकते हैं।
- मध्यस्थों के पास से सूचना प्राप्त करने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय नहीं हैं।
- इसके मंच पर सूचना के पहले प्रवर्तक की पहचान को सक्षम करने के लिये संदेश सेवाओं की आवश्यकता व्यक्तियों की गोपनीयता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
विगत वर्ष के प्रश्न(PYQs):प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: D व्याख्या:
अतः विकल्प D सही है। |