जैव विविधता और पर्यावरण
5G के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले संभावित दुष्प्रभाव
- 29 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में देश के कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने 5G प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं के लिये स्पेक्ट्रम की नीलामी के पहले सरकार से इसके दुष्प्रभावों के जाँच की माँग रखी है।
5G अपील (5G Appeal):
- भारत में जिस प्रकार वैज्ञानिक समुदाय 5G का विरोध कर रहा है, इसी प्रकार यूरोप में भी 244 वैज्ञानिकों द्वारा 5G का 5G अपील नाम से ऑनलाइन विरोध किया जा रहा है।
- ये वैज्ञानिक 5G की शुरुआत को तब तक टालने की माँग कर रहे हैं, जब तक कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसके संभावित खतरों की जाँच स्वतंत्र वैज्ञानिकों द्वारा नहीं कर ली जाती।
5G तकनीक और इसका दुष्प्रभाव
- वायरलेस तकनीक सिग्नल भेजकर काम करती है, जो ऊर्जा तरंगों के रूप में प्रसारित होती है। तरंगों द्वारा प्रति सेकंड उत्पन्न उभार (ऊपर जाने-Crests) और गर्त (नीचे आने-Trough) को इसकी आवृत्ति (Frequency) कहते हैं, आवृत्ति को हर्ट्ज़ (Hertz) के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- वर्ष 1991 में 2G से लेकर वर्ष 2008 तक 4G तकनीकों द्वारा तरंगों की आवृत्तियों में 2.5 गीगाहर्ट्ज़ की बढ़ोत्तरी देखी गई,
- इस 5G तकनीक में 90 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्तियों का प्रयोग किया जाएगा। 5G में एक 3D मूवी को 3 मिनट में डाउनलोड किया जा सकेगा।
- 3G और 4G के क्रियान्वयन के समय भी वैज्ञानिक समुदाय द्वारा विरोध किया गया था, लेकिन इस बार विरोध के स्वर कुछ ज़्यादा ही तीक्ष्ण हैं।
- 5G तकनीक का प्रयोग करने वाले क्षेत्रों में अभी तक कई जानवरों और पक्षियों की मौत हो चुकी है। अभी तक इन मौतों की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नही हुई है, लेकिन इस प्रकार की संभावनाओं से पूर्णतः इंकार भी नही किया जा सकता।
- विकिरण दो प्रकार के होते हैं- आयनीकृत और गैर-आयनीकृत। गामा किरणें और एक्स किरणें आयनीकृत हैं और हमारे शरीर में परमाणु विकिरण छोड़ती हैं और जो अंततः कैंसर का कारण बनता है। इसके विपरीत TV सेट्स से निकलने वाली तरंगें तथा प्रकाश तरंगें गैर-आयनीकृत होती हैं, जिनका स्वास्थ्य पर कोई व्यापक दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है।
निष्कर्षतः
वैज्ञानिकों की माँगों को नज़रअंदाज़ नही किया जाना चाहिए, अन्यथा 5G के दुष्परिणाम भविष्य में विनाशकारी भी हो सकते हैं। इसलिये एक सरकार को रोडमैप बनाकर ही स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू करनी चाहिये।