प्रोजेक्ट सहारा | 30 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
अहमदाबाद ज़िला प्रशासन द्वारा शुरू की गई पहल ‘प्रोजेक्ट सहारा’ (Project sahara) से प्रसवोत्तर रक्तस्राव (Postpartum Haemorrhage-PPH) के कारण मातृ मृत्यु को कम करने में मदद मिली है।
प्रमुख बिंदु
- इस परियोजना के तहत ज़िले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को नॉन-न्यूमेटिक एंटी-शॉक गारमेंट (Non-Pneumatic Anti-Shock garment: NASG) उपलब्ध कराए गए हैं।
- NASG प्रसवोत्तर रक्तस्राव (PPH) के कारण होने वाली रक्त की कमी को नियंत्रित करता है। इस प्रकार NASG के माध्यम से मातृ मृत्यु को कम करने में मदद मिली है।
- प्रसवोत्तर रक्तस्राव (Postpartum Haemorrhage-PPH) का तात्पर्य निरंतर और अत्यधिक रक्तस्राव से है। PPH की वजह से अत्यधिक रक्तस्राव होने से शरीर का रक्तचाप कम हो जाता है और यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।”
- प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या को मातृ मृत्यु दर कहते हैं। यह दुनिया के सभी देशों में प्रसव के पूर्व या उसके दौरान या बाद में माताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा में सुधार के प्रयासों के लिये एक प्रमुख प्रदर्शन संकेतक है।”
- NASG शरीर के निचले हिस्से और पेट पर दबाव बनाता है, जिससे शरीर के अन्य आवश्यक अंगों से पेडू या श्रोणि क्षेत्र में रक्त जमा हो जाता है। इस प्रकार, NASG रोगी की स्थिति को कुछ समय के लिये स्थिर कर देता है और डॉक्टरों को इलाज के लिये पर्याप्त समय मिल जाता है।
पृष्ठभूमि
- NASG गुजरात के अहमदाबाद ज़िले के ज़िला विकास अधिकारी (अरुण महेश बाबू) द्वारा शुरू की गई ‘सहारा’ नामक एक स्थानीय पहल का हिस्सा है। इस पहल की शुरुआत नवंबर 2018 में की गई थी।
- इस पहल की शुरुआत से पहले जनवरी और नवंबर 2018 के बीच PPH की वज़ह से ज़िले में 8 मातृ मृत्यु हुई थीं, परंतु इस पहल के शुरू होने के बाद से PPH के कारण एक भी मृत्यु की घटना सामने नहीं आई।
- यहाँ एक पहलू यह भी है कि सही पोषण न मिलने की वज़ह से अहमदाबाद ज़िले में बहुत-सी माताएँ एनीमिया की शिकार थीं।
- इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव की पर्याप्त सुविधा न होने और अस्पतालों के दूर अवस्थित होने के कारण महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। आँकड़ों से पता चला कि राज्य में लगभग 30% मातृ मृत्यु PPH की वजह से हुईं और ये मुख्य रूप से प्रसव के बाद प्रथम 4 से 24 घंटों के भीतर हुईं।
वर्तमान स्थिति
- आज अहमदाबाद में 40 PHCs (प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर) में प्रत्येक में एक NASG सूट मौजूद है, प्रत्येक सूट को 140 बार उपयोग किया जा सकता है और सरकार ने भी जननी शिशु सुरक्षा कार्यकम (JSSK) के तहत प्रति सूट 14,500 रुपए खर्च किये हैं।
- वर्ष 2016-17 के नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System) परिणामों के अनुसार, गुजरात का IMR (प्रति 1,000 जीवित जन्म) 30 था और MMR (प्रति 100,000 जीवित जन्म) 91 था जो कि राष्ट्रीय औसत से बेहतर था, हालाँकि यह एक अधिक समृद्ध राज्य के लिये अपेक्षाकृत काफी अधिक था।
“संयुक्त राष्ट्र का सतत् विकास लक्ष्य (SDG 3.1) वर्ष 2030 तक MMR को प्रति 100,000 जीवित जन्म पर 70 से कम करने की बात करता है।”
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम
Janani Shishu Suraksha Karyakaram (JSSK)
- नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य की सुविधाएँ न मिलने के कारण मृत्यु की समस्या का निवारण करने के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने (जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम) 1 जून, 2011 को गर्भवती महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिये शुरू किया था।
- सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने योजना का कार्यान्वयन शुरू कर दिया है।
- इस योजना के अंतर्गत मुफ्त सेवा प्रदान करने पर बल दिया गया है। इसमें गर्भवती महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं को खर्चों से मुक्त रखा गया है।