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लाभ एवं गरीबी: बलात् श्रम का अर्थशास्त्र

  • 21 Mar 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लाभ एवं गरीबी: बलात् श्रम का अर्थशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, बलात् श्रम

मेन्स के लिये:

लाभ एवं गरीबी: बलात् श्रम का अर्थशास्त्र

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 'लाभ एवं गरीबी: बलात् श्रम का अर्थशास्त्र' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें पाया गया कि बलात् श्रम प्रति वर्ष 36 बिलियन अमरीकी डाॅलर का अवैध लाभ प्राप्त किया है।

बलात् श्रम क्या है? 

  • ILO के अनुसार बलात् या अनिवार्य श्रम "सभी कार्य या सेवा है जो किसी भी व्यक्ति से किसी दंड के खतरे के तहत लिया जाता है एवं जिसके लिये उक्त व्यक्ति ने स्वेच्छा से स्वयं को प्रस्तुत नहीं किया है"।
  • माप के प्रयोजनों हेतु बलात् श्रम को ऐसे कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है जो अनैच्छिक तथा दंड या दंड (बलात्) के खतरे के अधीन होते हैं।
    • अनैच्छिक कार्य से तात्पर्य कार्यकर्त्ता की स्वतंत्र तथा सूचित सहमति के बिना किये गए किसी भी कार्य से है।
    • बलात् से तात्पर्य उन साधनों से है जिनका उपयोग किसी को उनकी स्वतंत्र तथा सूचित सहमति के बिना काम करने हेतु मजबूर करने के लिये किया जाता है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • अवैध लाभ में वृद्धि: 
    • बलात् श्रम से प्रतिवर्ष 36 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अवैध रूप से लाभ होता है, जो वर्ष 2014 के बाद से 37% की वृद्धि दर्शाता है।
    • इस वृद्धि का कारण श्रम के लिये मजबूर लोगों की संख्या में वृद्धि और लाभ दोनों ही होते हैं।
  • अवैध लाभ का क्षेत्रीय वितरण: 
    • बलात् श्रम  से होने वाला कुल वार्षिक अवैध लाभ यूरोप तथा  मध्य एशिया (84 बिलियन अमेरिकी डॉलर) में सबसे अधिक है, इसके बाद एशिया और प्रशांत (62 बिलियन अमेरिकी डॉलर), अमेरिका (52 बिलियन अमेरिकी डॉलर), अफ्रीका (20 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तथा अरब देशों (18 अरब अमेरिकी डॉलर) का स्थान है।

  • प्रति पीड़ित लाभ सृजन: 
    • अनुमान है कि तस्कर और अपराधी प्रति पीड़ित लगभग 10,000 अमेरिकी डॉलर कमाते हैं, जो एक दशक पूर्व 8,269 अमेरिकी डॉलर के आँकड़ों से अधिक है।
    • निजी तौर पर लगाए गए श्रम में पीड़ितों की कुल संख्या का केवल 27% होने के बावजूद, बलात् वाणिज्यिक यौन शोषण कुल अवैध मुनाफे का दो-तिहाई (73%) से अधिक है।
  • सर्वाधिक अवैध लाभ वाले क्षेत्र: 
    • बलात् व्यावसायिक यौन शोषण के बाद, बलात् श्रम से सबसे अधिक वार्षिक अवैध लाभ के क्षेत्र उद्योग (35 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है, इसके बाद सेवा क्षेत्र (20.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर), कृषि (5.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और घरेलू काम (2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) हैं।
      • उद्योग क्षेत्र में खनन एवं उत्खनन, विनिर्माण, निर्माण और उपयोगिताएँ शामिल हैं।
      • सेवा क्षेत्र में थोक एवं व्यापार, आवास और खाद्य सेवा गतिविधियाँ, कला तथा मनोरंजन, व्यक्तिगत सेवाएँ, प्रशासनिक व सहायता सेवाएँ, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सेवाएँ और परिवहन तथा भंडारण से संबंधित गतिविधियाँ शामिल हैं।
      • कृषि क्षेत्र में वानिकी, शिकार के साथ-साथ फसलों की खेती, पशुपालन और मत्स्यन शामिल है।
      • घरेलू कार्य तृतीय पक्ष के घरों में किया जाता है।
  • बलात् मज़दूरी कराने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि:
    • वर्ष 2021 में किसी भी दिन 27.6 मिलियन लोग बलात् श्रम में लगे हुए थे, जो वर्ष 2016 के बाद से 2.7 मिलियन की वृद्धि दर्शाता है।
  • सिफारिशें:
    • व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता: रिपोर्ट अवैध लाभ प्रवाह को रोकने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिये प्रवर्तन उपायों में निवेश की तत्काल आवश्यकता पर बल देती है।
      • यह वैधानिक फ्रेमवर्क को सुदृढ़ करने, प्रवर्तन अधिकारियों के लिये प्रशिक्षण प्रदान करने, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में श्रम निरीक्षण का विस्तार करने और श्रम एवं आपराधिक कानून प्रवर्तन के बीच बेहतर समन्वय के महत्त्व को रेखांकित करती है।
    • मूल कारणों से निपटना: हालाँकि कानून प्रवर्तन उपाय महत्त्वपूर्ण हैं, रिपोर्ट इस बात पर बल देती है कि बलात् श्रम को केवल प्रवर्तन कार्यों के माध्यम से समाप्त नहीं किया जा सकता है। यह एक व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा होना चाहिये जो मूल कारणों का पता लगाकर पीड़ितों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
    • निष्पक्ष भर्ती प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना: निष्पक्ष भर्ती प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि बलात् श्रम के मामले अमूमन भर्ती के दुरुपयोग से संबंधित हो सकते हैं। बलात् श्रम से निपटने के लिये श्रमिकों की सामूहिक रूप से जुड़ने और सौदेबाज़ी करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।

बलात् श्रम से निपटने के लिये भारत की क्या पहल हैं?

  • अनुच्छेद 23:
    • यह मानव तस्करी पर रोक लगाता है जिसमें बलात् श्रम, गुलामी अथवा शोषण के उद्देश्य से की जाने वाली तस्करी भी शामिल है।
    • यह अनुच्छेद उक्त प्रथाओं के विरुद्ध सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए व्यक्तियों की गरिमा और अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 24:
    • इस अनुच्छेद के अनुसार चौदह वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे को किसी कारखाने अथवा खदान में कार्य करने अथवा किसी अन्य हानिकारक रोज़गार में नियोजित नहीं किया जाएगा।
  • पेंसिल पोर्टल, 2017 नो चाइल्ड लेबर हेतु प्रभावी प्रवर्तन मंच:
    • यह एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य बाल श्रम मुक्त समाज के लक्ष्य को प्राप्त करने में केंद्र, राज्य, ज़िला, सरकार, नागरिक समाज और आम जनता को शामिल करना है।
    • इसे बाल श्रम अधिनियम और राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP) योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये शुरू किया गया था।
  • बँधुआ मज़दूर प्रणाली (उत्सादन) अधिनियम 1976:
    • यह अधिनियम समग्र भारत में लागू होता है किंतु संबंधित राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। यह सतर्कता समितियों के रूप में ज़िला स्तर पर एक संस्थागत तंत्र का प्रावधान करता है।
      • सतर्कता समितियाँ ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) को इस अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी कार्यान्वन सुनिश्चित करने हेतु सलाह देती हैं।
    • राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र के एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट को इस अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिये प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। 
  • बँधुआ मज़दूरों के पुनर्वास के लिये केंद्रीय क्षेत्र योजना (2021):
    • श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने वर्ष 2021 में बँधुआ मज़दूरों के पुनर्वास (2016) की योजना को नया रूप दिया, जिससे बचाए गए व्यक्ति को ज़िला प्रशासन द्वारा 30,000 रुपए की तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
    • यह योजना ज़िला स्तर पर एक बँधुआ मज़दूर पुनर्वास कोष के निर्माण का भी प्रावधान करती है, जिसमें ज़िला मजिस्ट्रेट के निपटान में कम-से-कम 10 लाख रुपए का स्थायी कोष होगा।
      • मुक्त कराए गए बँधुआ मज़दूरों को तत्काल मदद पहुँचाने के लिये इस कोष का नवीनीकरण किया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन क्या है?

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन वर्ष 1919 से संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय संस्था है। यह श्रम मानक निर्धारित करने, नीतियाँ को विकसित करने एवं सभी महिलाओं तथा पुरुषों के लिये सभ्य कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार करने हेतु 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाता है।
  • स्थापना:
    • वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा राष्ट्र संघ की एक संबद्ध एजेंसी के रूप में इसकी स्थापना हुई।
    • वर्ष 1946 में यह संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध पहली विशिष्ट एजेंसी बन गया।
  • मुख्यालय: जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड।
  • संस्थापक मिशन: वैश्विक एवं स्थायी शांति हेतु सामाजिक न्याय आवश्यक है।
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानवाधिकारों एवं श्रमिक अधिकारों को बढ़ावा देता है।
  • नोबेल शांति पुरस्कार:
    • वर्ष 1969 में निम्नलिखित कार्यों के लिये नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया-
      • विभिन्न सामाजिक वर्गों के मध्य शांति स्थापित करने हेतु
      • श्रमिकों के लिये सभ्य कार्य एवं न्याय का पक्षधर 
      • अन्य विकासशील राष्ट्रों को तकनीकी सहायता प्रदान करना

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के 138 एवं 182 अभिसमय किससे संबंधित हैं? (2018)

(a) बाल श्रम
(b) कृषि के तरीकों का वैश्विक जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन
(c) खाद्य कीमतों एवं खाद्य सुरक्षा का विनियमन
(d) कार्यस्थल पर लिंग समानता 

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिये तथा इसके क्रियान्वयन की प्रस्थिति पर प्रकाश डालिये। (2016)

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