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भारतीय राजनीति

गैर-सरकारी विधेयक

  • 30 Nov 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

गैर-सरकारी विधेयक

मेन्स के लिये:

संसदीय कार्यप्रणाली से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सदन में कुछ सांसदों द्वारा शुक्रवार के स्थान पर बुधवार को गैर-सरकारी विधेयक प्रस्तुत करने का दिन निर्धारित करने की मांग की गई है।

गैर सरकारी विधेयक क्या है?

  • संसद के ऐसे सदस्य जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री नहीं हैं, उन्हें संसद का गैर-सरकारी सदस्य कहा जाता है।
  • इन सदस्यों द्वारा पेश किये गए विधेयक को गैर-सरकारी विधेयक कहते हैं।
  • यह विधेयक राज्यसभा और लोकसभा दोनों में पेश किया जा सकता है।
  • गैर- सरकारी विधेयक किसी भी विषय से संबंधित हो सकता है, जिसमें संविधान संशोधन विधेयक भी शामिल है।
  • यह विधेयक सार्वजनिक मामलों पर विपक्षी दल के मंतव्य को प्रदर्शित करता है।

विधेयक प्रस्तुतीकरण प्रक्रिया:

  • गैर-सरकारी विधेयक का मसौदा सांसद या उनके कर्मचारियों द्वारा तैयार किया जाता है। इन विधेयकों के तकनीकी और कानूनी मामलों की जाँच संसद सचिवालय द्वारा की जाती है।
  • इस विधेयक को पेश करने के लिये एक माह के नोटिस के साथ विधेयक के उद्देश्य और कारणों के विवरण की एक प्रति होनी चाहिए।
  • वर्ष 1997 तक प्रति सप्ताह 3 विधेयक प्रस्तुत किये जा सकते थे, जिनकी संख्या बाद में घटा कर प्रति सत्र 3 कर दी गई।
  • गैर-सरकारी विधेयकों को केवल शुक्रवार को पेश किया जा सकता है।

आँकड़े:

  • एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2009 से 2014 के बीच कुल 372 गैर सरकारी विधेयक प्रस्तुत किये गए, जिनमें से केवल 11 विधेयकों पर चर्चा की गई।
  • स्वतंत्रता के बाद से आज तक केवल 14 ऐसे गैर-सरकारी विधेयक हैं जिन पर क़ानून बनाया गया है।
  • वर्ष 1970 के बाद प्रस्तुत कोई भी गैर-सरकारी विधेयक क़ानून नहीं बन सका है।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों से संबंधित विधेयक को वर्ष 2014 में राज्यसभा द्वारा 45 वर्षों बाद पारित किया गया।

विधेयकों की असफलता के कारण:

  • गैर-सरकारी विधेयकों को स्वेच्छा या अनिच्छा से सत्ता पक्ष द्वारा नज़रअंदाज़ किये गए मुद्दों पर ध्यान देने के लिये अस्तित्व में लाया गया।
  • किसी भी गैर-सरकारी विधेयक का सफलतापूर्वक पारित होना, सरकार की कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
  • इस प्रकार के विधेयक को अगर सदन में समर्थन मिल भी जाता है तो सत्ता पक्ष उसे सरकारी विधेयक की तरह पारित करवाने की कोशिश करता है।

स्रोत- द हिंदू

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