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भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रधानमंत्री ‘जी-वन’ योजना

  • 01 Mar 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री ‘जी-वन योजना’ (Jaiv Indhan-Vatavaran Anukool Fasal Awashesh Nivaran Yojana: JI-VAN) के लिये वित्तीय मदद को मंज़ूरी प्रदान की।

प्रमुख बिंदु

  • जैव ईंधन-वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण योजना (जी-वन योजना) के तहत ऐसी एकीकृत बायो-इथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय मदद प्रदान करने का प्रावधान किया गया है जो लिग्नोसेल्यूलॉज़िक बायोमास (Lignocellulosic Biomass) और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक (Feedstock) का इस्तेमाल करती हैं।

लिग्नोसेल्यूलॉज़िक बायोमास (LC biomass) – यह बायोमास सेल्यूलोज़ (Cellulose), हेमिसेल्यूलोज़ (Hemicelluloses) और लिग्निन (Lignin) से बना होता है।

  • 2018-19 से 2023-24 की अवधि के लिये इस योजना में कुल 1969.50 करोड़ रुपए की मंज़ूरी प्रदान की गई है।
  • स्वीकृत कुल 1969.50 करोड़ रुपए में से 1800 करोड़ रुपए 12 वाणिज्यिक परियोजनाओं की मदद, 150 करोड़ रुपए 10 प्रदर्शित परियोजनाओं और बाकी बचे 9.50 करोड़ रुपए उच्च प्रौद्योगिकी केन्द्र (Centre for High Technology-CHT) को प्रशासनिक शुल्क के रूप में दिये जाएंगे।

विवरण

  • इस योजना के तहत12 परियोजनाओं को वाणिज्यिक स्तर पर और 10 दूसरी पीढ़ी (2G) के इथेनॉल परियोजनाओं के प्रदर्शन स्तर पर दो चरणों में वित्तीय मदद दी जाएगी।
  • पहला चरण (2018-19 से 2022-23) – इस चरण के दौरान 6 वाणिज्यिक परियोजनाओं तथा 5 प्रदर्शन स्तर वाली परियोजनाओं को आर्थिक मदद दी जाएगी।
  • दूसरा चरण (2020-21 से 2023-24)- दूसरे चरण में बाकी बची 6 वाणिज्यिक परियोजनाओं और 5 प्रदर्शन स्तर वाली परियोजनाओं को वित्तीय मदद दी जाएगी।
  • इस परियोजना के तहत दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल क्षेत्र को प्रोत्साहित एवं मदद करने का काम किया गया है। इसके लिये वाणिज्यिक परियोजनाएँ स्थापित करने और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का काम किया गया है।
  • इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol-EBP) कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को मदद पहुँचाने के अलावा निम्नलिखित लाभ भी प्राप्त होंगे -
  • जीवाश्म ईंधन के स्थान पर जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर आयात पर निर्भरता कम करने की भारत सरकार की परिकल्पना को साकार करना।
  • जीवाश्म ईंधन के स्थान पर जैव ईंधन के इस्तेमाल का विकल्प प्रस्तुत कर उत्सर्जन के ग्रीन हाउस गैस (GHG) मानक की प्राप्ति।
  • बायोमास और फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का समाधान करना और लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना।
  • दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल परियोजना और बायोमास आपूर्ति श्रृंखला में ग्रामीण एवं शहरी लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा करना।
  • बायोमास कचरे और शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे के संग्रहण की समुचित व्यवस्था कर स्वच्छ भारत मिशन में योगदान करना।
  • दूसरी पीढ़ी के बायोमास को इथेनॉल प्रौद्योगिकी में परिवर्तित करने की विधि का स्वदेशीकरण करना।
  • योजना के लाभार्थियों द्वारा बनाए गए इथेनॉल की अनिवार्य रूप से तेल विपणन कंपनियों को आपूर्ति करना, ताकि वे EBP कार्यक्रम के तहत इनमें निर्धारित प्रतिशत में मिश्रण कर सकें।

उद्देश्य

  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इथेनॉल की कीमत ज़्यादा रखने और इथेनॉल खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद 2017-18 के दौरान 150 करोड़ लीटर इथेनॉल की खरीद ही प्राप्त की जा सकी जो कि देशभर में पेट्रोल में इथेनॉल के मात्र 4.22 प्रतिशत मिश्रण के लिये पर्याप्त है।
  • इसी वजह से पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा बायोमास और अन्य कचरों से दूसरी पीढ़ी का इथेनॉल प्राप्त करने की संभावनाएँ तलाशी जा रही हैं। इससे इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के तहत जीवाश्म पेट्रोल की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
  • प्रधानमंत्री जी-वन योजना का मुख्य उद्देश्य देश में दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल क्षमता विकसित करने और इस क्षेत्र में नए निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • भारत सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम 2003 में लागू किया था। इसके ज़रिये पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण कर पर्यावरण को जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से बचाना, किसानों को क्षतिपूर्ति दिलाना तथा कच्चे तेल के आयात को कम कर विदेशी मुद्रा बचाना है।
  • वर्तमान में EBP 21 राज्यों और 4 संघ शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत तेल विपणन कंपनियों के लिये पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाना अनिवार्य बनाया गया है।
  • मौजूदा नीति के तहत पेट्रोकेमिकल के अलावा मोलासिस और नॉन फीड स्‍टाक उत्पादों जैसे सेल्यूलोज़ और लिग्नोसेल्यूलोज़ जैसे पदार्थों से इथेनॉल प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।

स्रोत – द हिंदू

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