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जैव विविधता और पर्यावरण

पेंटिंग ब्रश बनाने के लिये नेवलों का शिकार

  • 24 Dec 2018
  • 6 min read

संदर्भ


एक तरफ जहाँ हाथियों के अवैध शिकार, एक सींग वाले गैंडों तथा पैंगोलिन के साथ-साथ बाघों की मौत पर आम तौर पर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखी गईं, वहीँ हज़ारों नेवलों (mongoose) की हत्या पर किसी ने भी बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया।

हालिया घटनाक्रम

  • 30 सितंबर, 2018 को वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau-WCCB) और उत्तर प्रदेश राज्य के वन विभाग के अधिकारियों ने यूपी के बिज़नौर ज़िले के शेरकोट गाँव में घरों और कारखानों पर छापा मारा और वहाँ से से 155 किलोग्राम नेवले के बाल और 56,000 ब्रश ज़ब्त किये गए। यह देश में अपनी तरह की सबसे बड़ी ज़ब्ती थी और अधिकारियों द्वारा लगाए गए अनुमान के अनुसार, इतने बाल इकट्ठा करने के लिये कम-से-कम 3,000 जानवरों को मारा गया होगा।
  • इसके कुछ समय बाद 10 दिसंबर, 2018 को WCCB के अधिकारियों ने दिल्ली स्थित वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (Wildlife Trust of India-WTI) के साथ समन्वय करते हुए देश भर में 13 स्थानों पर एक साथ छापे मारे और हज़ारों की संख्या में नेवले के बालों से बने ब्रश ज़ब्त किये गए। WCCB द्वारा पिछले दो वर्षों में अवैध व्यापार पर की गई यह 27वीं कार्रवाई थी।

चिंता का कारण

  • इन सभी छापों के बावजूद भी प्रमुख भारतीय शहरों में किसी भी दुकान पर नेवले के बालों से ब्रश आसानी से मिल सकते हैं। इन जानवरों के लिये सबसे बड़ा खतरा इस व्यापार हेतु ही इन्हें मारा जाना है।
  • हालाँकि अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं लेकिन बालों की अच्छी गुणवत्ता, स्थायित्व और भुरभुरापन (brittleness) ने इन जानवरों को खतरे में डाल दिया है।
  • ब्रश की संवेदनशीलता, महीन परिष्करण और पेंट को अवशोषित करने की इसकी क्षमता के कारण कई कलाकार इसे अधिक प्राथमिकता देते हैं क्योंकि सिंथेटिक ब्रश में इसके समान गुण नहीं होते हैं।
  • पहले इन ब्रशों का निर्माण कई प्रतिष्ठित ब्रश निर्माताओं द्वारा किया जाता था। लेकिन 2000 के दशक की शुरुआत में इसके व्यापार की अवैध प्रकृति सामने आने के बाद प्रमुख निर्माताओं ने इसका निर्माण कार्य बंद कर दिया। फिर भी खरीदारों की मांग के चलते छोटे निर्माता नेवले के बाल से बने ब्रश का उत्पादन करते रहे।

नेवला (mongoose)

  • नेवला छोटा माँसाहारी स्तनधारी है इसका शरीर लंबा तथा भूरे रंग का होता है।
  • भारत में यह व्यापक रूप से ग्रामीण इलाकों, कृषि भूमि और वन क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • इनका शिकार करने वाले पारंपरिक समुदायों में तमिलनाडु के नारिकुरुवास, कर्नाटक के हक्की पिक्की, आंध्र और कर्नाटक में गोंड तथा मध्य एवं उत्तर भारत में गुलिया, सपेरा और नाथ शामिल हैं।
  • नेवलों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के भाग 2 (अनुसूची 2) के तहत सूचीबद्ध किया गया है तथा उनका शिकार, अधिकार और व्यापार करना अपराध है साथ ही दंड के रूप में सात साल तक के कारावास का प्रावधान भी है।
  • वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora-CITES) द्वारा संरक्षित है।
  • देश भर में इसकी छह अलग-अलग प्रजातियाँ पाई जाती हैं:
  1. भारतीय भूरा नेवला (Indian grey mongoose)
  2. छोटा भारतीय नेवला (Small Indian mongoose)
  3. लाल सिरवाला नेवला (Ruddy mongoose)
  4. केकड़ा खाने वाला नेवला (Crab-eating mongoose)
  5. धारीदार गले वाला नेवला (Stripe-necked mongoose)
  6. ब्राउन नेवला (Brown mongoose)
  • भारतीय भूरा नेवला प्रजाति सबसे अधिक पाई जाने वाली जाति है और सबसे अधिक शिकार भी इसी प्रजाति का होता है।

नेवलों की दुर्दशा के बारे में लोगों को जागरूक करना आवश्यक

  • इसके बालों की कीमत लगभग 3000-5000 रुपए प्रति किलो के बीच होती है और एक किलोग्राम बाल संग्रह करने के लिये 50 जानवरों की हत्या की जाती है। प्रत्येक नेवले से लगभग 40 ग्राम बाल प्राप्त होते हैं जिसमें से केवल 20 ग्राम का उपयोग ब्रश बनाने के लिये किया जा सकता है।
  • कलाकारों और आम जनता को यह सूचित किये जाने की जरूरत है कि नेवले के बालों से बने ब्रश का उपयोग करना बंद करें क्योंकि अब तक इसके बालों से निर्मित ब्रशों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है और यह चिंता का एक बड़ा कारण है।

स्रोत : हिंदुस्तान टाइम्स

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