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भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रीपेड भुगतान साधन

  • 07 Jun 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रीपेड भुगतान साधन/प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट, भारतीय रिज़र्व बैंक, DICGC, प्रेषण, इंश्योरेंस फंड, रेगुलेटेड एंटिटीज़

मेन्स के लिये:

प्रीपेड भुगतान उपकरणों के लिये DICGC का कवरेज

चर्चा में क्यों? 

RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) विनियमित संस्थाओं के लिये ग्राहक सेवा मानकों की समीक्षा करने वाली एक समिति ने धोखाधड़ी और अनधिकृत लेन-देन से सुरक्षा प्रदान करने के लिये जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation- DICGC) को प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPI) तक विस्तारित करने की सिफारिश की है।

  • इस समिति ने सिफारिश की है कि RBI को बैंक PPI और फिर गैर-बैंक PPI सहित PPI क्षेत्र में DICGC कवर का विस्तार करने की संभावना के बारे में पता लगाना चाहिये।
  • RBI को ग्राहक सेवा में सुधार करने और समग्र ग्राहक सुरक्षा प्रयासों को मज़बूत करने के लिये विनियमित संस्थाओं को प्रोत्साहित करना चाहिये।

प्रीपेड भुगतान साधन: 

  • परिचय: 
    • ये वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की सुविधा प्रदान करने वाले साधन हैं, ये वित्तीय सेवाओं का संचालन करते हैं और उनमें संग्रहीत धन पर प्रेषण सुविधाएँ सक्षम करते हैं। 
    • PPI को कार्ड या वॉलेट के रूप में जारी किया जा सकता है।
    • PPI दो प्रकार के होते हैं:
      • छोटे PPI और पूर्ण-KYC (अपने ग्राहक को जानें) PPI। इसके अलावा छोटे PPI को 10,000 रुपए तक के PPI (कैश लोडिंग सुविधा के साथ) तथा 10,000 रुपए तक के PPI (बिना कैश लोडिंग सुविधा के) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • PPI को नकद, बैंक खाते से डेबिट या क्रेडिट और डेबिट कार्ड द्वारा लोड/रीलोड किया जा सकता है।
      • PPI की कैश लोडिंग प्रतिमाह 50,000 रुपए तक सीमित है, जो PPI की समग्र सीमा के अधीन है।
  • जारी करना/निर्गमन: 
    • PPI को RBI से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा जारी किया जा सकता है।
      • नवंबर 2022 तक 58 से अधिक बैंकों को प्रीपेड भुगतान उपकरण जारी करने और संचालित करने की अनुमति दी गई है।
      • मई 2023 तक 33 गैर-बैंक PPI जारीकर्त्ता हैं।

DICGC: 

  • परिचय: 
    • DICGC, RBI की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और जमा बीमा सुविधा प्रदान करती है।
      • जमा बीमा प्रणाली वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को बनाए रखने में विशेष रूप से छोटे जमाकर्त्ताओं को बैंक की विफलता की स्थिति में उनकी जमा राशि की सुरक्षा का आश्वासन देकर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • DICGC द्वारा विस्तारित जमा बीमा में स्थानीय क्षेत्रीय बैंक (LAB), भुगतान बैंक (PB), लघु वित्त बैंक (SFB), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) और सहकारी बैंक सहित वे सभी वाणिज्यिक बैंक शामिल हैं, जिन्हें RBI द्वारा लाइसेंस प्राप्त है।
  • कवरेज: 
    • DICGC अर्जित ब्याज सहित बचत, सावधि, चालू और आवर्ती जैसी सभी जमाओं का बीमा करता है।
    • बैंक में प्रत्येक जमाकर्त्ता का बैंक के परिसमापन या विफलता की तिथि के अनुसार मूलधन और ब्याज राशि दोनों के लिये अधिकतम 5 लाख रुपए तक का बीमा किया जाता है।
      • DICGC द्वारा प्रदान किया गया पहले का बीमा कवर 1 लाख रुपए था। हालाँकि बीमाकृत बैंकों में जमाकर्त्ताओं के लिये बीमा कवर की सीमा 2020 में बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई थी।
    • DICGC कवर नहीं करता है: 
      • विदेशी सरकारों की जमाराशि।
      • केंद्र/राज्य सरकारों की जमाराशियाँ।
      • अंतर-बैंक जमाराशि।
      • राज्य सहकारी बैंकों में राज्य भूमि विकास बैंकों की जमाराशियाँ।
      • भारत के बाहर प्राप्त किसी भी जमा के कारण कोई भी राशि।
      • कोई भी राशि जिसे RBI के पूर्व अनुमोदन से निगम द्वारा विशेष रूप से छूट दी गई है।
  • कोष: 
    • निगम निम्नलिखित निधियों का रखरखाव करता है:
      • जमा बीमा कोष
      • क्रेडिट गारंटी फंड
      • सामान्य कोष
    • पहले दो को क्रमशः बीमा प्रीमियम और प्राप्त गारंटी शुल्क द्वारा वित्तपोषित किया जाता है तथा संबंधित दावों के निपटान के लिये भी उपयोग किया जाता है। 
    • सामान्य कोष का उपयोग निगम की स्थापना और प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने हेतु किया जाता है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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