प्रीलिम्स फैक्ट्स: 25 सितंबर 2018 | 25 Sep 2018
हॉर्नबिल की रक्षा हेतु सिटीज़न साइंस पहल
हाल ही में हॉर्नबिल के संरक्षण के लिये मूल्यवान इनपुट प्रदान करने हेतु भारतीय हॉर्नबिल का दस्तावेज़ीकरण करने के लिये सिटीज़न साइंस पहल की शुरुआत की गई है।
- सिटीज़न साइंस, आँकड़े इकट्ठा करने के लिये भागीदारी हेतु एक सामूहिक, सार्वजनिक प्रयास है जिसमें लोग घर से विज्ञान की प्रगति के लिये अपना स्वैच्छिक योगदान करते हैं।
- सिटीज़न साइंस प्रथा की निम्नलिखित चार आम विशेषताएँ हैं:
- इसमें कोई भी भागीदारी निभा सकता है।
- सभी भागीदार समान प्रोटोकॉल और विधि का प्रयोग करते हैं ताकि आँकड़ों को संयोजित किया जा सके और उनकी गुणवत्ता भी बरकरार रह सके।
- सही आँकड़े वैज्ञानिकों को सही निष्कर्ष तक पहुँचने में मदद कर सकते हैं।
- वैज्ञानिकों और स्वयंसेवकों का व्यापक समूह एक साथ काम करता है और इकठ्ठा किये गए आँकड़ों को वैज्ञानिकों तथा आम लोगों के साथ साझा करता है।
- संरक्षित क्षेत्रों के बाहर हॉर्नबिल की उपस्थिति के आँकड़े उनके निवास स्थान की पहचान करने और विकास परियोजनाओं तथा संभावित खतरों से उनकी रक्षा करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
- लोग किसी जीवित हॉर्नबिल के अवलोकन को दर्ज कर सकते हैं, किसी मृत, शिकार किये गए या बंदी पक्षी की सूचना भी दे सकते हैं।
- भारत में हॉर्नबिल की नौ प्रजातियाँ हैं जिनमें से चार पश्चिमी घाट पर पाई जाती हैं- भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (भारत का स्थानिक), मालाबार ग्रे हॉर्नबिल (पश्चिमी घाट का स्थानिक), मालाबार पाइड हॉर्नबिल (भारत व श्रीलंका का स्थानिक) और व्यापक रूप से पाया जाने वाला ग्रेट हॉर्नबिल (अरुणाचल प्रदेश और केरल का राजकीय पक्षी)।
- बहुत कम या फिर संकटग्रस्त प्रजातियाँ जैसे कि रफस-नेक्ड हॉर्नबिल, ऑस्टेन की ब्राउन हॉर्नबिल, जिसमें ग्रेट हॉर्नबिल भी शामिल है, उत्तर-पूर्वी भारत के कई राज्यों में पाई जाती हैं।
- भारत में एक ऐसी प्रजाति भी है जिसकी संख्या बहुत कम है- लुप्तप्राय नर्कोन्दम हॉर्नबिल जो केवल नर्कोन्दम द्वीप (अंडमान द्वीप समूह का हिस्सा) पर पाई जाती है।
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली का सफल रात्रिकालीन परीक्षण
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दो स्तरों वाली बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (बीएमडी) प्रणाली का सफल रात्रिकालीन परीक्षण कर लिया है।
- बीएमडी में दो इंटरसेप्टर मिसाइलें- एक्सो-एटमोस्फियरिक दूरियों के लिये पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (PDV) और एंडो-एटमोस्फियरिक या कम ऊँचाई के लिये एडवांस एरिया डिफेंस (AAD) मिसाइल होती हैं।
- एक्सो-एटमोस्फियरिक मिसाइल प्रणाली 50-80 किमी की ऊँचाई पर मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम है जबकि एंडो-एटमोस्फियरिक प्रणाली 30 किमी की ऊँचाई तक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम है।
- अमेरिका, रूस, इज़राइल और चीन के बाद मज़बूत बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली से लैश भारत दुनिया का पाँचवाँ राष्ट्र है।
क्या है बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली?
- बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम का लक्ष्य पृथ्वी के वायुमंडलीय क्षेत्र के बाहर या अंदर दोनों दिशाओं से आने वाली दुश्मन की बैलिस्टिक तथा न्यूक्लियर मिसाइलों के खिलाफ प्रभावी मिसाइल कवच प्रदान करना है।
- दुश्मन के मिसाइल को बूस्ट पॉइंट (प्रक्षेपण), बीच में (आकाश में उड़ान), या टर्मिनल फेज़ (वायुमंडलीय ढलान के दौरान) पर ही इंटरसेप्ट करने की आवश्यकता होती है।
- बीएमडी दो-स्तरीय, पूरी तरह से स्वचालित प्रणाली है, जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ शामिल हैं:
- प्रारंभिक चेतावनी और ट्रैकिंग रडार का व्यापक नेटवर्क।
- विश्वसनीय कमांड और कंट्रोल पोस्ट।
- उन्नत इंटरसेप्टर मिसाइलों की भूमि और समुद्र-आधारित बैटरी।
वीर सुरेंद्र साई हवाई अड्डा तथा पाक्योंग हवाई अड्डा
हाल ही में ओडिशा के झारसुगुड़ा में वीर सुरेंद्र साई तथा सिक्किम में पाक्योंग हवाई अड्डे का उद्घाटन किया गया।
वीर सुरेंद्र साई हवाई अड्डा
- यह ओडिशा का दूसरा हवाई अड्डा है।
- इस हवाई अड्डे का नाम स्वतंत्रता सेनानी वीर सुरेंद्र साई के नाम पर रखा गया है।
- झारसुगुड़ा हवाई अड्डे को ओडिशा सरकार के सहयोग से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा विकसित किया गया है।
- इस हवाई अड्डे का विकास केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत किया गया है।
पाक्योंग हवाई अड्डा
- यह राज्य का पहला और देश का 100वाँ हवाई अड्डा है।
- यह आम आदमी के लिये उपयोगी बन सके यह सुनिश्चित करने के लिये इस हवाई अड्डे को उड़ान योजना का हिस्सा बनाया गया है।
- यह समुद्र तल से 4500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
- यह भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है।
- यह हवाई अड्डा भारत-चीन सीमा से 60 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसलिये यह रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। भारतीय वायु सेना लैंडिंग करने और उड़ान भरने के लिये इस हवाई अड्डे का भी उपयोग कर सकती है।
- यह हवाई अड्डा शेष भारत के साथ सिक्किम की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा। सिक्किम में पर्यटन क्षेत्र का विकास होगा। नए हवाई अड्डे के कारण पर्यटकों के लिये सिक्किम पहुँचना आसान होगा।
- इस हवाई अड्डे की आधारशिला वर्ष 2009 में रखी गई थी।
साइबर ट्रीविया एप
- सरकार ने 'ब्लू व्हेल' और 'मोमो चैलेंज' जैसे खतरनाक खेलों के कारण बच्चों के खिलाफ होने वाली साइबर घटनाओं का सामना करने के लिये बच्चों के लिये 'साइबर-ट्रिविया' एप लॉन्च किया है।
- इस एप में बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे और बच्चों को उनके उत्तरों के आधार पर अंक दिये जाएंगे।
- यह बच्चों को मनोरंजन के माध्यम से यह सिखाने का प्रयास है यदि उनसे इंटरनेट पर किसी अजनबी द्वारा संपर्क किया जाता है और उन्हें अपनी तस्वीरों को भेजने या अन्य चीज़ों को करने के लिये कहा जा सकता है, तो उन्हें क्या करना चाहिये।
- इस एप को साइबर पीस फाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights -NCPCR) के सहयोग से विकसित किया गया है।
- साइबर पीस फाउंडेशन एक गैर-राजनीतिक नागरिक समाज संगठन तथा साइबर सुरक्षा और नीति विशेषज्ञों का थिंक टैंक है।
जीवन सुगमता सूचकांक में आंध्र प्रदेश शीर्ष पर
- आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी जीवन सुगमता सूचकांक (Ease of Living Index) के अनुसार, सुविधाजनक तथा आसान जीवन-यापन के दृष्टिकोण से आंध्र प्रदेश सबसे अच्छा राज्य है।
- जीवन सुगमता सूचकांक में आंध्र प्रदेश ने शीर्ष रैंकिंग हासिल की है तथा ओडिशा और मध्य प्रदेश ने इस सूचकांक में क्रमशः दूसरा तथा तीसरा स्थान हासिल किया है।
- अटल शहरी पुनर्जीवन और परिवर्तन मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation- AMRUT) के तहत तीन राज्यों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य का दर्ज़ा दिया गया है।
- आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने 13 अगस्त, 2018 को पहली बार जीवन सुगमता सूचकांक जारी किया था जिसके अंतर्गत 111 भारतीय शहरों को शामिल किया गया था और इस सूचकांक में पुणे ने शीर्ष स्थान हासिल किया था।
- सभी शहरों का आकलन 100 अंकों के आधार पर किया गया था।
जीवन सुगमता सूचकांक के बारे में
- जीवन सुगमता सूचकांक आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की पहल है, जिसके ज़रिये शहरों में बसने वाले लोगों के जीवन को आसान बनाने का प्रयास किया गया है।
- इस सूचकांक में किसी शहर का आकलन चार प्रमुख मानकों के आधार पर किया जाता है, जिसमें संस्थागत प्रबंधन, सामाजिक और आर्थिक स्थिति तथा बुनियादी ढाँचे की स्थिति शामिल है। इन चार मानकों को आगे 15 उपश्रेणियों और 78 संकेतों में वर्गीकृत किया गया है।
टिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य
क्षेत्रफल में में बहुत छोटा होने के बावज़ूद यह तेज़ी से बाघ संरक्षण और बाघ पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है।
- टिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले में स्थित है।
- अभयारण्य में बाघ देखे जाने की उच्च घटनाओं ने वन्यजीवों के प्रति उत्साही लोगों के बीच इस जगह को लोकप्रिय बना दिया है।
- पूर्णा, कृष्णा, भीमा और ताप्ती जैसी नदियाँ इस अभ्यारण्य को सिंचित करती हैं। इन सभी नदियों से जल प्राप्त करने के कारण इसे दक्षिणी महाराष्ट्र में स्थित ग्रीन ओएसिस (Green Oasis) के रूप में भी जाना जाता है।