प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 22 सितंबर 2018
- 22 Sep 2018
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बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रहार’
हाल ही में भारत ने भारी वर्षा के बीच ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण स्थल स्थित लॉन्चिंग कॉम्पलेक्स-III से ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइल ‘प्रहार’ का सफल परीक्षण किया।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी 350 किमी. से 500 किमी. तक मारक क्षमता वाले प्रहार मिसाइल का सफलता पूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।
प्रहार की विशेषताएँ
- इसकी लंबाई 7.32 मीटर और व्यास 420 मिमी. है।
- इसका वज़न लगभग 1.28 टन है।
- 200 किग्रा. तक हथियार ले जाने में सक्षम है।
- इसमें ठोस प्रणोदक का प्रयोग हुआ है और इसकी गति 2 मैक है।
- बेहतर सटीकता।
- लॉन्चर विभिन्न लक्ष्यों के लिए अलग-अलग प्रकार के हथियारों वाले छह मिसाइलों को ले जा सकता है
- अलग-अलग दिशाओं में एक साथ छः मिसाइल छोड़ने की क्षमता।
नासा का बलून मिशन
हाल ही में नासा के बलून मिशन ने इलेक्ट्रिक ब्लू क्लाउड की तस्वीरें ली है।
- बलून मिशन द्वारा ली गई तस्वीरों का वैज्ञानिकों द्वारा विशेलेषण किया जा रहा है जो वायुमंडल उत्पन्न होने वाले विक्षोभों के साथ ही महासागरों, झीलों और अन्य ग्रहों के वायुमंडल को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे और इसके विश्लेषण से प्राप्त परिणाम मौसम पूर्वानुमान में सुधार करने सहायता कर सकता है।
- 8 जुलाई, 2018 को नासा के PMS टर्बो मिशन ने सतह से 50 मील की ऊँचाई पर PMCs का अध्ययन करने के लिए एक विशाल गुब्बारे को लॉन्च किया था।
- अपनी पाँच दिन की उड़ान के दौरान इस विशाल गुब्बारे पर लगे कैमरे ने उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली 6 मिलियन तस्वीरें लीं जिनमें से अधिकांश तस्वीरें में PMCs में विक्षोभों की प्रक्रियाओं को प्रकट कर रही थीं।
- वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिये दशकों से गुब्बारों का उपयोग किया जाता है। उन्हें दुनिया के किसी भी स्थान से लॉन्च किया जा सकता है और यह वैज्ञानिक अवलोकनों के लिये एक कम लागत वाली विधि है।
- नासा बलून कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य वैज्ञानिक और तकनीकी जाँचों के लिये उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक बलून प्लेटफॉर्म स्थापित करना है।
- इन जाँचों में मूलभूत वैज्ञानिक खोजें शामिल हैं जो पृथ्वी, सौरमंडल एवं ब्रह्मांड को और अधिक बेहतर तरीके से समझने में योगदान देती हैं।
भारत का पहला स्वदेशी जीपीएस मॉड्यूल UTraQ
हाल ही में भारत ने अपना नया जीपीएस मॉड्यूल UTraQ लॉन्च किया है।
- यह जीपीएस भारत की क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) और NavIC की मदद से काम करेगा तथा वास्तविक लोकेशन के बारे में बताएगा।
- इन मॉड्यूल्स का उपयोग लोकेशन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के अलाव रेंज का पता लगाने, कमांड देने, कंट्रोल करने और समय बताने जैसे अन्य कार्यों के लिए भी किया जा सकता है।
कमलेश नीलकंठ व्यास
हाल ही में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक कमलेश नीलकंठ व्यास की परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव तथा परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को मंज़ूरी दी।
- कमलेश व्यास 64 वर्ष की आयु (03.05.2021) तक या अगले आदेश तक, इनमें से जो भी पहले हो, इस पद पर बने रह सकते हैं।
- नव नियुक्त अध्यक्ष कमलेश नीलकंठ व्यास ने ऑस्ट्रिया के वियना में शेखर बसु से पदभार का ग्रहण किया।
परमाणु उर्जा विभाग
- परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की स्थापना 3 अगस्त, 1954 को की गई थी।
- परमाणु ऊर्जा विभाग में भारत सरकार का सचिव, परमाणु ऊर्जा आयोग (Atomic Energy Commission-AEC) का पदेन (ex-officio) अध्यक्ष होता है।
- DAE नाभिकीय विद्युत/अनुसंधान रिएक्टरों के अभिकल्पन, निर्माण एवं प्रचालन तथा सहायक नाभिकीय ईंधन चक्र प्रौद्योगिकियों जिनमें नाभिकीय खनिजों का अन्वेषण, खनन एवं प्रसंस्करण, भारी पानी का उत्पादन, नाभिकीय ईंधन संविरचन, ईंधन पुनर्संस्करण तथा नाभिकीय अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं, के कार्य में लगा हुआ है।
- परमाणु ऊर्जा विभाग की स्वतंत्र इकाई के रूप में BRIT स्वास्थ्य देखभाल, उद्योग, कृषि एवं अनुसंधान क्षेत्रों के लिये विकिरण एवं आइसोटोप पर आधारित विभिन्न उत्पाद एवं सेवाएँ उपलब्ध कराता है।