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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 21 सितंबर 2018

  • 21 Sep 2018
  • 8 min read
इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन और एक्सपो सेंटर

हाल ही नई दिल्ली के द्वारिका में इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन और एक्सपो सेंटर (India International Convention and Expo Centre-IICC)  की स्थापना की नींव रखी गई।

  • नई दिल्ली के द्वारिका सेक्टर-25 में बनने वाला यह सेंटर विश्व स्तरीय एक्जीबिशन सह कन्वेंशन सेंटर होगा जिसमें वित्तीय, अतिथ्य तथा रिटेल सेवाओं जैसी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
  • परियोजना की अनुमानित लागत 25,700 करोड़ रुपए है।
  • यह परियोजना औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (Department of Industrial Policy & Promotion- DIPP) द्वारा स्थापित शत-प्रतिशत सरकारी कंपनी इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्जीबिशन सेंटर लिमिटेड द्वारा लागू की जा रही है।
औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग

औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग की स्थापना 1995 में हुई थी तथा औद्योगिक विकास विभाग के विलय के साथ वर्ष 2000 में इसका पुनर्गठन किया गया।


भारत का पहला जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

गुजरात सरकार भारत का पहला जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना बना रही है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित विधेयक पारित होने के बाद इस विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।

  • जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय स्थापित करने का उद्देश्य इस क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है।
  • गुजरात बायोटेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी को विश्व स्तरीय अनुसंधान-केंद्रित अकादमिक संस्थान के रूप में स्थापित किया जाएगा।
  • यह विश्वविद्यालय जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रमुख मुद्दों और उनके समाधानों की समीक्षा भी करेगा और उद्योगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ज्ञान एवं कौशल के साथ जनशक्ति का विकास करेगा।
  • राज्य में एक मज़बूत जैव प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये, सरकार ने गुजरात राज्य जैव प्रौद्योगिकी मिशन, गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र और सावली प्रौद्योगिकी और व्यापार इनक्यूबेटर की स्थापना की है।
  • ये संगठन पहले से ही अनुसंधान, मानव संसाधन विकास, नीति आधारित स्टार्ट-अप और राज्य में उद्यमिता को बढ़ाने के लिये काम करते आ रहे हैं, जो जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को गति प्रदान करते हैं।
सलाहकार परिषद

विश्वविद्यालय के अधिनियम में रणनीतिक परिवर्तनों पर आवश्यक दिशा-निर्देशों के लिये सलाहकार परिषद बनाने का प्रावधान किया गया है जिसमें शिक्षा प्रणाली, शोध प्रणाली और उद्योगों के साथ संबंध तथा विदेशों में शीर्ष रैंकिंग संस्थान शामिल होंगे।

  • इस समिति का उद्देश्य विश्वविद्यालय के वैश्विक मानकों को पूरा करना है।
रायगंज वन्यजीव अभयारण्य

पश्चिम बंगाल के रायगंज वन्यजीव अभयारण्य में आगंतुक पक्षियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड पार कर लिये हैं।

  • राज्य वन विभाग द्वारा की गई जनगणना के अनुसार, 130 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैले वन्यजीव अभयारण्य में इस वर्ष 98,532 पक्षियों की उपस्थिति दर्ज़ की गई है। जो यह दर्शाता है कि इस अभयारण्य में प्रवासी पक्षियों की संख्या में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है।
  • एशिया में सबसे अधिक ओपनबिल स्टार्क पक्षी इस अभयारण्य में पाए जाते है। उल्लेखनीय है कि 98,000 प्रवासी पक्षियों में से 67,000 ओपनबिल स्टार्क हैं।
ओपनबिल स्टार्क
  • यह एक वृहदाकार पक्षी है जो पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है।
  • इनकी चोंच के मध्य खाली स्थान होने के कारण इन्हें ओपनबिल नाम दिया गया है।
  • विश्व में इस पक्षी की कुल 20 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 8 प्रजातियाँ भारत में मौजूद हैं।
  • इसका मुख्य भोजन घोंघा, मछली तथा अन्य छोटे जलीय जीव हैं।
  • IUCN की रेड लिस्ट में इसे लीस्ट कंसर्न की श्रेणी में रखा गया है।
अभयारण्य के बारे में
  • रायगंज वन्यजीव अभयारण्य पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर ज़िले में स्थित है।
  • इस अभयारण्य को कुलिक पक्षी अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है, इसका यह नाम कुलिक नदी के नाम पर रखा गया है।
  • यह अभयारण्य हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • इस अभयारण्य में पक्षियों की 164 प्रजातियाँ पाई जाती है।
गिर वन्यजीव अभयारण्य

हाल ही में गुजरात के गिर वन्यजीव अभयारण्य में 10 से अधिक एशियाई शेरों की मौत हो गई।

  • वन अधिकारियों के अनुसार, इनमें से अधिकांश शेरों की मौत फेफड़ों के संक्रमण के कारण हुई जबकि कुछ की मौत आपस में लड़ाई में लगी चोटों के कारण हुई है।
अभयारण्य के बारे में
  • गिर वन्यजीव अभयारण्य 'बाघ संरक्षित क्षेत्र' है, जो 'एशियाई बब्बर शेर' के लिये विश्व प्रसिद्ध है।
  • यह अभयारण्य लगभग 1400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है जिसमें 258 किलोमीटर का क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संरक्षित है।
  • एशियाई शेर को बचाने के लिये सरकार ने 18 सितंबर, 1965 को सासन गिर की बड़ी भौगोलिक सीमा को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया।
  • 1969 में इसे अभयारण्य का दर्जा प्रदान कर दिया गया था।
  • 1975 में इसके 140.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
  • गिर अभयारण्य को एशियाई शेरों की अंतिम शरणस्थली माना जाता है।
  • दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्‍व का यही ऐसा एकमात्र स्थान है जहाँ शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में देखा जा सकता है।
  • यहाँ स्तनधारी जीवों की 30 प्रजातियाँ, सरीसृप वर्ग की 20 प्रजातियाँ और कीड़े-मकोड़ों तथा पक्षियों की भी अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
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