लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 21 नवंबर, 2018

  • 21 Nov 2018
  • 6 min read

विश्व धरोहर सप्ताह (World Heritage Week)

  • कुछ दशक पूर्व यूनेस्को द्वारा 19-25 नवंबर की अवधि को विश्व धरोहर सप्ताह के रूप में चिह्नित किये जाने के बाद से पूरी दुनिया में 19 से 25 नवंबर तक विश्व धरोहर सप्ताह मनाया जाता है।
  • इसका उद्देश्य अमूल्य धरोहरों के संरक्षण के बारे में जागरूकता को बढ़ाना और वास्तुशिल्प एवं सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाना है।
  • भारत में अब तक यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहरों की संख्या 37 है।

मतिबाबू डिवाइस (Matibabu Device)

हाल ही में मतिबाबू डिवाइस और एप्लीकेशन को 'इंजीनियरिंग इनोवेशन के लिये अफ्रीका पुरस्कार' 2018 (Africa Prize for Engineering Innovation) के तहत प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि यह पुरस्कार महाद्वीप पर इंजीनियरिंग नवाचार को समर्पित पुरस्कार है।

  • मतिबाबू डिवाइस मलेरिया का पता लगाने के लिये उपयोग की जाने वाली एक गैर-संक्रमणीय (non-invasive) परीक्षण किट है।
  • यह एक कम लागत वाली और पुन: प्रयोग की जा सकने वाली डिवाइस है जिसका उपयोग मलेरिया के त्वरित परीक्षण के लिये किया जा सकता है। इसे युगांडा में विकसित किया गया है।
  • 'मतिबाबू' एक स्वाहिली (Swahili) भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है ‘उपचार’।
  • मौजूदा परीक्षण विधियों जिनमें परीक्षण के लिये रक्त की आवश्यकता होती है, के विपरीत इस डिवाइस में परीक्षण के लिये रक्त की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इस डिवाइस को एक उँगली पर लगा दिया जाता है और 'प्रकाश तथा चुंबकत्व का उपयोग करके, प्रकाश की एक तरंग लाल रक्त कोशिकाओं के रंग, आकार और गाढ़ेपन (शरीर में मलेरिया परजीवी की उपस्थिति होने पर अक्सर ये सभी प्रभावित होते हैं) में परिवर्तन का पता लगाने के लिये उँगली को स्कैन करती है।
  • इस डिवाइस द्वारा किये गए परीक्षण का परिणाम एक मिनट के अंदर उपलब्ध होता है और इस परिणाम को डिवाइस से जुड़े मोबाइल फोन पर भेज दिया जाता है।
  • इस डिवाइस की एक विशेषता यह भी है कि इसका उपयोग करने के लिये किसी प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।
  • प्रतिष्ठित टाइम मैगज़ीन में भी 'मतिबाबू' को वर्ष 2018 के 50 सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया गया है।

रेडियो कश्‍मीर- इन टाइम्‍स ऑफ पीस एंड वार

हाल ही में ‘रेडियो कश्‍मीर- इन टाइम्‍स ऑफ पीस एंड वार’ (Radio Kashmir – In Times of Peace & War)  नामक पुस्‍तक का विमोचन किया गया।

  • यह पुस्तक डॉ. राजेश भट्ट ने लिखी है जो कि वर्तमान में आकाशवाणी, नई दिल्‍ली के नीति प्रभाग निदेशालय में कार्यरत हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. भट्ट ने 250 से अधिक अकादमिक शोधपत्र और लेख लिखे हैं।
  • ‘रेडियो कश्‍मीर- इन टाइम्‍स ऑफ पीस एंड वार’ नामक पुस्‍तक गहरे और विस्‍तृत शोध पर आधारित है तथा लेखक ने देश के कल्‍याण एवं सुरक्षा संबंधी विभिन्‍न मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सरकार और जनता के हितों की सुरक्षा के लिये मीडिया द्वारा निभाई गई अहम भूमिका को रेखांकित किया है।
  • वर्ष 1947 के बाद से सामाजिक और सांस्‍कृतिक ताने-बाने को कायम रखने में रेडियो कश्‍मीर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, जिसका उल्लेख इस पुस्‍तक में किया गया है।
  • पुस्‍तक में देशवासियों की सेवा करने, खासतौर से इस क्षेत्र के लोगों की सेवा करने तथा राज्‍य के लोकतांत्रिक संस्‍थानों को मज़बूत बनाने में रेडियो कश्मीर की भूमिका का भी उल्‍लेख किया गया है।

सोलर बबल ड्रायर

हाल ही में वैज्ञानिकों ने सोलर बबल ड्रायर (Solar Bubble Dryer -SBD) नामक अनाज  सुखाने की एक अभिनव तकनीक ओडिशा के किसानों के सामने प्रस्तुत की।

  • इस तकनीक का विकास फिलीपींस स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (International Rice Research Institute -IRRI), ग्रेनप्रो (Grainpro) (एक अग्रणी फसल बाद (post-harvest) समाधान प्रदान करने वाली कंपनी) और जर्मनी के होहेनहेम विश्वविद्यालय (University of Hohenheim) ने संयुक्त रूप से किया है।
  • SBD अनाज सुखाने के लिये एक कम लागत वाली तकनीक है जिसका उद्देश्य अनाज के बिखराव, जानवर और मौसम आदि से बचाते समय धूप में अनाज सुखाने की प्रक्रिया का एक सरल और लचीला विकल्प प्रदान करना है।
  • यह नई तकनीक इस प्रकार विकसित की गई है कि किसान मशीनरी को स्वयं ही विघटित कर सकते हैं तथा फिर से इसे जोड़ भी सकते हैं। इस मशीन के लिये सौर ऊर्जा और पारंपरिक बिजली दोनों से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2