प्रीलिम्स फैक्ट्स : 17 दिसंबर, 2018 | 17 Dec 2018
वीमैन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स ( Women Transforming India Awards)
नीति आयोग द्वारा 16 दिसंबर, 2018 को वीमैन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स के तीसरे संस्करण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान उन्नत महिला उद्यमिता प्लेटफार्म (Women Entrepreneurship Platform) का भी शुभारंभ किया गया।
थीम
इस वर्ष की थीम ‘महिलाएँ और उद्यमिता’ है।
उद्देश्य
- वीमैन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स का गठन समूचे भारत में महिलाओं की अनुकरणीय गाथाओं को प्रोत्साहन और पहचान देने के उद्देश्य से किया गया है।
अन्य प्रमुख बिंदु
- महिला उद्यमिता प्लेटफार्म न सिर्फ देश में उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन लाने के प्रयास करेगा बल्कि भविष्य में उभरती महिला उद्यमियों के लिये एकल संसाधन केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा।
- यह प्लेटफार्म अर्थव्यवस्था में विभिन्न हितधारकों को एकसाथ जोड़ने के साथ-साथ इनक्यूबेटर समर्थन, अनुपालन आदि जैसी एकीकृत सेवाएँ प्रदान करने का भी माध्यम भी बनता है।
- कार्यक्रम के दौरान ‘उद्यमी का परिप्रेक्ष्य: स्टार्टअप से वृद्धि तक और इसकी अग्रिम बढ़ोतरी: डब्ल्यूईपी एक प्लेटफार्म के रूप में कैसे सहायता कर सकता है’ जैसे विषयों पर विभिन्न सामूहिक चर्चाओं का आयोजन भी किया गया।
खजियार झील
हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले के खजियार (Khajjiar) को ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ कहा जाता है। पिछले कुछ समय से झील में भारी मात्रा में गाद जमा होने के कारण यह सिकुड़ती जा रही है। यह झील करीब दो हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली हुई है। हालाँकि, कई बार झील से गाद निकालने के प्रयास किये गए, लेकिन इसे पूरी तरह से गाद मुक्त नहीं किया जा सका। झील में सड़ रही घास के कारण दुर्गंध की समस्या ने इसकी खूबसूरती को और भी अधिक क्षति पहुँचाने का काम किया है।
‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ नाम कैसे पड़ा?
- 7 जुलाई, 1992 को स्विट्ज़रलैंड के तत्कालीन वाइस काउंसलर विली टी. ब्लेजर द्वारा खजियार को ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ नाम दिया गया। गौरतलब है कि विश्व भर के तकरीबन 160 बेहद सुंदर स्थानों को इस खिताब से नवाज़ा गया है।
खजियार झील
- खजियार का मुख्य आकर्षण चीड़ एवं देवदार के वृक्षों से ढ़की खजियार झील (Khajjiar Lake) है। पर्यटन की दृष्टि से यह झील बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- खजियार डलहौज़ी और चंबा ( Dalhousie and Chamba) के बीच करीब 1,920 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह झील देवदार के वृक्षों (cedar trees) से घिरे घास के मैदान (grassy landscape) में अवस्थित है।
- इसे यह नाम खज्जीनागा (Khajjinags) मंदिर के नाम पर दिया गया है। यहाँ नागदेव की पूजा होती है।
वन्यजीवन हेतु कृत्रिम द्वीप
- हाल ही में डच अभियंताओं ने वन्यजीवन की सहायता में एक कृत्रिम द्वीपसमूह का निर्माण किया है।
- पाँच द्वीपों के इस द्वीपसमूह को एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना के तहत बनाया गया है। जिसे बनाने में ढाई वर्ष का समय लगा है।
- इस द्वीप के प्रति जंगली बत्तख, अबाबील और बगुले की कई अन्य प्रजातियाँ आकर्षित हो रही हैं।
- मार्कर वैडन (Marker Wadden) नामक यह कृत्रिम द्वीप नीदरलैंड के मार्करमेर (Markermeer) झील में स्थित है।
- मार्करमेर (Markermeer) झील यूरोप की ताज़े पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है।
- 700 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ यह जल क्षेत्र जलीय जीवन से रहित हो गया था। इस कृत्रिम द्वीपसमूह के निर्माण ने इस क्षेत्र में जलीय जीवन की वापसी शुरू कर दी है।
- यह झील साउदर्न सी (southern sea) का हिस्सा हुआ करती थी। लेकिन 1932 में बाढ़ से निपटने के लिये इस क्षेत्र में कराए गए विशाल निर्माण कार्य ने कई हिस्सों में छोटी-छोटी झीलें और तालाब बना दिये जिससे जैव विविधता को भारी नुकसान पहुँचा था।
भारतीय डाक की दीन दयाल स्पर्श योजना (India Post’s Deen Dayal SPARSH Yojana)
- संचार मंत्रालय के अधीन डाक विभाग (Department of Posts, under Ministry of Communications) ने दीन दयाल स्पर्श (Scholarship for Promotion of Aptitude & Research in Stamps as a Hobby- SPARSH) योजना के तहत छात्रों के लिये एक छात्रवृत्ति प्रस्तुत की है।
- डाक टिकट संग्रह (philately) को प्रोत्साहन देने के लिये दीन दयाल स्पर्श योजना की शुरुआत की गई थी।
- स्पर्श योजना के तहत कक्षा VI से IX तक उन बच्चों को वार्षिक तौर पर छात्रवृत्ति दी जाएगी, जिनका शैक्षणिक परिणाम अच्छा है और जिन्होंने डाक टिकट संग्रह को एक रूचि के रूप में चुना है।
- यह पूरे भारत के स्कूली बच्चों के लिये छात्रवृत्ति योजना है।
मेघदूत पुरस्कार (Meghdoot Award)
- संचार मंत्रालय (Ministry of Communications) के अधीन भारतीय डाक विभाग ने ग्रामीण डाक सेवकों और विभाग के कर्मचारियों को मेघदूत पुरस्कार से सम्मानित किया।
- डाक कर्मचारियों के उच्च पुरस्कार के प्रदर्शन को चिन्हित करते हुए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये वर्ष 1984 में 'मेघदूत पुरस्कार' के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार योजना शुरू की गई।
- आधिकारिक काम के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये आठ श्रेणियों में यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।