प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स 13 सितंबर 2018
- 13 Sep 2018
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संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण (दिल्ली सर्किल) ने खिड़की मस्जिद परिसर से तांबे के 254 सिक्कों का खजाना खोजा है। उल्लेखनीय है कि 2003 में भी इसी परिसर की सफाई और संरक्षण के दौरान 63 सिक्के मिले थे।
प्रारंभिक जाँच के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ये सिक्के शेरशाह सूरी और उनके उत्तराधिकारियों के शासनकाल के हैं।
खिड़की मस्जिद के बारे में- यह मस्जिद खिड़की गाँव (नई दिल्ली) के दक्षिणी छोर पर स्थित है।
- मस्जिद का निर्माण फिरोज शाह तुगलक (1351-88) के प्रधानमंत्री खान-ए-जहान जुनान शाह ने करवाया था। माना जाता है कि यह मस्जिद उनके द्वारा निर्मित 7 मस्जिदों में से एक है।
- यह मस्जिद खुरदुरे पत्थरों से बनी 2 मंजिला इमारत है जिसकी निचली मंजिल पर कई छोटी-छोटी कोठरियाँ बनी हुई हैं।
- चारों कोनों पर खंभे हैं, जिनसे यह इमारत बहुत मज़बूत प्रतीत होती है।
- पश्चिम दिशा को छोड़कर मस्जिद में तीन दरवाज़े हैं और चारों तरफ मीनारें बनी हुई हैं। मुख्य दरवाज़ा पूर्व की दिशा में खुलता है।
- ऊपरी मंजिल पर झिर्रीदार खिड़कियाँ बनी हैं, जिसके कारण इसका नाम खिड़की मस्जिद पड़ा।
हाल ही में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने क्षमता विकास योजना को 2,250 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ 2017-18 से 2019-20 की अवधि तक जारी रखने के लिये अपनी मंज़ूरी दे दी है।
योजना के बारे में- क्षमता विकास योजना सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी केंद्रीय योजना है।
- इस योजना का उद्देश्य नीति निर्माताओं तथा लोगों के लिये विश्वसनीय और समय पर सरकारी सांख्यिकी उपलब्ध कराने हेतु संरचनात्मक, तकनीकी और मानव संसाधन को मज़बूत बनाना है।
- क्षमता विकास योजना के अंतर्गत सकल घरेलू उत्पाद (GDP), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), औद्योगिक उत्पादन सूचकाकं (IIP), सांख्यिकीय वर्गीकरण, विभिन्न सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कार्य करने, क्षमता सृजन तथा सांख्यिकी समन्वय को मज़बूत बनाने और आईटी अवसंरचना में सुधार करने जैसी महत्त्वपूर्ण गतिविधियाँ चलाई जा रही हैं।
- योजना के अंतर्गत अप्रैल, 2017 में सामयिक श्रम बल सर्वेक्षण तथा पूरे देश के लिये (शहरी और ग्रामीण क्षेत्र) श्रम डेटा एकत्रीकरण कार्य लॉन्च किया गया।
- क्षमता विकास योजना के अंतर्गत दो उप-योजनाएँ हैं- आर्थिक गणना और सांख्यिकीय मज़बूती के लिये समर्थन (Support for Statistical Strengthening- SSS)।
आर्थिक जनगणना
- आर्थिक जनगणना के अंतर्गत समय-समय पर सभी गैर-कृषि प्रतिष्ठानों को सूचीबद्ध करने का काम किया जाता है जो विस्तृत सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का आधार होता है।
- अंतिम (61) आर्थिक गणना जनवरी, 2013 से अप्रैल, 2014 तक की गई और अब भविष्य में सरकार का इरादा तीन वर्ष में एक बार सर्वेक्षण कराना है।
सांख्यिकीय मज़बूती के लिये समर्थन
- यह उप-योजना राज्य/उप-राज्य स्तर के सांख्यिकीय प्रणालियों/अवसंरचना को मज़बूत करने के लिये है ताकि मज़बूत राष्ट्रीय प्रणाली विकसित करने में सहायता मिल सके।
- राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रस्तावों के विस्तृत परीक्षण के बाद राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कोष जारी किया जाता है।
नियमित रूप जारी गतिविधियों के अतिरिक्त सेक्टरों/क्षेत्रों के बेहतर सांख्यिकी कवरेज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने क्षमता विकास योजना के अंतर्गत तीन नए सर्वेक्षण कराने का प्रस्ताव किया है। ये सर्वेक्षण हैं-
- समय उपयोग सर्वेक्षण (Time Use Survey- TUS)
- सेवा क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (Annual Survey of Service Sector Enterprises- ASSSE)
- गैर-निगमित क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (Annual Survey of Unincorporated Sector Enterprises- ASUSE)।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर पूरे देश में ऐतिहासिक मंदिरों की प्रतिकृतिययाँ बनाने की 75 वर्षीय परंपरा का अनुसरण करते हुए दगडूशेठ गणपति मंदिर ट्रस्ट ने इस वर्ष तंजौर के प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर की प्रतिकृति में दगडूशेठ गणपति की प्रतिमा को स्थापित किया है।
दगडूशेठ मंदिर के बारे में- अपनी आतंरिक संरचना और सुनहरी मूर्ति के लिये प्रसिद्ध दगडूशेठ गणपति मंदिर की स्थापना 1893 में दगडूशेठ हलवाई ने की थी।
- वर्तमान में पूरे महाराष्ट्र में मनाए जाने वाले गणपति उत्सव की शुरुआत इसी मंदिर से हुई थी।
- तमिलनाडु के तंजौर ज़िले में स्थित ब़ृहदेश्वर मंदिर चोल वास्तुकला का शानदार उदाहरण है, जिसका निर्माण महाराजा राजाराज प्रथम द्वारा कराया गया था। उनके नाम पर ही इसे राजराजेश्वर मंदिर नाम भी दिया गया है।
- इस मंदिर के चारों ओर सुंदर अक्षरों में नक्काशी द्वारा लिखे गए शिलालेखों की एक लंबी श्रृंखला शासक के व्यक्तित्व की अपार महानता को दर्शाते हैं।
- यह मंदिर ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है और अधिकांशत: पत्थर के बड़े खण्ड इसमें इस्तेमाल किये गए हैं।
- इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती।
- इसके शिखर पर एक स्वर्णकलश स्थित है। जिस पत्थर पर यह कलश स्थित है, उसका वजन अनुमानत: 80 टन है और यह एक ही पाषाण से बना है।
- इस मंदिर की उत्कृष्टता के कारण ही यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर का दर्ज़ा दिया है।