प्रीलिम्स फैक्ट्स : 31 मार्च, 2018
स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप
स्वच्छ भारत अभियान के आयोजक और समन्वयक पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ मिलकर ‘स्वच्छ भारत समर इंटर्नशिप (SBSI), 2018’ की पहल की है, जिसका उद्देश्य गर्मियों की छुट्टियों के दौरान कॉलेज के युवाओं को गाँवों में स्वच्छता से जुड़े कार्यों से जोड़ना है।
- यह प्रधानमंत्री द्वारा 2 अक्तूबर, 2014 को किये गए आह्वान के अनुरूप है।
- एसबीएसआई का उद्देश्य देश भर के लाखों शिक्षित युवाओं में स्वच्छता क्षेत्र के लिये कौशल विकसित करना, जन-जागरूकता का प्रसार और स्वच्छ भारत अभियान के लिये जनांदोलन को मज़बूती प्रदान करना है।
- इंटर्नशिप की शर्तों के अंतर्गत हर अभ्यर्थी को गाँवों और उनके आसपास के इलाकों में श्रमदान, स्वच्छता बुनियादी ढाँचा तैयार करने, व्यवस्था बनाने, व्यवहारगत बदलाव के लिये अभियान और अन्य आईईसी पहलों सहित विभिन्न गतिविधियों पर 100 घंटों तक काम करने की ज़रूरत होगी।
- इंटर्नशिप के दिशा-निर्देशों को उच्च शिक्षा विभाग के साथ परामर्श से तैयार किया जा रहा है। सर्वश्रेष्ठ इंटर्नशिप को कॉलेज, महाविद्यालय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जाएगी।
- एसबीएसआई को पूरा करने वाले हर इंटर्न को स्वच्छ भारत अभियान द्वारा एक इंटर्नशिप प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाएगा।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उन उच्च शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों को च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के अंतर्गत 2 क्रेडिट प्वाइंट्स उपलब्ध कराने पर सहमत हो गया है, जो SBSI को कराएंगे और उसे पूरा करेंगे।
सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) एक वेब आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है, जिसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के तकनीकी सहयोग से महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के कार्यालय द्वारा विकसित एवं क्रियान्वित किया गया है।
- पीएफएमएस का मुख्य उद्देश्य एक बेहतर कोष प्रवाह प्रणाली के साथ-साथ भुगतान सह लेखांकन नेटवर्क की स्थापना कर भारत सरकार के लिये एक मजबूत सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करना है।
- भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के एक हिस्से के रूप में पीएफएमएस विभिन्न हितधारकों को वास्तविक समय पर एक विश्वसनीय एवं सार्थक प्रबंधन सूचना प्रणाली और एक कारगर निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) मुहैया कराती है।
- पीएफएमएस की सबसे बड़ी खासियत देश के बैंकिंग नेटवर्क के साथ इसका एकीकरण करना है। इसके परिणामस्वरूप पीएफएमएस में एक अनोखी क्षमता है जिसकी बदौलत वह देश भर में किसी भी बैंक में खाता रखने वाले लगभग सभी लाभार्थियों/वेंडरों को ऑनलाइन भुगतान कर सकता है।
- भारत सरकार के केंद्रीय क्षेत्र की सभी योजनाओं के लिये सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली के अनिवार्य (पीएफएमएस) उपयोग से क्रियान्वयनकारी एजेंसियों तक धनराशि के होने वाले प्रवाह की निगरानी की जा सकेगी।
- पीएफएमएस के ज़रिये धनराशि की निगरानी संभव होने से यह पता लगाया जा सकता है कि केंद्र एवं राज्य सरकारों की क्रियान्वयनकारी एजेंसियों द्वारा धनराशि के उपयोग की वास्तविक स्थिति क्या है?
|
चिपको आंदोलन
26 मार्च, 2018 को Google द्वारा चिपको आंदोलन की 45वीं वर्षगाठ पर इसे अपने डूडल में स्थान दिया गया।
चिपको आंदोलन क्या है?
- खेजड़ली (जोधपुर) राजस्थान में 1730 के आस-पास अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में लोगों ने राजा के आदेश के विपरीत पेड़ों से चिपककर उनको बचाने के लिये आंदोलन चलाया था। इसी आंदोलन ने आज़ादी के बाद हुए चिपको आंदोलन को प्रेरित किया, जिसमें चमोली, उत्तराखंड में गौरा देवी सहित कई महिलाओं ने पेड़ों से चिपककर उन्हें कटने से बचाया था।
‘अप्पिको आंदोलन’ की तर्ज पर
- दक्षिण भारत में भी चिपको आंदोलन की तर्ज़ पर 1983 में ‘अप्पिको आंदोलन’ शुरू हुआ। 38 दिनों तक चलने वाले इस आंदोलन में भी उत्तरी कर्नाटक के गाँवों में महिलाओं ने पेड़ों को गले लगाकर उनकी रक्षा की थी।
- नर्मदा बचाओ आंदोलन और साइलेंट वैली आंदोलन में भी महिलाओं ने सराहनीय भूमिका निभाई है। महिलाओं पर पर्यावरणीय मुद्दों के प्रभावों को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-
♦ जिन इलाकों में अंधाधुंध पेड़ काटे जा रहे हैं, उन इलाकों में जलावन लकड़ी के लिये महिलाओं को दूर तक भटकना पड़ता है। ♦ वहीं कई लघु व कुटीर उद्योगों को कच्चा माल भी इन्हीं वनों से प्राप्त होता है, जो महिलाओं के रोज़गार को भी प्रभावित करता है। ♦ रेगिस्तानी, पठारी और पहाड़ी प्रदेशों में जहाँ जल की भीषण कमी है, वहाँ महिलाओं को जल की व्यवस्था करने के लिये कई किलोमीटर पैदल चलना होता है इत्यादि।
|
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान
आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने मानव संसाधन मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान’ (RUSA) को 01 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2020 तक जारी रखने को मंज़ूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है जिसे राज्यों की पात्र उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं को वित्तपोषित करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में प्रारंभ किया गया था।
- सभी उपघटकों के लिये सार्वजनिक वित्तपोषित संस्थानों में परियोजना खर्च केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा साझा तौर पर वहन किया जाता है।
- यह अनुपात पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिये 90:10, अन्य राज्यों और विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 60:40 तथा बिना विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 100:0 है।
- योजना अपने दूसरे चरण में है। इसका लक्ष्य 70 नए आदर्श डिग्री कॉलेजों और 8 नए व्यावसायिक कॉलेजों की स्थापना करना है। इसके अतिरिक्त योजना चुने हुए 10 राज्य विश्वविद्यालयों और 70 स्वायत्तशासी कॉलेजों की गुणवत्ता और उत्कृष्टता में बढ़ोतरी करेगा। इस संबंध में 50 विश्वविद्यालयों और 750 कॉलेजों को संरचना समर्थन प्रदान करेगी।
- RUSA, 2020 तक देश के कुल नामांकन अनुपात को तीस प्रतिशत तक बढ़ाने के साथ ही राज्य सरकारों द्वारा उच्च शिक्षा में खर्च में बढ़ोतरी करने के लिये भी प्रयास करेगा।
- अन्य बातों के अलावा यह सामाजिक रूप से वंचित समुदायों को उच्च शिक्षा के लिये उचित अवसर प्रदान कर उच्च शिक्षा में समानता को बढ़ावा देगा।
- इसके तहत महिलाओं, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग तथा दिव्यांगजनों के समावेश को प्रोत्साहित करेगा।
|