प्रीलिम्स फैक्ट्स : 31 जनवरी, 2018 | 31 Jan 2018

मछलियों में अमोनिया तथा फॉर्मेल्‍डहाइड की जाँच हेतु परीक्षण किट

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज़ टेक्नोलॉजी (CIFT) कोच्चि द्वारा विकसित मछलियों में रासायनिक मिलावट या छिड़काव का पता लगाने वाली त्‍वरित परीक्षण किट (सिफ्टेस्‍ट) को लॉन्च किया। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मछली का सेवन स्‍वास्‍थ्‍य के लिये अत्‍यंत लाभकारी होता है। मछलियाँ जल्दी खराब हो जाती हैं इसलिये उनका लंबे समय तक भंडारण नहीं किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • मछलियों को जल्दी खराब होने से बचाने और बर्फ में फिसलन खत्म करने के लिये अमोनिया तथा फॉर्मेल्‍डहाइड का इस्तेमाल किया जाता है। जाँच किट मछिलयों में दोनों रसायनों की उपस्थिति का पता लगा सकती है। 
  • भारतीय घरेलू मत्‍स्‍य बाज़ार में फॉर्मेल्‍डहाइड तथा अमोनिया युक्‍त मत्‍स्‍य के व्रिकय होने की सूचनाएँ आए दिन प्राप्त होती हैं, विशेषत: उन बाज़ारों में जो उत्‍पादन केंद्रों से दूर-दराज़ वाले स्थानों में स्थित हैं।
  • अमोनिया तथा फॉर्मेल्‍डहाइड के सेवन से मनुष्यों में अनेक स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याएँ जैसे- पेट दर्द, वमन, बेहोशी उत्‍पन्‍न हो जाती हैं, कभी-कभी तो इससे व्यक्ति की मृत्‍यु भी हो सकती है।
  • फॉर्मेल्‍डहाइड एक कैंसर उत्‍प्रेरित करने वाला रसायन है, इसलिये मत्‍स्‍य परिरक्षण में इसका उपयोग चिंतनीय है। अतः मछलियों में अमोनिया तथा फॉर्मेल्‍डहाइड का सेवन स्वास्थ्य के लिये खतरा है तथा जिसे रोकना आवश्यक है। 
  • आपको बता दें कि मत्‍स्‍य परिरक्षण के लिये किसी भी रसायन का उपयोग पूर्णत: वर्जित है।

किट की विशेषताएँ

  • उपभोक्‍ता को दूषित पदार्थों की जाँच के लिये ऐसी तकनीक की आवश्यकता है, जो संवेदनशील सुवाद्य होने के साथ-साथ शीघ्रता से दूषित पदार्थों का पता लगा सके। 
  • इन पहलुओं को ध्‍यान में रखकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अमोनिया तथा फॉर्मेल्‍डहाइड की त्‍वरित जाँच हेतु परीक्षण किटों को तैयार किया गया है।
  • इन किटों का प्रयोग उपभोक्‍ता सरल तरीकों से कर सकता है। किट के भीतर कागज़ की पट्टियाँ, रासायनिक द्रव्‍य तथा परिणाम जानने के लिये एक मानक चार्ट दिया गया है।
  • मत्‍स्‍य परिरक्षण के लिये मात्र मानकीकृत मत्‍स्‍य प्रसंस्‍करण, संग्रहण, परिवहन एवं विपणन के कोल्‍ड चेन का यथोचित प्रयोग करना चाहिये। 
  • राष्‍ट्रीय एवं अंर्तराष्‍ट्रीय विनियमों के अनुसार, मत्‍स्‍य उत्पादों को सिर्फ बर्फ के माध्‍यम से संरक्षित किया जाना चाहिये। 

इहसान डॉगरामाकी फैमि‍ली हेल्‍थ फाउंडेशन पुरस्‍कार

नी‍ति आयोग के सदस्‍य डॉ. विनोद पॉल को विश्‍व स्‍वास्‍थ्य संगठन (World Health Organisation -WHO) द्वारा प्रतिष्ठित इहसान डॉगरामाकी फैमि‍ली हेल्‍थ फाउंडेशन पुरस्‍कार (IhsanDoğramacı Family Health Foundation Prize) से सम्‍मानित किया गया है।

यह सम्‍मान प्राप्‍त करने वाले वे पहले भारतीय है। उन्हें यह पुरस्‍कार परिवार स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिये प्रदान किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • डॉ. पॉल ने परिवार स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में नवजात शिशुओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर विशेष कार्य किया है। 
  • विशेषकर विकासशील देशों के परिवारों के स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण को बेहतर बनाने के लिये उनका विशिष्‍ट योगदान रहा है।
  • डॉ. पॉल के प्रयासों से लंबे समय से उपेक्षित नवजात शिशुओं के स्‍वास्‍थ्‍य-मुद्दे को सहस्राब्‍दी विकास लक्ष्‍य (एमडीजी) और सतत् पोषणीय विकास लक्ष्‍य (एसडीजी) के अंतर्गत लाया जा सका है।
  • विश्‍व स्तर पर परिवार स्‍वास्‍थ्‍य के लिये उपयोग में लाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण दस्‍तावेज़ों को उपलब्‍ध कराने के रूप में भी उनका अमूल्‍य योगदान रहा है।
  • वर्ष 2005-06 के दौरान मातृ, नवजात और बाल स्‍वास्‍थ्‍य को एक साथ जोड़ने में भी डॉ. पॉल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

इहसान डॉगरामाकी फैमि‍ली हेल्‍थ फाउंडेशन पुरस्‍कार

  • प्रोफेसर इहसान डॉगरामाकी (Ihsan Doğramacı) द्वारा वर्ष 1980 में इस फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। ये पेशे से एक बाल रोग विशेषज्ञ और बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञ थे।
  • इस फाउंडेशन का मुख्य लक्ष्य परिवार स्वास्थ्य के स्तर में वृद्धि करने एवं प्रोत्साहन देने के साथ-साथ  इस क्षेत्र में प्रतिष्ठित सेवा देने वाले व्यक्तियों की पहचान करना है। 
  • फाउंडेशन द्वारा हर दो साल में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य पुरस्कार प्रदान किया जाता है, जिसमें स्वर्ण की परत वाले रजत पदक के साथ-साथ पारिवारिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवाओं के लिये एक प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया जाता है।
  • किसी भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रशासन, यूनिसेफ (United Nations Children's Fund -UNICEF) के कार्यकारी निदेशक और अंकारा (Ankara) के ब्यूरो प्रमुख के साथ-साथ पूर्व में पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता व्यक्ति द्वारा फाउंडेशन चयन पैनल को पुरस्कार के लिये उम्मीदवारों के नाम का प्रस्ताव पेश किया जाता है।

सुपरकंडक्टिंग स्विच “सिनैप्स”

अमेरिका स्थित द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्त्ताओं द्वारा एक ऐसा सुपरकंडक्टिंग  स्विच विकसित किया गया है जिससे कंप्यूटर किसी भी कार्य को ठीक उसी रूप में सीख सकेगा जिस रूप में उस कार्य को कोई मनुष्य सीखता है।

प्रमुख बिंदु

  • कंप्यूटर को मनुष्यों की तरह काम करने में सक्षम बनाने वाले इस स्विच का नाम सिनैप्स है।
  • यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही एक नया रूप है।
  • इस नई तकनीक के विकास से जहाँ एक ओर कंप्यूटर की निर्णयन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर इसके कार्य करने की गति में भी इज़ाफा होगा।
  • इसके अतिरिक्त इस स्विच की सहायता से कंप्यूटर को ऐसे प्रोसेसर से भी जोड़ा जा सकता है जो स्वयं निर्णय लेने में सक्षम हो।
  • इससे कंप्यूटर किसी भी कार्य को स्वयं निर्णयन से करने के लिये मेमोरी को स्टोर कर सकता है।
  • इस तकनीक को स्वचालित कारों एवं कैंसर की जाँच जैसे कार्यों हेतु भी प्रयोग किया जा सकता है।
  • यह तकनीक एक लचीली आंतरिक संरचना पर आधारित है, जिसे आस-पास के वातावरण के अनुरूप संचालित किया जा सकता है।
  • यह तकनीक मानव मस्तिष्क की अपेक्षा कहीं अधिक तेज़ी से कार्य करने में सक्षम है।

एशिया का सबसे बड़ा टेस्टिंग ट्रैक

मध्य प्रदेश के धार ज़िले (पीथमपुर) में एशिया के सबसे बड़े ऑटो टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण किया गया है। इस ट्रैक पर ऑटो मोबाइल कंपनियों द्वारा नए वाहनों का परीक्षण करने के साथ-साथ इसका इस्तेमाल रिसर्च एवं डेवलपमेंट कार्यों के लिये भी किया जाएगा

  • इस ट्रैक का निर्माण केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय एवं मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से साथ मिलकर किया गया है।
  • एक जानकारी के अनुसार, देश के अन्य भागों जैसे-इंदौर, मानेसर, सिल्चर, पुणे एवं अहमदनगर में भी इस प्रकार के ट्रैकों का निर्माण किया जा रहा है। 

विशेषताएँ

  • इन ट्रैकों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है
  • इन पर वाहनों के सामूहिक परीक्षण के साथ-साथ वाहनों के मूल्यांकन, शोध, विकास एवं मानकीकरण संबंधी सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है।
  • इसके अतिरिक्त इस ट्रैक पर कंप्यूटर एवं इंजीनियरिंग के साथ-साथ इंस्ट्रूमेंटेशन, पावर ट्रेन प्रयोगशाला, उपभोक्ता कार्यशाला तथा सामान्य भंडारण जैसी सुविधाएँ भी प्रदान की गई हैं।
  • पीथमपुर ट्रैक पर हाई स्पीड ट्रैक को छोड़कर बाकी के सभी ट्रैक उपयोग के लिये पूरी तरह से तैयार है।
  • इन ट्रैकों पर 200 किमी. घंटा (न्यूनतम) से 300 किमी. घंटा (अधिकतम) रफ्तार वाले वाहनों का परीक्षण किया जा सकता है।