प्रीलिम्स फैक्ट्स : 30 अप्रैल, 2018
पाक कला में पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिये पर्यटन राज्य मंत्रालय द्वारा भारतीय पाक कला संस्थान (Indian Culinary Institute - ICI) के नोएडा परिसर का उद्घाटन किया गया। यह संस्थान आतिथ्य क्षेत्र में विशेषज्ञ कुशल मानव शक्ति बनाने तथा पाक कला में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन के संकल्प के अनुरूप है।
- विश्व के जाने-माने रसोइयों के निर्देशन और सुझावों के अनुरूप इस संस्थान की परिकल्पना की गई है और आशा है कि यह संस्थान विश्व के श्रेष्ठ संस्थान के रूप में उभरेगा।
- यह संस्थान अपने किस्म का पहला संस्थान है और यह राष्ट्र का गौरव साबित होगा।
- विश्व स्तरीय संस्थान के विचार में इस क्षेत्र के विशेषज्ञों, जाने-माने रसोइयों तथा अधिकारियों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- पर्यटन को बढ़ावा देने में पाक कला महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यह संस्थान पाक कला में प्रलेखन तथा अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- आईसीआई पाक कला में डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाता है। स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम जुलाई से शुरू होने वाले अकादमिक वर्ष से प्रारंभ होंगे।
- आईसीआई के नोएडा परिसर में आधुनिक भारतीय पाक कला संग्रहालय होगा, जिसमें समृद्ध ऐतिहासिक और विविध पाक कला प्रयोजन तथा अन्य साहित्य दिखाए जाएंगे।
- आईसीआई नोएडा परिसर और भवन 2,31,308 वर्ग फीट क्षेत्र में बनाया गया है। विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ इसको बनाने मे दो वर्ष का समय लगा है।
बार-बार रीसाइकल हो सकने वाला अनोखा प्लास्टिक
वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसा प्लास्टिक तैयार किया गया है जिसे आप जितनी बार चाहें उतनी बार रीसाइकिल कर सकते हैं। इसके लिये किसी हानिकारक रसायन की भी ज़रूरत नहीं है। इससे सालों तक ज़मीन और समुद्र में पड़े रहकर पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले प्लास्टिक का निपटारा करने में आसानी होगी।
- अमेरिका की कोलोराडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा प्लास्टिक की तरह हल्के, मज़बूत, टिकाऊ और तापमान प्रतिरोधी पॉलीमर की खोज की गई है।
- इससे बनाए गए प्लास्टिक को जितनी बार चाहें उतनी बार इसके वास्तविक अणु की अवस्था में बदलकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
- पॉलीमर का प्रयोग प्लास्टिक, फाइबर, रबर, कोटिंग और अन्य व्यावसायिक उत्पाद बनाने में किया जाता है।
- पुरानी पीढ़ी के पॉलीमर प्लास्टिक से काफी मुलायम होते थे और तापमान के प्रति उनकी प्रतिरोधी क्षमता भी कम होती थी। लेकिन नई पीढ़ी का यह पॉलीमर इससे काफी अलग है।
- कमरे के तापमान पर और बहुत थोड़ी मात्रा में कैटेलिस्ट (उत्प्रेरक) का प्रयोग कर ही इससे प्लास्टिक बनाया जा सकता है।
- इससे ग्रीन प्लास्टिक यानी पर्यावरण के लिये सुरक्षित प्लास्टिक के निर्माण के रास्ते खुल जाएंगे। सालों तक ज़मीन और समुद्र में पड़े रहे प्लास्टिक को आसानी से डी-पॉलीमराइज़ कर रीसाइकिल किया जा सकेगा। पेट्रोलियम से बने प्लास्टिक से यह संभव नहीं था।
- फिलहाल इसे केवल लैब में तैयार किया गया है। बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन के लिये अभी और शोध किया जाना शेष है।
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‘भू-परीक्षक’ से 40 सेकेंड में मिट्टी की जाँच
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) की वित्तीय सहायता से किसानों की सहायता हेतु एक डिजिटल यंत्र तैयार किया है। किसानों की सबसे बड़ी समस्या उर्वरक चयन को लेकर होती है। यही कारण है की वह दुकानदारों की सलाह पर इसका चयन करते हैं। कई बार यह फैसला गलत साबित हो जाता है, जिसका खामियाजा कम उपज, मृदा की उर्वरा क्षमता में कमी के रूप में सामने आता है।
- कृषि विश्वविद्यालय और तकनीकी संस्थानों में पुराने ढर्रे पर ही मिटटी की जाँच की जाती है और इस जाँच की रिपोर्ट्स के लिये किसानों को लंबे समय तक इंतज़ार करना पड़ता है।
- परंतु, अब इस यंत्र के बनने के बाद किसान खेत में ही मिट्टी की जाँच कर यह पता लगा सकेंगे कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्त्वों की कमी हो रही है, ऐसा कर यह जानना आसान हो जाएगा कि किस प्रकार के उर्वरकों का चयन किया जाना चाहिये।
- इस यंत्र की सहायता से एक हेक्टेयर खेत की जाँच करने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है।
- इसके लिये 10 ग्राम मिट्टी को 100 ग्राम पानी में घोला जाता है। उसे फिर छलनी की सहायता से छानकर दूसरे गिलास में रख लिया जाता है। यंत्र के एक सिरे को गिलास के अंदर डाला जाता है, जबकि दूसरे छोर पर मोबाइल को संबद्ध किया जाता है। करीब 40 सेकेंड के अंदर मोबाइल स्क्रीन पर मिट्टी की गुणवत्ता की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाती है।
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एडॉप्ट ए हेरिटेज के तहत लाल किला एवं गंदिकोटा किला को लिया गया गोद
कॉर्पोरेट समूह डालमिया भारत ने ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ (Adopt a Heritage) योजना के तहत दिल्ली स्थित लाल किला तथा आंध्र प्रदेश के कदपा ज़िला स्थित गंदिकोटा किला को गोद लिया है।
- इस योजना के तहत अगले पाँच साल तक डालमिया भारत इन विरासत स्थलों में बुनियादी एवं आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने के साथ-साथ इनके संचालन तथा रख-रखाव की ज़िम्मेदारी भी निभाएगा।
- इस समझौते के तहत डालिमया भारत छह महीने के भीतर लाल किला में ज़रूरी सुविधाएँ जैसे- एप बेस्ड गाइड, डिजिटल स्क्रिनिंग, फ्री वाईफाई, डिजिटल इंटरैक्टिव कियोस्क, पानी की सुविधा, टेक्टाइल मैप, रास्तों पर लाइटिंग, बैटरी से चलने वाले वाहन, चार्जिंग स्टेशन, सर्विलांस सिस्टम, आदि उपलब्ध कराएगा।
- पर्यटन मंत्रालय द्वारा विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर 27 सितंबर, 2017 को ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ की शुरुआत की गई थी।
- यह भारतीय पर्यटन मंत्रालय, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग तथा राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के मध्य पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु शुरू की गई एक सहयोगी योजना है।
- इसमें हमारे धनी और विविध विरासत स्मारकों को पर्यटन मैत्री बनाने की क्षमता है।
- यह योजना भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के प्रमुख स्मारकों में शुरू की गई है, जिसके तहत अभी तक देश के 95 स्मारकों को शामिल किया जा चुका है।
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