प्रीलिम्स फैक्ट्स : 29 मार्च, 2018
अजमेर में राजस्थान का पहला मेगा फूड पार्क
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution) द्वारा राजस्थान के अजमेर में रूपनगण गाँव में पहले मेगा फूड पार्क (Food Park) का उद्घाटन किया गया। 113.57 करोड़ रुपए की लागत से बने इस मेगा फूड पार्क से अजमेर और पड़ोसी ज़िलों के लगभग 25 हज़ार किसानों को लाभ मिलेगा।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इस मेगा फूड पार्क के केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (Central Processing Centre - CPC) में बनाई गई सुविधाओ में 5 हज़ार मीट्रिक टन का शीतगृह, 2550 मीट्रिक टन की क्षमता का डीप फ्रीज, 2 मीट्रिक टन/घंटे का आईक्यूएफ, 2500 मीट्रिक टन कच्चे माल के लिये ड्राई गोदाम और 5 हज़ार मीट्रिक टन तैयार माल के लिये ड्राइ गोदाम, 6500 मीट्रिक टन के साइलो, 10 मीट्रिक टन/घंटे के पैक हाउस, 8 मीट्रिक टक की क्षमता का स्टीम जनरेटर और अन्य संबधित प्रंसस्करण सुविधाएँ शामिल हैं।
- इस मेगा फूड पार्क से 25 से 30 खाद्य प्रंसस्करण इकाइयों में 250 करोड़ रुपए का अतिरिक्त निवेश होगा और वार्षिक कारोबार 450 से 500 करोड़ रुपए तक हो सकेगा।
- यह पार्क प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 5000 व्यक्तियों को रोज़गार प्रदान करेगा और CPC और PPC पहुँच वाले क्षेत्रों में लगभग 2500 किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
- इस पार्क में निर्मित आधुनिक अवसंरचना से राजस्थान और इससे जुड़े हुए क्षेत्रों के किसान, उत्पादक, संसाधक और ग्राहकों को अत्यधिक लाभ मिलेगा और यह राजस्थान राज्य में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में वृद्धि को बढ़ावा देगा।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय खाद्य प्रसंस्करण के लिये समूह आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से मज़बूत और पिछड़े क्षेत्रों के साथ खेत से बाज़ार तक मूल्य श्रृंखला सहित मेगा फूड पार्क का सृजन कर रहा।
- यह क्षेत्र प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना की फ्लैगशिप योजना के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से आगामी वर्षों में किसानों की आय को दोगुना करने के लिये योगदान करेगा।
सौरमंडल के बाहर खोजा गया अत्यधिक गर्म ग्रह
हाल ही में फ़्राँस और ब्रिटेन के खगोलविदों को अंतरिक्ष के रहस्यमय संसार के विषय में एक और सफलता हाथ लगी है। खगोलविदों द्वारा सौरमंडल से 26 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर एक अत्यधिक गर्म ग्रह को खोजने में सफलता हासिल की है।
- धातु की तरह दिखने वाले इस के2-22 बी ग्रह का आकार पृथ्वी की तुलना में 20 फीसदी अधिक है। इस नए ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी की तुलना में ढाई गुना अधिक है। यह ग्रह “के” नामक एक छोटे तारे की परिक्रमा करता है।
- इसे एक परिक्रमा करने में तकरीबन 14 घंटे का समय लगता है। तारे के समीप होने के कारण दिन के समय इसका तापमान दो हज़ार डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर चला जाता है।
- के2 -229 बी के साथ-साथ दो अन्य तारे भी देखे गए जो “के” नामक तारे की परिक्रमा करते हुए पाए गए।
- इन तीनों ग्रहों और तारों के बीच की दुरी हमारे सौरमंडल के बुध ग्रह और सूर्य के बीच की दुरी से भी कम है। इस संबंध में खगोलविदों द्वारा बहुत से अनुमान व्यक्त किये जा रहे हैं।
- एक अनुमान के अनुसार, जिस प्रकार पृथ्वी और मंगल ग्रह की टक्कर से चंद्रमा की उत्पत्ति हुई होगी, इसी तरह से इस ग्रह की भी उत्पत्ति हुई होगी।
- फ़्राँस की एक्स-मार्सेली यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक के खगोलविदों द्वारा के 2 टेलिस्कोप की सहायता से इस नए ग्रह की खोज की गई है।
- इस ग्रह की बहुत सी विशेषताएँ बुध ग्रह के समान हैं। यही कारण है कि यह ग्रह खगोलविदों के लिये आश्चर्य और शोध का विषय बन गया है।
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नूहं देश का सबसे पिछड़ा ज़िला
हाल ही में नीति आयोग द्वारा एक सूची जारी की गई है जिसमें विकास के नज़रिये से देश के सबसे पिछड़े ज़िलों का उल्लेख किया गया है। इस सूची में हरियाणा के नूहं (मेवात) को देश के सबसे पिछड़े ज़िले के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- इसके बाद तेलंगाना के आसिफाबाद, मध्य प्रदेश के सिंगरौली, नगालैंड के किफिरे और उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती ज़िले को देश के सबसे पिछड़े पाँच ज़िलों में शामिल किया गया है।
- इस रैंकिंग का उद्देश्य इन ज़िलों में आपसी प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाकर विकास के लिये प्रोत्साहित करना है।
- आयोग द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, कृषि, जल संसाधन, आधारभूत बुनियादी ढाँचे वित्तीय समावेशन तथा कौशल विकास जैसे क्षेत्रों के 49 विकास मानकों के आधार पर देश के 101 पिछड़े ज़िलों की रैंकिंग की गई। सरकार द्वारा इन ज़िलों को ‘आकांक्षापूर्ण ज़िले’ (Aspirational Districts) नाम दिया गया।
- इन ज़िलों में केंद्र एवं राज्य की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु प्रभारी संयुक्त सचिव एवं अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को नियुक्त किया गया।
- राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति और नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
- आयोग द्वारा “चैम्पियंस ऑफ चेंज” नाम से एक ऑनलाइन डैशबोर्ड भी तैयार किया जा रहा है जिसके माध्यम से इन ज़िलों की रैंकिंग में आने वाले उतार-चढ़ाव के संबंध में ऑनलाइन रैंकिंग की जा सके।
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राष्ट्रीय कौशल विकास कोष एवं राष्ट्रीय कौशल विकास निगम का पुनर्गठन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शासकीय क्षमता, क्रियान्वयन और निगरानी फ्रेमवर्क को सशक्त बनाने के लिये राष्ट्रीय कौशल विकास कोष (NSDF) और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) के पुनर्गठन को मंज़ूरी दे दी है। इस पुनर्गठन से NSDC के कामकाज में ज़्यादा पारदर्शिता और जवाबदेही तथा बेहतर कॉरपोरेट शासकीय क्षमता सुनिश्चित होने के साथ ही NSDF की निगरानी भूमिका भी सशक्त बनेगी।
प्रमुख बिंदु
- अनुमोदित प्रस्ताव से एनएसडीएफ बोर्ड के संरचनात्मक पुनर्गठन के साथ ही NSDC की शासकीय क्षमता, क्रियान्वयन और निगरानी फ्रेमवर्क को मज़बूती मिलेगी।
- कौशल विकास के क्षेत्र में बेहतर समन्वय बनाने के लिये वित्त मंत्रालय की ओर से NSDC और NSDF का गठन तथा पंजीकरण क्रमश: जुलाई 2008 और जनवरी 2009 में किया गया था।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को NSDC के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।
- NSDF न्यास का गठन सरकार, द्विपक्षीय/बहुपक्षीय और अन्य एजेंसियों द्वारा वित्तीय मदद प्राप्त करने के लिये किया गया था।
- इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेष कार्यक्रमों के माध्यम में भारतीय युवाओं में कौशल विकास को बढ़ावा देना है।
- देश में कौशल विकास को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय विकास कौशल मिशन के लक्षित उद्देश्यों को पूरा करने के लिये अपने कोष के बेहतर इस्तेमाल के लिये NSDF ने NSDC के साथ निवेश प्रबंधन समझौता किया है।
- इस समझौते के तहत NSDF को NSDC के कामकाज के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी मिली है।
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