प्रीलिम्स फैक्ट्स : 28 अप्रैल, 2018
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण
इसे स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के नाम से जाना जाता है, जिसका प्रमुख उद्देश्य 2 अक्तूबर, 2019 तक सभी ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करना है। इस मिशन की सफलता के लिये गाँवों में व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी से क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना भी शामिल है।
- गाँवों के स्कूलों में गंदगी और मैले की स्थिति को देखते हुए, इस कार्यक्रम के तहत स्कूलों में बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं के साथ शौचालयों के निर्माण पर विशेष ज़ोर दिया जाता है।
- सभी ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी शौचालय और ठोस तथा तरल कचरे का प्रबंधन इस मिशन की प्रमुख विषय-वस्तु है।
- नोडल एजेंसियाँ ग्राम पंचायत और घरेलू स्तर पर शौचालय के निर्माण और उपयोग की निगरानी करेंगी।
- ग्रामीण मिशन के तहत ₹134000 करोड़ की लागत से 11.11 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है।
- व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के प्रावधान के तहत, बीपीएल और एपीएल वर्ग के ग्रामीणों को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रत्येक शौचालय के लिये क्रमश: ₹9000 और ₹3000 का प्रोत्साहन, निर्माण और उपयोग के बाद दिया जाता है।
स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य
- स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य 2 अक्तूबर, 2019 तक स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करना है। इस लक्ष्य के चलते शौचालयों के निर्माण में बढ़ोतरी हुई है और इसका उपयोग करने वालों की संख्या भी बढ़ी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सुरक्षा पुरस्कार
केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Safety Council’s - NSCI) सुरक्षा पुरस्कार (Safety Awards) प्रदान करने हेतु नई दिल्ली में एक समारोह का आयोजन किया गया।
- NSCI सुरक्षा पुरस्कार व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के क्षेत्र में बेहद प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार हैं।
- इन्हें संबंधित आकलन अवधियों के दौरान विनिर्माण, निर्माण एवं एमएसएमई क्षेत्र में संगठनों द्वारा प्रभावी सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली एवं उत्कृष्ट सुरक्षा एवं स्वास्थ्य प्रदर्शन करने पर प्रदान किया जाता है।
- इन पुरस्कारों का आकलन एवं इनकी घोषणा हर वर्ष भारत सरकार के श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय द्वारा गठित एक स्वायत्तशासी सोसाइटी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा की जाती है।
- उत्पादन, निर्माण व सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योग क्षेत्र में कार्यरत संस्थानों को सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा पुरस्कार, श्रेष्ठ सुरक्षा पुरस्कार, सुरक्षा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
- मज़दूरों की सुरक्षा व स्वास्थ्य संबंधी क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले संस्थानों को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद विभिन्न सुरक्षा पुरस्कारों द्वारा सम्मानित करती है।
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ऑक्सीटोसीन
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ऑक्सीटोसीन संरूपणों के उत्पादन को केवल सार्वजनिक क्षेत्र के घरेलू उपयोग तक सीमित कर दिया है। इसने ऑक्सीटोसीन एवं इसके संरूपणों के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है।
- ऑक्सीटोसीन दवा का गुप्त रूप से बड़े पैमाने पर उत्पादन और बिक्री की जा रही है जिससे इसका व्यापक दुरुपयोग हो रहा है जो मनुष्यों एवं पशुओं के लिये हानिकारक है।
- ऑक्सीटोसिन एक हार्मोन है जो मस्तिष्क में अवस्थित पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होता है।
- मनुष्य के व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण आक्सीटोसिन को प्यारा हार्मोन व आनंद हार्मोन आदि नामों से भी जाना जाता है।
- ऑक्सीटोसिन के दुरुपयोग के कारण दुधारू पशुओं में बाँझपन जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
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जीसैट 11
- इसरो ने देश के अब तक के सबसे वज़नी संचार सैटेलाइट जीसैट 11 के प्रक्षेपण को टाल दिया है। इसे आरियान 5 रॉकेट के माध्यम से फ़्रेंच गुयाना से छोड़ा जाना था। ज्ञातव्य है कि 2018 में भारत की योजना कई उपग्रहों को लॉन्च करने की है, लेकिन 29 मार्च को छोड़े गए जीसैट 6ए से प्रक्षेपण के 24 घंटे बाद ही संपर्क टूटने के बाद जीसैट 11 के प्रक्षेपण को टालने का निर्णय लिया गया है।
- जीसैट 11 इसरो द्वारा निर्मित अब तक का सबसे भारी तथा महत्त्वाकांक्षी सैटेलाइट है।
- इसके टाले जाने का मुख्य कारण यह है कि जीसैट 6ए सैटेलाइट में जिन उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था ठीक वैसे ही कुछ उपकरणों को जीसैट 11 में भी स्थापित किया गया है।
- इसलिये इसरो इस सैटेलाइट के प्रक्षेपण से पूर्व इसका दोबारा टेस्ट करना चाहता है ताकि इसमें पिछली बार की तरह इस बार भी कोई कमी न रह जाए और यह भी असफल न हो जाए।
जीसैट 11 की विशेषताएँ
- जीसैट 11 सैटेलाइट का वज़न 5,700 किलो. है।
- यह एक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट है। इसे भारत के ऊपर 36 हज़ार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थापित किया जाएगा।
- भारत के पास ऐसा एक भी रॉकेट नहीं है जिससे इतने ज़्यादा वज़न के सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया जा सके इसलिये इसे फ़्राँस के आरियान 5 रॉकेट से भेजा जाना था।
- इसे सैटेलाइट पर आधारित इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने के लिये बनाया गया है। यह बेहद शक्तिशाली है और संचार के नज़रिये से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
- यह अकेला सैटेलाइट कई सैटेलाइट के बराबर काम करने की क्षमता रखता है। पहली बार इसरो द्वारा इतना बड़ा और भारी भरकम सैटेलाइट को तैयार किया गया है।
- इसकी कीमत लगभग 500 करोड़ रुपए है। इसे फ़्रेंच गुयाना से वापस लाने में भी करीबन 50 से 60 करोड़ रुपए खर्च होंगे, लेकिन यह इसलिये भी ज़रूरी है ताकि इस प्रक्षेपण के असफल होने की गुंज़ाइश न रहे।
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