प्रीलिम्स फैक्ट्स : 28 फरवरी, 2018 | 28 Feb 2018

बीईएस एक्सपो 2018

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा टेरेस्‍ट्रीयल और सैटेलाइट ब्रॉडकास्टिंग प्रसारण  (Terrestrial and Satellite Broadcasting) के 24वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी (International Conference & Exhibition) बीईएस एक्‍सपो 2018 (BES EXPO 2018) का उद्घाटन किया गया।

  • बीईएस एक्सपो 2018 का आयोजन ब्रॉडकास्ट इंजीनियर्स सोसाइटी (Broadcast Engineers Society) द्वारा किया गया है।

विषय

  • इस तीन दिवसीय सम्मेलन का मुख्य विषय ‘नान लीनियर ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजीज़ एंड बिज़नेस मॉडल' (Non Linear Broadcasting Technologies & Business Models) है।

प्रमुख बिंदु

  • यह भारत में प्रसारण प्रौद्योगिकी का सबसे बड़ा आयोजन है।
  • भारत में स्‍मार्टफोन इस्‍तेमाल करने वालों की संख्‍या इस साल के अंत तक 53 करोड़ हो जाएगी जो कि चीन के बाद स्‍मार्टफोन के दूसरे सबसे ज्‍़यादा उपभोक्‍ता होंगे।
  • वर्तमान में तकरीबन 40 प्रतिशत से अधिक सामग्री का ऑनलाइन इस्‍तेमाल किया जाता है। इस साल विज्ञापन पर होने वाला खर्च पिछले साल के 9.6 प्रतिशत से बढ़कर 12.5 प्रतिशत ​​हो जाने की संभावना है।
  • बीईएस एक्सपो 2018 में 25 देशों की लगभग 300 कंपनियों द्वारा सीधे तौर पर या फिर भारत में डीलरों और वितरकों के माध्यम से अपने उत्पाद प्रदर्शित किये जाएंगे।
  • इस प्रदर्शनी में ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, कनाडा, चीन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, हॉन्गकॉन्ग, भारत, इज़राइल, इटली, जापान, कोरिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, सिंगापुर, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, ताइवान, यूके और अमेरिका की कंपनियों द्वारा भाग लिया जा रहा हैं।

सृजन पहल

भारतीय रेलवे स्‍टेशन विकास निगम लिमिटेड (Indian Railway Stations Development Corporation Limited - IRSDC) द्वारा देश भर में लगभग 600 प्रमुख रेलवे स्‍टेशनों के पुनर्विकास की दिशा में काम शुरू किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इस व्‍यापक अभियान के तहत सभी हितधारकों यथा- रेल यात्रियों, शहरी नियोजकों, वास्‍तुकारों और अभियंताओं की सहायता एवं भागीदारी अत्‍यंत आवश्‍यक है।
  • इस उद्देश्‍य को मद्देनज़र रखते हुए भारतीय रेलवे में 635 स्‍टेशनों के विकास के लिये अभिनव विचारों (आइडिया) को आमंत्रित करने हेतु एक प्रतियोगिता ‘सृजन’ (Station Rejuvenation through Joint Action - SRIJAN) का शुभारंभ किया गया है।
  • इस पहल को माईगव पोर्टल पर शुरू किया गया है।
  • इसके माध्यम से रेलवे स्‍टेशनों का डिज़ाइन तैयार करने तथा उनका एकीकृत प्रबंधन करने के संबंध में विचार आमंत्रित किये गए है।
  • इसी संदर्भ में मार्च 2018 में एक ‘वास्‍तुकार संवाद’ ( Architect-Samvad) आयोजित करने की भी योजना बनाई गई है।

राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस 2018

प्रत्‍येक वर्ष 28 फरवरी को राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day - NSD) मनाया जाता है। इस वर्ष भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology - DST) एनएसडी समारोह का आयोजन कर रहा है।

  • एनएसडी का आयोजन प्रत्‍येक वर्ष 28 फरवरी को ‘रमन प्रभाव’ की खोज का जश्‍न मनाने के लिये किया जाता है जिसकी सर सी. वी. रमन को नोबल पुरस्‍कार दिलाने में मुख्‍य भूमिका थी।

थीम

  • एनएसडी 2018 की थीम ‘एक टिकाऊ भविष्‍य के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी’ है जिसका चयन विज्ञान से संबंधित मुद्दों के प्रति आम जागरूकता को बढ़ावा देना है।

नोडल एजेंसी

  • डीएसटी की राष्‍ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) देश भर में, विशेष रूप से, वैज्ञानिक संस्‍थानों एवं प्रयोगशालाओं में एनएसडी समारोह का समर्थन, उत्‍प्रेरण एवं समन्‍वय करने की एक नोडल एजेंसी है।

प्रमुख बिंदु

  • एनसीएसटीसी राज्‍य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों तथा विभागों के माध्‍यम से व्‍याख्‍यानों, क्विज़, पैनल परिचर्चा, आदि का आयोजन करती है।
  • कई संस्‍थान अपनी प्रयोगशालाओं के लिये ओपेन हाउस का भी आयोजन करते हैं और छात्रों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उपलब्‍ध कैरियर अवसरों की जानकारी उपलब्‍ध कराते हैं।
  • इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संचार में असाधारण योगदान देने एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिये 2017 के पुरस्‍कृत व्‍यक्तियों को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार भी प्रदान किए जाएंगे।
  • डीएसटी ने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने एवं संचार के क्षेत्र में असाधारण प्रयासों को उत्‍प्रेरित करने, प्रोत्‍साहित करने तथा मान्‍यता देने और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिये 1987 में राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों का गठन किया था।

डीएनए सर्किट से बनाए जाएंगे जैव उपकरण

वैज्ञानिकों द्वारा एक लंबे समय से चली आ रही शोध के पश्चात् इलेक्ट्रॉनिक सर्किट (Electronic circuit) की तरह का एक डीएनए सर्किट बनाने में सफलता हासिल की गई है। इस डीएनए सर्किट में इलेक्ट्रिकल आवेश को आसानी से प्रवाहित किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • जैव उपकरणों का इस्तेमाल बीमारियों की जाँच के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।
  • किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट की प्रमुख विशेषता विद्युत प्रवाह को विभाजित कर उसे संयोजित करने की है।
  • हालाँकि, तीन सिरे वाले डीएनए सर्किट से ऐसा कर पाना आसान नहीं था। क्योंकि इस सर्किट से प्रवाहित होने वाला आवेश विघटित होने से पहले नष्ट हो जाता है।
  • अमेरिका स्थित एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी और ड्यूक यूनिवर्सिटी (Arizona State University and Duke University) के वैज्ञानिकों द्वारा जी4 डीएनए का इस्तेमाल कर इस समस्या का समाधान किया गया।

विशेषताएँ

  • नया डीएनए सर्किट एडैप्टर की तरह काम करता है जिससे कई डिवाइस एक साथ जोड़े जा सकते हैं।
  • जी4 डीएनए में दो की जगह चार रेशे होते हैं जिनके माध्यम से सर्किट में इलेक्ट्रिक आवेश प्रवाहित होने की क्षमता बढ़ जाती है।
  • जी4 को न्यूक्लिक एसिड से तैयार किया जाता है। इसमें गुआनिन यानी न्यूक्लियोबेस भरपूर मात्रा में होता है।
  • जी4 डीएनए में चार रेशे होने के कारण चार्ज एक तरफ से सर्किट में प्रवेश कर दूसरी तरफ से निकल जाता है।