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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 26 अप्रैल, 2018

  • 26 Apr 2018
  • 10 min read

भारत - मलेशिया रक्षा सहयोग के एक हिस्‍से के रूप में 30 अप्रैल, 2018 से 13 मई, 2018 तक मलेशिया के हुलु लंगट स्थित सेंगई परडिक के घने जंगलों में एक संयुक्‍त प्रशिक्षण अभ्‍यास हरिमऊ शक्ति का संचालन किया जाएगा।

  • इस अभ्‍यास का उद्देश्‍य दोनों देशों की सेनाओं के मध्‍य परस्‍पर सहयोग और समन्‍वय बढ़ाना तथा घने जंगलों में अराजकता निरोधक कार्रवाई के संचालन में विशेषज्ञता को साझा करना है।
  • भारतीय सेना का प्रतिनिधित्‍व देश की सबसे पुरानी बटालियनों में से एक, 4 ग्रेनेडियर्स कर रही है। इस बटालियन के पास पारंपरिक तथा अराजकता निरोधक कार्रवाई का समृद्ध अनुभव है।
  • मलेशियाई दल का प्रतिनिधित्‍व 1 रॉयल रंजेर रेजिमेंट तथा रॉयल मलय रेजिमेंट के सैनिक कर रहे हैं। ये दोनों रेजीमेंट जंगल युद्ध में विशेषज्ञता के लिये जाने जाते हैं।
  • पहली बार मलेशिया की भूमि पर भारत – मलेशिया सैनिकों का इतने बडे पैमाने पर संयुक्‍त प्रशिक्षण अभ्‍यास का आयोजन हो रहा है। 
  • इस अभ्‍यास के अंतर्गत पहले परस्‍पर प्रशिक्षण चरण तथा इसके बाद हुलु लंगट के जंगलों में 7 दिनों का क्षेत्र प्रशिक्षण चरण आयोजित किया जाएगा।
  • इसके तहत दोनों सेनाएँ संयुक्‍त रूप से प्रशिक्षण प्राप्‍त करेंगी, योजनाएँ बनाएंगी तथा प्रशिक्षण गतिविधियों की एक श्रृंखला का संचालन करेंगी। इसका फोकस जंगल युद्ध में रणनीतिक कार्रवाई पर रहेगा।

अटल न्यू इंडिया चैलेंज

नीति आयोग के अधीनस्थ अटल नवाचार मिशन (Atal Innovation Mission - AIM) की ओर से 26 अप्रैल, 2018 को ‘अटल न्यू इंडिया चैलेंज’ का शुभारंभ किया गया। पाँच मंत्रालयों के सहयोग से संचालित ‘अटल न्यू इंडिया चैलेंज’ के तहत एआईएम 17 चिन्हित फोकस क्षेत्रों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों अथवा प्रोटोटाइप का उपयोग कर ‘बाज़ार में पेश करने हेतु तैयार उत्पादों’ को डिज़ाइन करने के लिये संभावित अन्वेषकों/एमएसएमई/स्टार्ट-अप्स को आमंत्रित करेगा।

  • इन चिन्हित फोकस क्षेत्रों में जलवायु स्मार्ट कृषि (Climate Smart Agriculture), स्मार्ट गतिशीलता (Smart Mobility), रोलिंग स्टॉक का पूर्वानुमानित रख-रखाव (Predictive Maintenance of Rolling Stock), अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management) इत्यादि शामिल हैं।
  • संबंधित प्रौद्योगिकियों को तैयार करने की विशिष्ट क्षमता, तत्परता एवं संभावनाएँ दर्शाने वाले आवेदकों को एक करोड़ रुपए तक के अनुदान दिये जाएंगे।
  • इस अनुदान के अलावा संबंधित उत्पादों के वाणिज्यीकरण के विभिन्न चरणों के साथ-साथ इन उत्पादों को बड़े पैमाने पर विभिन्न स्थानों पर लगाने के लिये आवश्यक मार्गदर्शन, सहायता, इन्क्यूबेशन एवं अन्य तरह की मदद भी सुलभ कराई जाएगी।

लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी एम के4 परियोजना

लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी एम के4 परियोजना के तीसरे जहाज़ को पोर्ट ब्लेयर में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इस जहाज़ को आईएनएलएसयू एल53 के रूप में नौसेना में शामिल किया गया। गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजिनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता द्वारा डिज़ाइन और निर्मित यह जहाज़ देश की देसी जहाज़ निर्माण क्षमता की संभावना को उजागर करता है जो मेक इन इंडिया के राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप है।

  • 830 टन की विस्थापन क्षमता वाला एलसीयू एमके-4 जहाज़ जल और थल पर चलने योग्य है।
  • यह अर्जुन, पी72 जैसे मुख्य युद्ध टैंकों और अन्य बख्तरबंद वाहनों जैसे युद्ध सामग्री ढोने में सक्षम है।
  • यह जहाज़ एकीकृत पुल व्यवस्था (Integrated Bridge System - IBS) और एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन व्यवस्था (Integrated Platform Management System - IPMS) जैसे अत्याधुनिक उपकरणों और उन्नत व्यवस्था से सुसज्जित है।
  • इस जहाज़ में देशी सीआरएन 91 गन भी लगा है जिससे इस जहाज़ को पेट्रोलिंग करने के लिये ज़रूरी आक्रामकता हासिल है।
  • लेफ्टिनेट कमांडर विकास आनंद के नेतृत्व में इस जहाज के लिये पाँच अफसर और 45 नाविक हैं। इसके अतिरिक्त 160 सैन्य टुकड़ियों को ढोने की क्षमता वाले इस जहाज़ की तैनाती अंडमान और निकोबार में होगी।
  • इस परियोजना के बाकी 5 जहाज़ निर्माण की अंतिम व्यवस्था में हैं और डेढ़ साल के बाद इन्हें भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है।
  • इन जहाज़ों के नौसेना में शामिल होने से राष्ट्र की समुद्री सुरक्षा की ज़रूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी। इससे जहाज़ निर्माण के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
  • एल.सी.यू. एम. के4 जहाज़ एक ऐसा जहाज़ है, जो मुख्य लड़ाकू टैंकों (Battle Tanks), बख़्तरबंद वाहनों (Armoured Vehicles), सैनिकों एवं उपकरणों को जहाज़ से किनारे तक (equipment from ship to shore) लाने में प्राथमिक भूमिका का निर्वाह करता है।
  • इन जहाज़ों को अंडमान एवं निकोबार कमान के अंतर्गत शामिल किया जाएगा। साथ ही इन्हें समुद्र तट पर संचालन, तलाशी व बचाव, आपदा राहत संचालन, आपूर्ति तथा पुनःपूर्ति एवं निकासी जैसे कामों को पूरा करने के लिये भी तैनात किया जा सकता है।

ई कॉमर्स पर राष्‍ट्रीय नीति

केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग तथा नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा 24 अप्रैल, 2018 को ई कॉमर्स पर राष्‍ट्रीय नीति के लिये थिंक टैंक की पहली बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में ई कॉमर्स के विभिन्‍न पहलुओं से जुड़े भारत सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों/विभागों के वरिष्‍ठ अधिकारियों द्वारा भाग लिया गया।

  • हाल ही में वाणिज्‍य विभाग द्वारा ई कॉमर्स पर राष्‍ट्रीय नीति के लिये संरचना पर थिंक टैंक की स्‍थापना की गई। यह एक समावेशी तथा तथ्‍य आधारित संवाद के लिये विश्‍वसनीय मंच उपलब्‍ध कराएगा, जिससे विस्‍तृत नीति निर्माण संभव हो सकेगा।
  • इससे देश अवसरों का लाभ उठाने और उन चुनौतियों का सामना करने में, जो कि डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था में प्रगति की अगली धारा से उत्‍पन्‍न होंगी, का सामना करने के लिये समुचित रूप से तैयार हो सकेगा।
  • थिंक टैंक द्वारा ई कॉमर्स पर एक व्‍यापक एवं अति महत्त्‍वपूर्ण राष्‍ट्रीय नीति विकसित करने के लिये डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था एवं ई कॉमर्स के क्षेत्र में भारत के सामने खड़ी चुनौतियों पर सामूहिक रूप से विचार-विमर्श किया गया।
  • थिंक टैंक द्वारा जिन मुद्दों पर विचार किया गया, उनमें भौतिक एवं डिजिटल बुनियादी ढाँचे जैसे- ई कॉमर्स एवं डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था के पहलू, नियामकीय व्‍यवस्‍था, कराधान नीति, डाटा प्रवाह, सर्वर लोकेलाइज़ेशन, एफडीआई, प्रौद्योगिकी प्रवाह, कौशल विकास एवं व्‍यापार से संबंधित पहलू शामिल हैं।
  • ई कॉमर्स पर वैश्विक प्रगति एवं अंतर्निहित मुद्दों पर उत्‍पन्‍न हो रही उपयुक्‍त राष्‍ट्रीय स्थिति थिंक टैंक के विचार-विमर्श का एक अन्‍य महत्त्‍वपूर्ण आयाम था।
  • थिंक टैंक की पहली बैठक के प्रमुख परिणामों में से एक परिणाम ई कॉमर्स पर भारत की राष्‍ट्रीय नीति के लिये अनुशंसाएँ तैयार करने हेतु कार्यबल का गठन करने का फैसला था।
  • इस कार्यबल को विभिन्‍न उप समूहों में विभाजित किया जाएगा जिसमें भारत सरकार के प्रतिनिधि, ई कॉमर्स उद्योग एवं डोमेन नॉलेज़ के विशेषज्ञ शामिल होंगे। यह कार्यबल छह महीनों के भीतर अपनी अनुशंसाओं को अंतिम रूप दे देगा।
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