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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 26 मार्च, 2018

  • 26 Mar 2018
  • 9 min read

सरस आजीविका मेला

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा डीएवाई-एनआरएलएम कार्यक्रम के तहत नई दिल्ली में 23 मार्च, 2018 से 1 अप्रैल, 2018 के बीच एक सरस आजीविका मेले का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश के सभी राज्यों के महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा 350 स्टॉलों के ज़रिये अपने उत्पादों का प्रदर्शन एवं बिक्री की जाएगी। इन उत्पादों में हैण्डलूम, हथकरघा, आदिवासियों के गहने, सजावट के सामान, धातु के उत्पाद, मिट्टी के उत्पाद, चित्रकारी, रासायनिक खाद रहित खाद्य पदार्थ एवं मसाले, मुलायम खिलौने, पीतल एवं लोहे से बने उत्पादों को शामिल किया जाएगा।

  • इस मेले के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इसके अलावा महिलाओं को पैकेजिंग और उपभोक्ताओं को प्रबंधित करने जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने के लिये कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाता है।

डीएवाई एनआरएलएम (Deendayal Antyodaya Yojana – National Rural Livelihoods Mission)

  • ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता उन्मूलन के लिये दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका अभियान (डीएवाई एनआरएलएम) भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के सबसे प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।
  • कार्यक्रम का लक्ष्य निर्धन ग्रामीण महिलाओं को खुद की संस्थाओं यथा- स्वयं सहायता समूह एवं उनके अन्य संघों जैसे- प्रोड्यूसर्स कलेक्टिव्स एवं ऐसे अन्य संघों में संगठित होने में मदद करने के साथ ही उनको आजीविका एवं वित्तीय समावेशन में मदद करना भी है।
  • डीएवाई-एनआरएलएम का एक महत्त्वपूर्ण अंग निर्धन ग्रामीण युवकों को स्वरोज़गार और मजदूरी आधारित रोज़गार के लिये प्रशिक्षण प्रदान करना है। इसके लिये मंत्रालय डीएवाई-एनआरएलएम के तहत दीनदयाल उपाध्याय - ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) को लागू कर रही है।
  • डीडीयू-जीकेवाई एक रोज़गार से जुड़ी कौशल विकास योजना है जिसका उद्देश्य निर्धन ग्रामीण युवाओं के कौशल का विकास करना और उन्हें ज़्यादा मज़दूरी वाले अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में रोज़गार दिलवाना है। 

यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड में भारतीय प्रतिनिधि

भारत सरकार ने एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर जेएस राजपूत को यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर नामित करने का निर्णय लिया है। प्रो. जेएस राजपूत एक सुप्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री हैं जिन्हें विविध क्षेत्रों में काम करने, जिसमें यूनेस्को भी शामिल है, का व्यापक अनुभव है।

  • यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड में 58 सदस्य होते हैं। इनका कार्यकाल 4 वर्ष का होता है। 
  • कार्यकारी बोर्ड यूनेस्को का एक संवैधानिक अंग है, जिसे आम सभा के द्वारा चुना जाता है।
  • बोर्ड संस्था के कार्यकलाप और इससे जुड़े बजट अनुमानों की समीक्षा करता है।
  • मूल रूप से कार्यकारी बोर्ड यूनेस्को की सभी नीतियों एवं कार्यक्रमों के लिये उत्तरदायी सबसे प्रधान संस्था है।
  • बोर्ड का सदस्य होने के नाते भारत यूनेस्को की नीतियों और कार्यक्रमों के निर्धारण की समीक्षा में अहम भूमिका प्रदान करेगा जो कि इसके पाँच मुख्य कार्यक्रमों - शिक्षा, प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक तथा मानव विज्ञान, संस्कृति और संचार एवं सूचना से संबद्ध हैं।

मेघालय में विश्व की सबसे लंबी रेतीली गुफा

मेघालय की पूर्वी खासी पहाड़ियों के मेसिनराम क्षेत्र में क्रेम पुरी नाम की एक बलुआ पत्थर की गुफा पाई गई है। यह बलुआ पत्त्थर से निर्मित विश्व की सबसे लंबी गुफा है।

  • मेघालय एडवेंचर एसोसिएशन द्वारा इस गुफा की लंबाई 24.5 किलोमीटर मापी गई है।
  • इस गुफा के बारे में सबसे पहले 2016 में पता चला था।
  • भारत की सबसे लंबी गुफा मेघालय की जंयतिया पहाड़ियों में अवस्थित क्रेम लिअत प्राह (Krem Liat Prah) है। यह गुफा 30,957 मीटर लंबी है तथा दुनिया की सबसे लंबी गुफाओं में से एक है।
  • इस गुफा के एक स्थान का आकार तो इतना है कि इसमें एक एयरक्राफ्ट आसानी से आ सकता है। यही कारण है कि इसे एयरक्राफ्ट हैंगर के नाम से जाना जाता है।
  • स्थानीय खासी भाषा में क्रेम (Krem) का अर्थ गुफा होता है।

अर्थ ऑवर 2018

24 मार्च, 2018 को संपूर्ण विश्व में रात्रि 8:30 से 9:30 तक अर्थ ऑवर यानी पृथ्वी ऑवर मनाया गया। इस वर्ष डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-भारत (World Wide Fund for Nature – India) द्वारा ‘गिव अप टू गिव बैक’ (Give Up to Give Back) नामक अभियान भी आरंभ किया गया।

  • इस वर्ष डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-भारत हमारे जीवन और पर्यावरण पर भार बन चुकी कुछ आदतों, कार्य प्रणालियों और जीवन-शैलियों पर नियंत्रण करने के वास्ते संगठनों, प्रतिष्ठानों और आम लोगों को प्रेरित करने के लिये ‘गिव अप टू गिव बैक’ पहल की शुरूआत कर रहा है।
  • इस अभियान को सतत्, किफायती, संचालन में मदद और लागत में कमी के प्रति उपभोग संस्कृति में परिवर्तन और व्यावहारिक बदलाव को ग्रहण करने के एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिये।
  • अर्थ ऑवर ग्रीन गुड डीड्स मूवमेंट’ का भी अभिन्न हिस्सा है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की यह ज़िम्मेदारी है कि वह पर्यावरण और पृथ्वी की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिये एक छोटा, स्वैच्छिक हरित कार्य करने का ज़िम्मा ले। 
  • इसके लिये आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति पौधा लगाने, कूड़ें को छाँटने, दफ्तर जाने में साइकिल या कार-पूल का इस्तेमाल करने या फिर प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने जैसे एक ग्रीन गुड डीड को रोज़ाना के रूटीन में अपनाए।
  • अर्थ आवर पर्यावरण के लिये दुनिया का एक बड़ा आंदोलन है जिसमें दुनिया भर के लोग एक घंटे तक ग़ैर-जरूरी बिजली बंद करके जलवायु परिवर्तन के खिलाफ रुख अख्तियार करने के लिये एकजुट होते हैं।
  • अर्थ आवर प्रकृति के लिये विश्वव्यापी फंड-डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की एक वैश्विक पहल है जिसमें रिकॉर्ड 178 देश शामिल होते हैं।
  • वर्ष 2007 में सिडनी से सांकेतिक तौर पर आरंभ हुआ यह आंदोलन आज पर्यावरण के संबंध में विश्व का सबसे व्यावहारिक आंदोलन बन चुका है। यह वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (World Wide Fund for Nature) की एक वैश्विक पहल है।
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