प्रीलिम्स फैक्ट्स : 24 अप्रैल, 2018 | 24 Apr 2018

दीव स्‍मार्ट सिटी भारत का पहला ऐसा नगर बन गया है जो दिन के समय शत्- प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित होता है। हरे-भरे और स्‍वच्‍छ रहने के लिये इस नगर ने दूसरे नगरों के लिये उदाहरण प्रस्‍तुत किया है। पिछले वर्ष तक दीव अपनी ऊर्जा आवश्‍यकताओं का 73 प्रतिशत गुजरात से आयात करता था।

  • इसके समाधान के लिये दीव ने दो तरीके अपनाए। पहला- 50 एकड़ की पथरीली बंजर भूमि पर 9 मेगावाट शक्‍ति की सौर ऊर्जा परियोजना की स्‍थापना की गई है।
  • इसके अलावा 79 सरकारी भवनों पर सौर पैनल लगाए गए हैं, जिससे 1.3 मेगावाट विद्युत पैदा होती है।
  • सौर क्षमता बढ़ाने के लिये दीव ने अपने नागरिकों को छत पर 1-5 किलोवाट की क्षमता वाले सौर पैनल लगाने पर 10,000-50,000 रुपए की सब्‍सिडी देने का प्रस्‍ताव दिया है।
  • दीव प्रत्‍येक वर्ष 13,000 टन कार्बन उत्‍सर्जन की बचत कर रहा है। कम लागत वाले सौर ऊर्जा के कारण दीव ने बिजली की घरेलू दरों में पिछले वर्ष 10 प्रतिशत तथा इस वर्ष 15 प्रतिशत की कटौती की है।
  • बंगलुरू स्‍मार्ट सिटी में यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिये इलेक्‍ट्रॉनिक सिटी टाउनशिप ऑथोरिटी (ईएलसीआईटीए) की सहायता से यातायात प्रबंधन समाधान के एक मूल प्रारूप का परीक्षण किया जा रहा है।
  • यह यातायात की वैसी जानकारी प्रदान करेगा, जो वर्तमान में उपलब्‍ध नहीं है। इसके अंतर्गत कई कैमरों की मदद से वीडियो बनाए जाएंगे और कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता के उपयोग से इसका प्रसंस्‍करण किया जाएगा, ताकि वास्‍तविक समय में स्‍वचालित तरीके से वाहन की पहचान, यातायात के घनत्‍व का आकलन, और ट्रैफिक लाइट को नियंत्रित किया जा सके।
  • आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने, शहरी सार्वजनिक स्‍थलों का विस्‍तार करने तथा क्षेत्र को सामाजिक रूप से सक्रिय बनाने के लिये जयपुर स्‍मार्ट सिटी लिमिटेड (जेएससीएल) ने गुलाबी शहर के हृदय में स्‍थित चौड़े रास्‍ते में रात्रि बाज़ार विकसित करने की योजना बनाई है। इसके लिये जेएससीएल 700 दुकानदारों का पंजीकरण करेगा।
  • ये दुकानदार 9:00 बजे रात्रि से 1:00 बजे मध्‍य रात्रि तक अपनी दुकान चला सकेंगे। इस परियोजना से नागरिकों को कार्यालय के समय के बाद मनोरंजन और खरीदारी का अवसर मिलेगा।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण

राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) पटना के लोक नायक जयप्रकाश हवाई अड्डे पर एक पाँच-दिवसीय बुनियादी प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है। इस पाँच-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्‍य सीआरबीएन यानी रासायनिक, जीव वैज्ञानिक रेडियोधर्मी तथा परमाणु सामग्री से उत्‍पन्‍न आपात स्थिति से निपटने की तैयारी में वृद्धि करना है।

  • यह प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण (एएआई) तथा इंस्टीट्यूट ऑफ न्‍यूक्लियर मेडिसन एंड एलाइड सांइसेज (इन्‍मास) के सहयोग से चलाया जा रहा है।
  • इससे पहले इस तरह का कार्यकम चेन्‍नई, कोलकता, मुंबई तथा वाराणसी में आयोजित किया जा चुका है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority - NDMA) भारत में आपदा प्रबंधन के लिये एक सर्वोच्च निकाय है, जिसका गठन ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005’ के तहत किया गया था।
  • यह आपदा प्रबंधन के लिये नीतियों, योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों का निर्माण करने के लिये एक ज़िम्मेदार संस्था है, जो आपदाओं के वक्त, समय पर एक प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करती है।
  • भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इस प्राधिकरण की अध्यक्षता की जाती है। 

उद्देश्य

  • इस संस्था का उद्देश्य एक समग्र, प्रो-एक्टिव, प्रौद्योगिकी संचालित टिकाऊ विकास रणनीति के माध्यम से सुरक्षित और डिजास्टर रेसिलिएंट भारत का निर्माण करना है, जिसमें सभी हितधारकों को शामिल किया गया है।
  • यह आपदा की रोकथाम, तैयारी एवं शमन की संस्कृति को बढ़ावा देती है।

अंतरराष्‍ट्रीय एसएमई सम्‍मेलन 2018

नई दिल्‍ली में 22 से 24 अप्रैल, 2018 तक आयोजित किये जा रहे अब तक के पहले अंतरराष्‍ट्रीय एसएमई सम्‍मेलन 2018 में 37 देशों के प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहे हैं। भाग लेने वाले प्रमुख देशों में ऑस्‍ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, फ्राँस, इंडोनेशिया, इटली, केन्‍या, कोरिया, मलेशिया, मोरक्‍को, नाइज़ीरिया, फिलीपींस, पोलैंड, रूस, स्‍पेन, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका एवं यूएई शामिल हैं।

  • इन देशों के प्रतिनिधिमंडल कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, रणनीतिक रक्षा प्रशिक्षण, शिक्षा, लॉजिस्टिक, डिजिटल मनोरंजन एवं अपशिष्‍ट प्रबंधन के क्षेत्रों में अपने देशों के लघु उद्यमों का प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं। इस सम्‍मेलन में भारत के 400 से अधिक उद्यमी भी भाग ले रहे हैं।
  • सम्‍मेलन के दौरान ‘सीमाओं से आगे’ नामक एक खादी फैशन शो का भी आयोजन किया जाएगा। 
  • इस सम्‍मेलन में महिला उद्यमियों के लिये भी एक विशेष सत्र रखा गया है, जहाँ सफल महिला व्‍यवसायी महिला उद्यमियों के लिये टिकाऊ आजीविका के निर्माण पर चर्चा करेंगी।
  • एमएसएमई क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के सबसे गतिशील क्षेत्रों के रूप में उभरा है और अपशिष्‍ट प्रबंधन, रत्‍न एवं जवाहरात, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्‍करण तथा ऑटोमोटिव उद्योग जैसे विविध क्षेत्रों में व्‍यवसाय करने की सरलता के कारण विश्‍व भर में इसने अपनी पहचान बनाई है।

‘नैरो मनी’ और ‘ब्रॉड मनी’

डिफ्लेशन और इंफ्लेशन को नियंत्रित करने के लिये आरबीआई ‘नैरो मनी’ और ‘ब्रॉड मनी’ के रूप में धन को वर्गीकृत कर मनी सप्लाई पर नज़र रखता है। 

  • नैरो मनी : ‘नैरो मनी’ के दो पैमाने होते हैं ‘एम1’ और ‘एम2’।

♦ ‘एम1’ में जनता के पास मौजूद करेंसी, बैंकों के पास डिमांड डिपॉजिट यानी बचत और चालू खातों में जमा राशि और आरबीआई के पास जमा अन्य राशियों को शामिल किया जाता है।
♦ इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक के पास मौजूद भारत की जमाराशियों और इंटर बैंक डिपॉजिट को शामिल नहीं किया जाता है।
♦ ‘एम1’ में जब डाकघर की जमा बचत राशियों को जोड़ लिया जाता है तो उस योग को ‘एम2’ कहते हैं।

  • ब्रॉड मनी : ‘ब्रॉड मनी’ के भी दो सूचक होते हैं ‘एम3’ और ‘एम4’। इन दोनों को ही ब्रॉड मनी कहते हैं। 

♦ ‘एम3’ में ‘एम1’ एवं बैंकों के पास जमा टाइम डिपॉजिट यानी फिक्स्ड और रिकरिंग डिपॉजिट को शामिल किया जाता है।
♦ ‘ब्रॉड मनी’ का दूसरा सूचक ‘एम4’ होता है जिसमें ‘एम3’ और डाकघरों में जमा सभी तरह के डिपॉजिट्स शामिल होते हैं। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) की राशि को शामिल नहीं किया जाता है। 
♦ अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई पर नज़र रखने का सबसे प्रचलित तरीका ‘एम3’ है। ‘एम1’ में नकदी का योगदान सबसे अधिक होता है जबकि ‘एम4’ में यह सबसे कम होता है।