प्रीलिम्स फैक्ट्स : 24 मार्च, 2018 | 24 Mar 2018
विश्व क्षय रोग दिवस
क्षय रोग मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है, जो कि मुख्यतः फेफड़ों को प्रभावित करता है। इस रोग को ‘क्षय रोग’ या ‘राजयक्ष्मा’ के नाम से भी जाना जाता है। इससे बचाव अथवा इसकी रोकथाम संभव है।
- यह हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। विश्व की एक चौथाई जनसंख्या लेटेंट टीबी (latent TB) से ग्रस्त है।
- लेटेंट टीबी का अर्थ यह है कि लोग टीबी के जीवाणु से संक्रमित तो हो जाते हैं परंतु उन्हें यह रोग नहीं होता है और वे इसका संचरण अन्य व्यक्तियों तक नहीं कर सकते हैं।
- टीबी के जीवाणु से संक्रमित व्यक्ति के टीबी से ग्रसित होने की संभावना 5-15 प्रतिशत ही होती है।
- हालाँकि, एचआईवी, कुपोषण और मधुमेह से पीड़ित लोग और वे लोग जो तम्बाकू का उपयोग करते हैं, को इस रोग से ग्रसित होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
- सामान्य तौर पर यह केवल फेफड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है, परंतु यह मानव-शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती है।
- 24 मार्च, 2018 को संपूर्ण विश्व में ‘विश्व क्षय रोग दिवस’ (World Tuberculosis Day) मनाया जा रहा है।
- यह दिवस 1882 में क्षय रोग के बेसिलस की खोज करने वाले डॉ. रॉबर्ट कॉच के जन्म दिवस के उपलक्ष्य पर प्रति वर्ष ‘24 मार्च’ को मनाया जाता है।
- पूरे विश्व में जहाँ 2035 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है, वहीं अपने देश भारत में इसे 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने अंतरिक्ष कार्यों में प्रयोग होने वाली लिथियम-ऑयन बैटरियों के उत्पादन के लिये भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का करार किया है। इसरो की ओर से ली-ऑयन बैटरियों का उपयोग उनके अत्यधिक ऊर्जा घनत्व, विश्वसनीयता और लंबी अवधि तक चलने के गुणों के कारण उपग्रह एवं अंतरिक्ष यानों के प्रक्षेपण के लिये ऊर्जा स्रोतों के रूप में किया जाता है।
ली-ऑयन बैटरी
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सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information & Broadcasting) द्वारा पत्रकार कल्याण योजना (Journalist Welfare Scheme) पर समिति और केंद्रीय प्रेस प्रत्यायित समिति (Central Press Accreditation Committee) का पुनर्गठन किया गया है। पत्रकारों को पहली बार पत्रकार कल्याण समिति का सदस्य बनाया गया है।
पृष्ठभूमि
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ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के शोधकर्त्ताओं द्वारा पहली बार एक ऐसा ब्रेन स्कैनर बनाया गया है जिसे हेलमेट की तरह पहना जा सकता है। इस स्कैनर की सबसे खास बात यह है कि मरीज़ के प्राकृतिक रूप से चलने-फिरने के दौरान भी उसके मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जा सकता है।
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