प्रीलिम्स फैक्ट्स : 24 जनवरी, 2018
जयपुर में होम्योपैथी शोध संस्थान
Homeopathy Research Institute in Jaipur
केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा 22 जनवरी, 2018 को जयपुर में होम्योपैथी शोध संस्थान का शिलान्यास किया गया। यह तीसरा शोध संस्थान होगा, जो कि केंद्रीय होम्योपैथी शोध परिषद (Central Council for Research in Homoeopathy – CCRH) के तहत काम करेगा।
- सीसीआरएच आयुष मंत्रालय के तहत स्वायत्त निकाय है, जो कि देश भर में 23 संस्थानों के साथ होम्योपैथी के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध के लिये काम करता है।
प्रमुख बिंदु
- आयुष मंत्रालय द्वारा होम्योपैथी सहित अन्य आयुष की अन्य पद्धतियों के ढाँचागत विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- शोध संस्थानों के ढाँचे को सुदृढ़ करने से शोध गुणवत्ता में सुधार होगा और होम्योपैथी के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित सूचना प्राप्त हो सकेगी।
- इस लक्ष्य के तहत हिमाचल प्रदेश में शिमला, उत्तर प्रदेश में लखनऊ और पश्चिम बंगाल में सिलीगुडी में होम्योपैथी संस्थान स्थापित करने की योजनाओं पर काम चल रहा है।
- होम्योपैथी संस्थान द्वारा गोद लिये गए पाँच गाँवों में स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम के तहत योगदान दिया जा रहा है।
नूना (Nuna)
हाल ही में शोधकर्त्ताओं द्वारा ऑस्ट्रेलिया के इतिहास के बारे में एक नई जानकारी दी गई है, जिसके अनुसार, देश का एक छोटा क्षेत्र ‘नूना’ (Nuna) नामक सुपरकॉन्टिनेंट कभी कनाडा का हिस्सा था।
प्रमुख बिंदु
- इस विषय में किये गए अनुसंधान से प्राप्त जानकरी के अनुसार, लगभग 1.7 बिलियन वर्ष पहले जब यह क्षेत्र उत्तर अमेरिका का हिस्सा था, जॉर्जटाउन (Georgetown) चट्टानें एक उथले समुद्र में जमा होती गईं।
- तब जॉर्जटाउन उत्तरी अमेरिका से टूटकर दूर हो गया और लगभग 100 मिलियन वर्ष बाद उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के माउंट ईसा क्षेत्र (Mount Isa region) से टकरा गया।
- यह वैश्विक महाद्वीपीय पुनर्गठन (Global Continental Reorganization) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा था।
नूना क्या है?
- नूना, इसे कोलंबिया के नाम से भी जाना जाता है, इसकी चौड़ाई उत्तर से दक्षिण तक तकरीबन 12900 किलोमीटर थी।
- नूना सिर्फ कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों से मिलाकर बना हुआ था, हालाँकि भारत का पूर्वी तट भी पश्चिमी उत्तर अमेरिका से जुड़ा हुआ था।
- वर्तमान महाद्वीपों के निर्माण की प्रक्रिया में दक्षिण अमेरिका एक ऐसे घुमाव पर अवस्थित हुआ कि ब्राज़ील का पश्चिमी हिस्सा उत्तरी अमेरिका के पूर्वी हिस्से से जुड़ गया।
- इन संयुक्त महाद्वीपों के निर्माण से एक सुपर कॉन्टिनेंट नूना का निर्माण हुआ। बाद में नूना का निर्माण ही पेंज़ीया (Pangea) के निर्माण का आधार बना।
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राष्ट्रीय विकलांगता वित्त और विकास निगम National Handicapped Finance and Development Corporation
हाल ही में राज्यस्तरीय मार्गदर्शक एजेंसियों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और राष्ट्रीय विकलांगता वित्त और विकास निगम (National Handicapped Finance and Development Corporation -NHFDC) के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस सम्मेलन में भागीदार एजेंसियों को एनएचएफडीसी और मार्गदर्शक एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय हेतु एनएचएफडीसी योजनाओं के सुचारू और बेहतर कार्यान्वयन की बात कही गई।
- इस सम्मेलन में एनएचएफडीसी के सर्वोत्तम प्रदर्शन वाली राज्यस्तरीय मार्गदर्शक एजेंसियों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को प्रोत्साहन चेक भी प्रदान किये गए।
एनएचएफडीसी क्या है?
- 24 जनवरी, 1997 को भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय विकलांगता वित्त और विकास निगम (एनएचएफडीसी) की स्थापना की गई थी।
- यह निगम कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में पंजीकृत है।
- यह पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है।
- इसकी अधिकृत शेयर पूंजी 400 करोड़ रुपए है। इस कंपनी का प्रबंधन भारत सरकार द्वारा नामित निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है।
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डाक टिकट पर महाभारत का वर्णन Mahabharata on the postage stamp
कुछ समय पहले रामायण के ज्ञान का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य एक डाक टिकट जारी किया गया था. इसी क्रम में हाल ही में बिष्टुपुर स्थित प्रधान डाकघर के फिलाटेली विभाग द्वारा डाक टिकट पर पहली बार महाभारत का वर्णन किया गया है।
- इस डाक टिकट सीट में कुल 18 टिकट हैं जिन पर अलग-अलग राज्यों की चित्र शैली में महाभारत के वृतांतों को चित्रित किया गया है।
प्रमुख विशेषताएँ
- टिकट 1 में राजस्थान की पिछवाई शैली में ईश्वर के दिव्य रूप का चित्रण किया गया है।
- टिकट 2, 3, 6, 11 और 15 में एक लोक कलाकार से लिये गए चित्रों को अंकित किया गया है।
- टिकट 4 में पांडवों एवं द्रौपदी का वर्णन किया गया है।
- टिकट 5 में भी द्रौपदी का वर्णन किया गया है, लेकिन इसकी खास बात यह है कि इसमें आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की चमड़े से बनी छाया पुतली शैली का प्रयोग किया गया है।
- टिकट 8 में महाबलिपुरम के शैलचित्रों में अंकित अर्जुन के तप प्रसंग के चित्रण का प्रयोग किया गया है।
- टिकट 9 में पांडवों एवं द्रौपदी का वर्णन करने के लिये बिहार एवं बंगाल की पटचित्र शैली का प्रयोग किया गया है।
- टिकट 10 और 13 में मुगल शैली का प्रयोग करते हुए चित्रण किया गया है।
- टिकट 16 और 17 में उत्तर भारत के हिंदू एवं जैन धर्मग्रंथों में प्रयुक्त जलचित्र शैली का प्रयोग किया गया है।टिकट 18 में आंध्र प्रदेश की कलमकारी शैली का प्रयोग करते हुए टिकट को तैयार किया गया है।
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