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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 23 अक्टूबर, 2018

  • 23 Oct 2018
  • 4 min read

बेपिकोलम्बो: मिशन मर्करी

  • हाल ही में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने सूर्य के निकटतम ग्रह मर्करीके लिये संयुक्त अभियान, बेपिकोलम्बो हेतु सफलता पूर्वक अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण कर लिया।
  • यह अंतरिक्ष यान 2025 में मर्करी ग्रह पर पहुँच जाएगा। 
  • यह यूरोपीय और जापानी अंतरिक्ष एजेंसियों का मर्करी हेतु पहला अभियान है।
  • यह एक ही समय में ग्रह और उसके पर्यावरण की माप लेने हेतु दो अंतरिक्ष यान भेजने वाला भी पहला मिशन है।
  • ये कृत्रिम उपग्रह वीनस के आँकड़े भी इकठ्ठा करेंगे।
  • दो प्रकार के अंतरिक्ष यान इस प्रकार हैं-

♦ यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) का मर्करी प्लेनेटरी ऑर्बिटर (MPO)।
♦ जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का मर्करी मैग्नेटोस्फेरिक ऑर्बिटर (MMO या ‘Mio’)।


ग्रीन क्लाइमेट फंड

  • हाल ही में ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) ने 19 नई परियोजनाओं के लिये $1 बिलियन से अधिक की मंज़ूरी दे दी है।
  • 2010 में मेक्सिको के कानकुन में पार्टियों के सम्मेलन (COP -16) में UNFCCC (जलवायु परिवर्तन के लिये संयुक्त राष्ट्र संरचना सम्मेलन) के तहत ग्रीन क्लाइमेट फंड स्थापित किया गया था।
  • GCF का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करने या घटाने में विकासशील देशों को सहायता प्रदान करना है जो विकसित देशों तथा विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी स्रोतों द्वारा वित्तपोषित संसाधनों के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूलन की सुविधा प्रदान करना है।
  • नाबार्ड और सिडबी ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) के लिये राष्ट्रीय कार्यान्वयन इकाई (NIE) के रूप में कार्य करेंगे।

कुंभ मेला

  • कुंभ मेला पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा और शांतिपूर्ण जनसमूह है, जिसके दौरान प्रतिभागी स्नान करते हैं या पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
  • कुंभ मेला यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
  • यह मेला भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित होता है इसलिये इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जो इसे सांस्कृतिक रूप से विविधता का पर्व बनाती हैं।
  • यह मेला प्रयागराज (गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर), हरिद्वार (गंगा पर), उज्जैन (शिप्रा पर) और नासिक (गोदावरी पर) में हर चार साल के आवर्तन के बाद आयोजित किया जाता है तथा जाति, पंथ या लिंग की परवाह किये बिना लाखों लोग इसमें भाग लेते हैं।
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