प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 22 जनवरी, 2018

  • 22 Jan 2018
  • 9 min read

सहपीडिया करेगा प्राचीन समुद्री व्यापार का दस्तावेज़ीकरण
Sahapedia' to document ancient maritime trade

सहपीडिया, भारत के पारंपरिक कला रूपों पर डिजिटलीकरण और शोध करने की दिशा में आरंभ की गई एक पहल के रूप में प्राचीन समुद्री व्यापार का दस्तावेज़ीकरण करेगा। इसके अंतर्गत प्रायद्वीपीय भारत में विकसित हुए प्राचीन समुद्री व्यापार के विषय में वर्णन किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप पारस्परिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान संभव हो पाया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह दस्तावेज़,  जिसे कि केरल के कोच्चि फोर्ट, मटैंकेरी मुजिरिस/कोडुंगल्लूर, कोल्लम और कोझीकोड से लेकर तमिलनाडु और अन्य हिस्सों में स्थित स्थानों पर आयोजित किया जाएगा, का उद्देश्य परत दर-परत इतिहास की जानकारी प्रात करना है।यह विशेषज्ञों और संस्थानों के सहयोग से शोधकर्त्ताओं की एक टीम द्वारा तैयार किया गया एक स्रोत होगा, साथ ही यह दुनिया भर के पंजीकृत उपयोगकर्त्ताओं को उनकी रुचि के अनुरूप सूचनाओं के योगदान हेतु एक मंच भी उपलब्ध कराएगा।
  • इसके अंतर्गत मूर्त और अमूर्त दोनों तरह की विरासतों को शामिल किया गया है। 
  • भारतीय विरासत और संस्कृति को प्रोत्साहित करने और इस संबंध में ज्ञानार्जन को बढ़ावा देने के उद्देश्य के एक हिस्से के रूप में, सहपीडिया द्वारा एक महीने में एक बार कोच्चि में अनुसंधान और रुचि से संबंधित क्षेत्रों पर विद्वानों एवं कलाकारों के मध्य अभीमुखम संध्या (Abhimukham evenings) आयोजन शुरू किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त प्रत्येक माह विभिन्न विरासत स्थलों जैसे कि फोर्ट कोच्चि, मटानचेरी (Mattancherry), त्रिपिनीथुरा (Tripunithura) और मुजिरिस (Muziris) जैसे स्थानों पर 'हेरिटेज वॉक' का आयोजन किया जा रहा है।
  • इसके साथ-साथ एक गैर-सरकारी संगठन द आर्ट आउटरीच सोसायटी (The Art Outreach Society -TAOS) के सहयोग से 'हेरिटेज वॉक’ द्वारा कम विशेषाधिकार प्राप्त स्कूलों के लिये भी योगदान दिया जा रहा है।

नए मुख्य चुनाव आयुक्त

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वरिष्ठतम चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत को चुनाव आयोग का मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है। ओम प्रकाश रावत, अचल कुमार जोती के 22 जनवरी, 2018 को मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यभार छोडने के बाद 23 जनवरी, 2018 से मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यभार ग्रहण करेंगे।

कैसे होता है निर्वाचन आयुक्त का चयन ?

  • भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से लेकर अनुच्छेद 329 तक निर्वाचन की व्याख्या की गई है। 
  • अनुच्छेद 324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। 
  • संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की ज़िम्मेदारी दी है। 
  • वर्ष 1989 तक निर्वाचन आयोग केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित एक सदस्यीय निकाय था, लेकिन 16 अक्तूबर 1989 को राष्ट्रपति की अधिसूचना के द्वारा दो और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई।

निर्वाचन आयोग

  • भारत का निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई, यही कारण है कि 25 जनवरी को देश भर में “राष्ट्रीय मतदाता दिवस” के रूप में मनाया जाता है।  
  • निर्वाचन आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो अन्य आयुक्त होते हैं। सभी का कार्यकाल छह साल का होता है, लेकिन आयु सीमा 65 साल निर्धारित की गई है। 
  • निर्वाचन आयोग से संबंधित प्रावधान भारतीय संविधान के भाग 15 के अनुच्छेद 324 से लेकर अनुच्छेद 329 तक में उपबंधित हैं।
  • भारत में प्रतिनिधि लोकतंत्र है जिसमें जनता द्वारा निर्वाचित जन-प्रतिनिधि शासन में भाग लेते हैं। 
  • अतः जन-प्रतिनिधियों का चुनाव निष्पक्ष ढंग से हो सके, इसके लिये संविधान के अनुच्छेद 324 में स्वतंत्र और निष्पक्ष एवं संवैधानिक निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है।

2000 एजे 129 नामक क्षुद्रग्रह

  • 04 फरवरीस 2018 को पृथ्वी के पास से खतरनाक श्रेणी के एक मध्यम आकार के क्षुद्रग्रह के गुज़रने की संभावना व्यक्त की गई है। इस क्षुद्रग्रह का नाम 2000 एजे129 रखा गया है।
  • यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी और चांद की दूरी से 10 गुना अधिक दूरी से गुज़रेगा। 
  • कैलिफोर्निया में जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला मिएँ नासा के नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज़ द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, वैज्ञानिकों द्वारा पिछले 14 वर्षों से इस क्षुद्रग्रह के विषय में शोध कार्य किया जा रहा है।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा यह कहा गया है कि इस क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने की संभाव्यता तकरीबन शून्य है। हालाँकि, यह बहुत अधिक तीव्र गति (34 किमी. प्रति सेकेंड) के साथ पृथ्वी के समीप से गुज़रेग।

पैगाह मकबरा

पैगाह मकबरों को शम्स-उल-उमराही (Shams-ul-Umara) मकबरे भी कहा जाता है। हैदराबाद (तेलंगाना) के पिसल बांदा उपनगर में स्थित है।

  • इनका संबंध हैदराबाद के निज़ाम के निकटतम सहयोगी और वफादार पैगाह वंश से है जिनके निज़ाम के साथ वैवाहिक और सैन्य रूप से सहयोगी संबंध थे।
  • पैगाहों को राज्य की सुरक्षा और रक्षा की देखभाल को ज़िम्मेदारी दी गई थी। 

प्रमुख विशेषताएँ

  • पैगाह शब्द फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है शाही पद।
  • हैदराबाद के दूसरे आसफजाही निज़ाम (1760-1803) द्वारा नवाब अबुल फतेह तेग जंग बहादुर को उत्कृष्ट शाही सेवाओं के बदले में शम्स-उल-उमरा की उपाधि भी दी गई थी। इसलिये इन्हें शम्स-उल-उमराही मकबरे भी कहा जाता है।
  • शम्स –उल-मुल्क, शम्स-उल-दौला तथा शम्स-उल-उमरा निजाम द्वारा दी जाने वाली अन्य वंशानुगत उपाधियाँ थीं, जिनका अर्थ होता है- अमीरों और लोगों में सूर्य के जैसा।
  • पहले मकबरे का निर्माण कार्य 1787 में नवाब तेग जंग बहादुर द्वारा शुरू करवाया गया था और इसमें मकराना के संगमरमर पत्थर का प्रयोग किया गया था। उनके बेटे आमिर-ए-कबीर ने इसके निर्माण कार्य को आगे बढाया था।
  • इस वंश के प्रसिद्ध नवाब सर विकर-उल-उमरा सहित यहाँ पैगाह परिवार के 21 सदस्यों को दफन किया गया है।
  • भारत-इस्लामी वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण पैगाह मकबरों की स्थापत्य कला पर  ग्रीक, पर्सियन, मुगल, राजस्थानी और दक्कनी प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
  • पैगाह परिवार ने राष्ट्रीय विरासत के रूप में इसके संरक्षण के लिये इसे भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) को सौंप दिया है। 
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow