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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 21 दिसंबर, 2017

  • 21 Dec 2017
  • 13 min read

नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017(National Health Policy – NHP)

सरकार द्वारा वर्ष 2017 में 15 वर्षों के अंतराल के बाद नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति जारी की गई। इस नीति के तहत बदल रही सामाजिक, आर्थिक प्रौद्योगिकी तथा महामारी से संबंधित वर्तमान परिस्थितियों और उभर रही चुनौतियों का समाधान किया गया है। 

  • एन.एच.पी. 2017 का प्रमुख संकल्प 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को जी.डी.पी. के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाना है। 

उद्देश्य

  • इस नीति का उद्देश्य सभी के लिये संभव उच्चस्तरीय स्वास्थ सेवा का लक्ष्य प्राप्त करना, रोकथाम और संवर्द्धनकारी स्वास्थ्य सेवा तथा वित्तीय बोझ रहित गुणवत्ता संपन्न स्वास्थ्य सेवाओं की सार्वभौमिक पहुँच उपलब्ध कराना है। 

प्रमुख बिंदु

  • एन.एच.पी. 2017 में संसाधनों का बड़ा भाग (दो तिहाई या अधिक) प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को उपलब्ध कराने और प्रति एक हज़ार की आबादी पर दो बिस्तरों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर बल देता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं।

  • आश्वासन आधारित दृष्टिकोण-नीति में रोकथाम और संवर्द्धनकारी स्वास्थ्य सेवा पर फोकस करते हुए आश्वासन आधारित दृष्टिकोण पर बल ।
  • स्वास्थ्य कार्ड को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ना-नीति में देश में कहीं भी सेवाओं के परिभाषित पैकेज के लिये स्वास्थ कार्ड को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने की सिफारिश।
  • रोगी केन्द्रित दृष्टिकोण-नीति में रोगी देखभाल, सेवाओं के मूल्य, लापरवाही तथा अनुचित व्यवहारों से संबंधित विवादों/ शिकायतों के समाधान के लिये अधिकार सम्पन्न चिकित्सा अधिकरण स्थापित करने की सिफारिश तथा प्रयोगशालाओं और इमेजिंग सेन्टरों तथा उभर रही विशेषज्ञ सेवाओं के लिये मानक नियामक ढ़ाँचा स्थापित करने की सिफारिश।
  • पोषक तत्वों की कमी- पोषक तत्वों की कमी से उत्पन्न कुपोषण को घटाने पर बल तथा सभी क्षेत्रों में पोषक तत्वों की पर्याप्तता में विविधता पर फोकस।
  • देखभाल गुणवत्ता- सार्वजनिक अस्पतालों तथा स्वास्थ्य सुविधाओं का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाएगा और उन्हें गुणवत्ता स्तर का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।
  • मेक इन इंडिया पहल- नीति में दीर्घकालिक दृष्टि से भारतीय आबादी के लिये देश में बने उत्पाद उपलब्ध कराने के लिये स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को संवेदी और सक्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल।
  • डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली-स्वास्थ्य नीति में चिकित्सा सेवा प्रणाली की दक्षता और परिणाम को सुधारने के लिये डिजिटल उपायों की व्यापक तैनाती पर बल दिया गया है। 
  • इसका उद्देश्य सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली तथा कार्य दक्षता, पारदर्शिता और सुधार करने वाली एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्रणाली स्थापित करना है।
  • महत्त्वपूर्ण अंतरों को पाटने और स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में रणनीतिक खरीदारी करने के लिये निजी क्षेत्र से सहयोग। 

राष्ट्रीय पोषण मिशन (एन.एन.एम.)

केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा महिला और बालविकास मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों के तहत राष्ट्रीय पोषण मिशन को स्वीकृति दी गई, जिसका उद्देश्य कुपोषण के अंतर-पीढ़ी चक्र को रोकने के लिये जीवन-चक्र दृष्टिकोण को अपनाना है।

  • मिशन के तहत वृद्धि स्तर को कम करने, कुपोषण, एनीमिया तथा कम वज़न के नवजातों की संख्या में कमी लाने की परिकल्पना की गई है। इससे आपसी मेल-मिलाप होगा, बेहतर निगरानी सुनिश्चित होगी, समय पर कार्रवाई के लिये एलर्ट जारी होगा और लक्ष्य हासिल करने में राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के अनुरूप प्रदर्शन, निर्देशन और निरीक्षण में प्रोत्साहन मिलेगा।
  • मिशन का उद्देश्य 10 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ प्रदान करना है।

मिशन के प्रमुख घटक/विशेषताएँ

  • कुपोषण से निपटने में योगदान करने वाली विभिन्न योजनाओं का मानचित्रण।
  • आपसी मिलन की सुदृढ़ व्यवस्था लागू करना।
  • आईसीटी आधारित रियल टाइम निगरानी प्रणाली।
  • लक्ष्यों की पूर्ति के लिये राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों को संवेदी बनाना।
  • आंगनवाड़ी कर्मियों को आईटी आधारित उपायों के इस्तेमाल के लिये संवेदी बनाना।
  • आंगनवाड़ी कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले रजिस्टरों को समाप्त करना।
  • आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की लम्बाई नापने की व्यवस्था लागू करना।
  • सामाजिक लेखा-जोखा।
  • विभिन्न गतिविधियों के ज़रिये पोषण कार्यक्रम में भागीदारी के लिये जन-आंदोलन के माध्यम से लोगों को शामिल करके पोषण संसाधन केन्द्र स्थापित करना। 

एचआईवी और एड्स ( निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 2017

इस विधेयक के माध्यम से एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित लोगो को मेडिकल सुविधा, शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश तथा नौकारियों के संबंध में सामान अधिकार दिलाने की गारंटी सुनिश्चित की गई है| यह विधेयक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है|  यह विधेयक भारत में एचआईवी एवं एड्स से संबंधित विषय को एक वैधानिक आधार प्रदान करता है| इसके अतिरिक्त यह दक्षिण एशिया में किसी देश का प्रथम राष्ट्रीय एचआईवी कानून है|

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्य के तहत 2030 तक इस महामारी को खत्म करना।
  • कोई भी व्यक्ति जो एड्स से पीड़ित हो उसके साथ रोजगार, शैक्षणिक संस्थानों, मकान को किराए पर देने, दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं और बीमा सेवाओं के मुद्दे पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
  • अधिनियम में इस बात पर विशेष ज़ोर दिया गया है कि पीड़ित व्यक्ति को उसकी जानकारी में एचआईवी संबंधित परीक्षण, उपचार और रोग विषयक अनुसंधान को आगे बढ़ाया जाए।
  • 18 साल से कम उम्र का हर एक व्यक्ति जो एचआईवी से पीड़ित या प्रभावित हो उसे साझे घर में रहने के साथ-साथ पारिवारिक सुविधाओं का आनंद लेने का पूरा अधिकार है।
  • यह अधिनियम, किसी भी व्यक्ति को एचआईवी पॉजिटिव लोगों और उनके साथ रहने वाले लोगों के प्रति नफरत की भावनाओं की वकालत करने से रोकता है।
  • कोई भी व्यक्ति अपनी सूचित सहमति के अलावा उसका/उसकी एचआईवी स्थिति का खुलासा करने के लिए मजबूर नहीं होगा, यदि न्यायालय आदेश द्वारा आवश्यक हो।
  • राज्य की देखभाल और हिरासत में हर व्यक्ति को एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण, उपचार और परामर्श सेवाएँ प्राप्त करने का अधिकार होगा।

स्वास्थ्य और सशक्त केंद्र (एचडब्ल्यूसी)

2017-18 में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) के लिये उप-स्वास्थ्य केंद्रों के परिवर्तन का उल्लेख किया है, ताकि इसे व्यापक बनाने के लिये प्राथमिक देखभाल की सेवाओं की टोकरी का विस्तार किया जा सके।

  • एचडब्ल्यूसी से आरएमएनसीएच + ए, संचारी बीमारियों, गैर-संचारी रोगों, नेत्र विज्ञान, ईएनटी, दंत चिकित्सा, मानसिक, वृद्धावस्था की देखभाल, तीव्र सरल चिकित्सा के लिये उपचार से संबंधित सेवाओं के पैकेज के लिये निवारक, प्रोत्साहन, पुनर्वास के साथ-साथ आपातकालीन और आघात सेवाओं को उपलब्ध कराने पर ज़ोर दिया गया है।

इंसेंटिव पैकेज में निम्नलिखित सेवाओं पर विशेष ध्यान

⇒ गर्भावस्था और बच्चे के जन्म में देखभाल।
⇒ नवजात और शिशु स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ।
⇒ बचपन और किशोर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ।
⇒ परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक सेवाएँ और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ।
⇒ संचारी रोगों का प्रबंधन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम।
⇒ सामान्य सरल रोगों और सामान्य सरल बीमारियों और मामूली बीमारियों के लिये सामान्य से बाहर रोगी देखभाल का प्रबंधन।
⇒ गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग और प्रबंधन।
⇒ मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों की स्क्रीनिंग और बेसिक प्रबंधन।
⇒ सामान्य नेत्र और ईएनटी समस्याओं की देखभाल।
⇒ मूलभूत दंत चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल।
⇒ ज्येष्ठ और उपशामक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ।
⇒ ट्रॉमा केयर (जो इस स्तर पर प्रबंधित किया जा सकता है) और आपातकालीन चिकित्सा सेवा।

  • एच एंड डब्ल्यूसी एक टीम आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करेगा। इसके साथ ही उप-केंद्र क्षेत्र के एएनएम, आशा और एडब्ल्यूडब्ल्यूएस सहित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल टीम के साथ मध्य स्तर की सेवा प्रदाता का नेतृत्व करेंगे।
  • मार्च 2018 तक 4000 उप-केंद्रों को एचडब्ल्यूसी में तथा मार्च 2022 तक 1.25 लाख  उप -केंद्रों को एचडब्ल्यूसी में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 3871 एचडब्ल्यूसी के लिये स्वीकृति पहले ही दे दी गई है।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम

  • एनएचएम के तहत पीपीपी मोड में सभी ज़िला अस्पतालों में 'राष्ट्रीय डायलिसिस प्रोग्राम' का समर्थन किया जाना चाहिये
  • जुलाई 2017 के अनुसार, राज्यों/संघ-शासित प्रदेशों ने बताया है कि 1.77 लाख से अधिक मरीजों ने 19.15 लाख से अधिक डायलिसिस सत्रों के साथ सेवाओं का लाभ उठाया है।

मुफ्त निदान सेवा पहल

  • एमओएचएफडब्ल्यू ने दिशा-निर्देश में सुविधाओं के प्रत्येक स्तर पर किये जाने वाली जाँच की स्पष्ट सूची प्रदान की है। दिशा-निर्देश में प्रत्येक स्तर की सुविधा पर उपलब्ध कराए गए परीक्षणों की संख्या अधिक या कम हो सकती है। 
  • अब तक यह कार्यक्रम 26 राज्यों/संघ-शासित प्रदेशों में शुरू किया गया है, जो नि:शुल्क निदान सेवाएँ या तो घर में या पीपीपी मोड में प्रदान कर रहे हैं।
  • एनएचएम के तहत नि:शुल्क निदान सेवा पहल के लिये 29 राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के लिये वित्तीय वर्ष 2017-18 में 759.10 करोड़ रुपए को मंजू़री दे दी गई है।
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