प्रीलिम्स फैक्ट्स: 21 Nov, 2017 | 21 Nov 2017

एम.स्ट्रिप्स एप

देश में बाघ गणना के संदर्भ में क्षेत्रीय डेटा संग्रह करने के लिये डिजिटल प्रारूप को अपनाया जा रहा है ताकि इस संबंध में त्रुटिमुक्त तथा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्रदान किये जा सकें। आगामी दिसंबर-जनवरी माह में होने वाली अखिल भारतीय टाइगर अनुमान प्रक्रिया में अधिकारियों ने मांसाहारी और अन्य आवास विवरणों के संकेतों संबंधी मैन्युअल रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया को खत्म करने की योजना बनाई है।

  • इसके लिये देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित एम-एस.टी.आर.आई.पी.ई.एस. (Monitoring System For Tigers-Intensive Protection and Ecological Status) एप का पहली बार उपयोग किया जाएगा।
  • पिछले कुछ वर्षों में मांसाहारी संकेतों, छर्रों और आवास की स्थिति से संबंधित आँकड़ों को मैन्युअल रूप से फील्ड स्टाफ द्वारा दर्ज़ किया जाता था, लेकिन इस अभ्यास में त्रुटियों की संभावना रहती थी।
  • जी.आई.एस. आधारित एप के प्रयोग से न केवल वनों के निवास स्थान संबंधी आँकड़ों को रियल टाइम में प्राप्त किया जा सकेगा, बल्कि इसके प्रयोग से निगरानी और गश्त संबंधी गतिविधियों की भी अद्यतन जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। 
  • लेकिन एम-स्ट्रिप्स एप डेटा व्याख्या के संबंध में अधिक मानकीकृत और विसंगतियों से मुक्त प्रदर्शन का मार्ग प्रशस्त करता है।


ग्लीडोविया कोंयाकियानोरम

वैज्ञानिकों ने परजीवी फूलों की एक नई प्रजाति की खोज की है, जिसमें क्लोरोफिल नहीं होता है। यह पौधों की अन्य प्रजातियों को खाकर जीवित रहता है (क्लोरोफिल पौधे को अपना भोजन बनाने के लिये सूरज की रोशनी का उपयोग करने में मदद करता है)।

  • कोंयक नागा जनजाति के सम्मान में इस पौधे को ग्लीडोविया कोंयाकियानोरम (Gleadovia konyakianorum) नाम दिया गया है। इसे नागालैंड के मोन ज़िले के टोबू टाउन में खोजा गया है।
  • यह एक हॉलोपैरिसाइट (पूर्ण परजीवी) है जो मेजबान पौधे (स्ट्रॉबिलैंट्स प्रजाति) से अपनी पोषण आवश्यकता को पूरा करता है।

 इसमें कोई क्लोरोफिल नहीं होता है। यह हौस्टोरियम की सहायता से मेज़बान पौधे से पोषण संचित करता है। 

  • हौस्टोरियम एक विशेष प्रकार की संरचना होती है जिसके साथ परजीवी पौधे स्वयं को मेजबान पौधों के साथ संलग्न करते हैं और पोषण प्राप्त करते हैं।
  • ग्लीडोविया कोंयाकियानोरम एक जड़ परजीवी है जो ऊँचाई में 10 सेंटीमीटर तक बढ़ता है। इसके फूल की नलिकाएँ सफेद होती हैं।

अन्य प्रजातियाँ

  • दिलचस्प बात यह है कि यह दुनिया में पाए जाने वाले ग्लीडोविया पौधों की केवल चौथी प्रजाति है। 
  • तीन अन्य प्रजातियाँ हैं, ग्लीडोविया बेनरजियाना (मणिपुर में खोजी गई), ग्लीडोविया मुपिनेंस (चीन में पाया गई) और ग्लीडोविया रुबोरुम (उत्तराखंड में खोज की गई तथा चीन में यह पाई गई  है)।
  • परजीवी पौधे जड़ या तना परजीवी दोनों रूप में हो सकते हैं। भारत में पाए जाने वाले आम तना परजीवी लोरंथुस एस.पी. हैं, यह आम के पेड़ों पर और कस्कुटा रिफ्लेक्सा पर पाई जाती हैं।
  • जड़ परजीवी में सप्रिया हिमालयन प्रमुख है, यह अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में पाई जाती है।

आई.यू.सी.एन. के अनुसार

  • वैज्ञानिकों द्वारा इस प्रजाति को आई.यू.सी.एन. (International Union for Conservation of Nature - IUCN) की लाल सूची में 'डेटा की कमी' के रूप में वर्णित किया गया है।


व्हिस्लर-मोड कोरस

  • ये विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों में उतार-चढ़ाव के द्वारा उत्पन्न होने वाली अंतरिक्ष लहरें होती हैं। इन तरंगों में बढ़ने के लक्षण पाए जाते हैं। साथ ही ये इलेक्ट्रान को प्रभावी ढंग से गति देने में भी सक्षम होती हैं। इन तरंगों को व्हिस्लर मोड कोरस कहा जाता है।
  • हालाँकि, काफी लंबे समय से वैज्ञानिकों को यह ज्ञात था कि ग्रह के चारों ओर फँसे सौर ऊर्जा वाले कण कभी-कभी पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में बिखर जाते हैं, जहाँ वे खूबसूरत औरोरल (beautiful auroral displays) के प्रदर्शन में सहायक होते हैं। 
  • इसके बावजूद, इस विषय में किसी को कोई जानकारी नहीं थी कि वास्तव में ये शक्तिशाली इलेक्ट्रॉन किस फोर्स के कारण पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। 
  • नासा के वान ऐलन प्रोब्स मिशन (NASA’s Van Allen Probes Mission) और फायरबर्ड (Focused Investigations of Relativistic Electron Burst Intensity, Range, and Dynamics – FIREBIRD) II क्यूबसैट (CubeSat) द्वारा प्रदत्त आँकड़ों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अंतरिक्ष में मौजूद एक सामान्य प्लाज्मा लहर पृथ्वी के वायुमंडल में उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉनों के आवेगपूर्ण नुकसान के लिये ज़िम्मेदार पाई गई।


ग्रेडिएंट मैपिंग

  • ग्रेडिएंट फिंगरप्रिंट मैपिंग वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नया उपकरण है, इसे अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड में बड़े पैमाने पर बर्फ पिघलने की घटना के दौरान तटीय शहरों की स्थिति का अनुमान लगाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। 
  • साइंस एडवांस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इस उपकरण की सहायता से तकरीबन 293 प्रमुख बंदरगाह शहरों का विश्लेषण करने के उपरांत यह पाया गया कि न्यूयॉर्क, लंदन और सिडनी जैसे शहर इस समय सबसे अधिक कमज़ोर वर्ग में यानी सुभेद्य हैं। 
  • यह वस्तुतः जलवायु परिवर्तन के कारण आम जन जीवन के साथ-साथ आर्थिक संवृद्धि पर पड़ने वाले प्रभावों को चिन्हित करता है।