प्रीलिम्स फैक्ट्स : 21 अप्रैल, 2018 | 21 Apr 2018
यह चंद्रमा पर भेजा जाने वाला भारत का दूसरा तथा चंद्रयान-1 का एक उन्नत संस्करण है, जिसे अप्रैल 2018 में भेजे जाने की योजना बनाई गई है। यह एक चुनौतीपूर्ण मिशन है, क्योंकि इसके द्वारा पहली बार चंद्रमा पर एक कृत्रिम उपग्रह, एक लैंडर और एक रोवर ले जाया जाएगा। ऑर्बिटर जहाँ चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करेगा, वहीं लैंडर चंद्रमा के एक निर्दिष्ट साइट पर उतरकर रोवर को तैनात करेगा।
- इस यान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के मौलिक अध्ययन (elemental study) के साथ-साथ वहाँ पाए जाने वाले खनिजों का अध्ययन (mineralogical study) करना है। इसे जी.एस.एल.वी.-एम.के.-II (GSLV-MK II) द्वारा पृथ्वी के पार्किंग ऑर्बिट (Earth Parking Orbit - EPO) में एक संयुक्त स्टैक के रूप में भेजे जाने की योजना बनाई गई है।
- गौरतलब है कि वर्ष 2010 के दौरान भारत और रूस के बीच यह सहमति बनी थी कि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘Roscosmos’ चंद्र लैंडर (Lunar Lander) के लिये ज़िम्मेदार होगी तथा ऑर्बिटर और रोवर के साथ-साथ जी.एस.एल.वी. द्वारा इस यान की लॉन्चिंग के लिये इसरो उत्तरदायी होगा।
- किंतु, बाद में इस मिशन के कार्यक्रम संरेखण में बदलाव के कारण यह निर्णय लिया गया कि चंद्र लैंडर का विकास (Lunar Lander development) भी इसरो द्वारा ही किया जाएगा। इस प्रकार चंद्रयान-2 अब पूर्णरूपेण एक भारतीय मिशन बन गया।
- इस मिशन की कुल लागत लगभग 800 करोड़ रुपए है। इसमें लॉन्च करने की लागत 200 करोड़ रुपए तथा सेटेलाइट की लागत 600 करोड़ रुपए शामिल है। विदेशी धरती से इस मिशन को लॉन्च करने की तुलना में यह लागत लगभग आधी है।
- चंद्रयान-2 एक लैंड रोवर और जाँच (प्रोव) से सुसज्जित होगा, जो चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और आँकड़े भेजेगा जो चन्द्रमा की मिट्टी का विश्लेषण करने में उपयोगी होंगे।
हाल ही में डाक विभाग में पार्सल निदेशालय का उद्घाटन किया गया। वैश्विक स्तर पर पत्र मेल में गिरावट आई है, किन्तु भारत में पैकेट और पार्सल्स की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण भारत में “ई-कॉमर्स” के साथ “ई-टेल” व्यवसाय में तेज़ी से विकास है, जिसमें एकीकृत संग्रहण, छँटाई, पारेषण और वितरण प्रणाली की आवश्यकता होती है।
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शोधकर्त्ताओं द्वारा सुई के आकार के हीरे के टुकड़ों को रबर की तरह खींचने में सफलता हासिल की गई है। इतना ही नहीं, फैलने के बाद यह बिना टूटे अपने पुराने आकार में लौट आया। मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों द्वारा केमिकल वेपर डिपोज़िशन प्रोसेस का इस्तेमाल कर यह प्रयोग किया गया।
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund - IMF) एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है|
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