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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 21 फरवरी, 2018

  • 21 Feb 2018
  • 9 min read

स्वच्छाग्रह : बापू को कार्यांजलि

वाराणसी के रचनात्‍मक एवं सांस्‍कृतिक उद्योगों की सराहना करने और उसके सांस्‍कृतिक रूपों का उपयोग करने के साथ स्‍वच्‍छता की आवश्‍यकता पर ध्‍यान केंद्रित करने के उद्देश्य से वाराणसी के मन मंदिर घाट और अस्‍सी घाट पर 21 एवं 22 फरवरी, 2018 को एक संस्‍कृति महोत्‍सव ‘स्‍वच्छाग्रह : बापू को कार्यांजलि’ का आयोजन किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इस महोत्‍सव के अंतर्गत नदी के तट के साथ मूर्त एवं अमूर्त विरासत को समेकित करने का प्रयास किया जाएगा।
  • इसमें नदी एवं प्राचीन नगर के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिये सांस्‍कृतिक अभिव्‍यक्तियों के उपयोग पर शिक्षाविदों, कलाकारों, कारीगरों, लेखकों, कवियों, पर्यावरणविदों एवं सास्‍कृतिक संगठनों की भागीदारी होगी।
  • स्‍वच्‍छता मुहिम का संचालन भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय के विवेचना केंद्रों से संबद्ध स्‍कूली बच्‍चों द्वारा किया जाएगा, जो प्रदर्शनियों, गीतों, कठपुतली नृत्‍यों, नुक्‍कड़ नाटकों एवं लोक नृत्‍यों के माध्‍यम से अभिव्‍यक्‍त होगा।
  • दो दिवसीय समारोह ‘स्‍वच्छाग्रह’ की विषयवस्‍तु पर आधारित प्रदर्शनों पर ध्‍यान केंद्रित करेगा, जिसे ‘स्‍वच्छाग्रह : बापू को कार्यांजलि’ शीर्षक के तहत प्रस्‍तुत किया जाएगा।
  • इस महोत्‍सव में शास्‍त्रीय, लोक संगीत, नृत्‍य एवं दृश्‍य कलाओं के कला रूपों का एक मिश्रण प्रस्‍तुत किया जाएगा और यह स्‍थापित एवं उभरती कला मर्मज्ञता में सर्वश्रेष्‍ठ का अनुभव करने का अवसर प्रस्‍तुत करेगा।
  • राष्‍ट्रीय पुरातत्त्‍व की निगरानी में वाराणसी पर एक प्रदर्शनी का प्रदर्शन मन मंदिर घाट पर आभासी संग्रहालय के सृजन के द्वारा किया जाएगा।
  • राष्‍ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय के ललित कला विद्यालय के साथ साझेदारी में भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा कई विद्यालयों में स्‍थापित सांस्‍कृतिक विवेचना केन्‍द्र के छात्रों के लिये चित्रकारी एवं टेराकोटा प्रतिमा कार्यशालाओं का आयोजन करेगा।
  • ज़िला प्रशासन द्वारा बसों और नौकाओं की सुविधा उपलब्‍ध कराई जाएगी तथा प्रमुख दीवारों पर ‘स्‍वच्छाग्रह : बापू को कार्यांजलि’ की विषय-वस्‍तु पर बहुरंगी भित्ति-चित्रों एवं टैग के साथ भित्ति चित्रकला बनाई जाएगी।

उत्तर प्रदेश निवेशक शिखर सम्‍मेलन

इस सम्मेलन का आयोजन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है, इसका उद्देश्‍य राज्‍य में उपलब्‍ध निवेश अवसरों और संभावनाओं से निवेशकों को अवगत कराना है। 

  • यह सम्‍मेलन एक वैश्विक प्‍लेटफॉर्म उपलब्‍ध कराएगा जहाँ विभिन्‍न मंत्रीगण, कॉरपोरेट जगत की हस्तियाँ, वरिष्‍ठ नीति निर्माता, अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थानों के प्रमुख और विश्‍व भर के शिक्षाविद् राज्‍य में आर्थिक विकास को नई गति प्रदान करने और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से एकजुट होंगे।
  • इस आयोजन के लिये सात राष्‍ट्रों - फि‍नलैंड, नीदरलैंड, जापान, चेक गणराज्य, थाईलैंड, स्‍लोवाकिया और मॉरीशस को ‘कंट्री पार्टनर’ के रूप में चिन्हित किया गया है। 
  • इस सम्‍मेलन का आयोजन प्रधानमंत्री के उस आह्वान को ध्‍यान में रखकर किया जा रहा है जिसमें उन्‍होंने राज्यों से अपनी संभावनाओं को दर्शाने और निवेशकों को आकर्षित करते हुए अपने चहुँमुखी विकास के लिये सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद की भावना के साथ काम करने को कहा है।

अग्नि 2 मिसाइल

भारतीय सेना ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम मध्यम दूरी की मिसाइल अग्नि-2 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। दो हज़ार किलोमीटर से अधिक दूरी तक की मारक क्षमता वाली इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) से सेना के प्रायोगिक परीक्षण के तहत किया गया। 

प्रमुख बिंदु

  • सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम।
  • द्विचरणीय मिसाइल (ठोस प्रणोदकों से संचालित होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल)।
  • लंबाई 21 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर एवं वज़न 17 टन।
  • 1,000 किलोग्राम आयुध ले जाने में सक्षम।

अग्नि मिसाइल की पहुँच कहाँ तक हैं? 

  • अग्नि 1 – 700 किमी. (19 अप्रैल, 2012)
  • अग्नि 2 – 2,000 किमी. (15 सितंबर, 2013)
  • अग्नि 3 – 3,000 किमी. (31 जनवरी, 2015)
  • अग्नि 4 – 4,000 किमी. (9 नवंबर, 2015)
  • अग्नि 5 – 5,000 किमी. प्लस (18 जनवरी, 2018)

बैलिस्टिक मिसाइल

  • तकनीकी दृष्टि से बैलिस्टिक मिसाइल (ballistic missile) उस प्रक्षेपास्त्र अथवा मिसाइल को कहा जाता है जिसका प्रक्षेपण पथ सब-आर्बिटल (sub-orbital) होता है।
  • इसका उपयोग किसी हथियार (प्राय: नाभिकीय अस्त्र) को पूर्वनिर्धारित लक्ष्य पर दागने हेतु किया जाता है। 
  • इस मिसाइल को केवल इसके प्रक्षेपण के प्रारंभिक चरण में ही गाइड किया जाता है, उसके बाद इसका पथ आर्बिटल मेकैनिक्स के सिद्धान्तों एवं बैलिस्टिक्स के सिद्धान्तों से निर्धारित होता है।

हाइपरलूप प्रणाली

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार एवं रिचर्ड ब्रान्सन के वर्जिन हाइपरलूप वन के मध्य मुंबई से पुणे के बीच हाइपरलूप निर्माण के संबंध में एक समझौता हुआ है। इस हाइपरलूप के निर्माण के पश्चात् इन दोनों शहरों के मध्य की दूरी 3 घंटे से घटकर 25 मिनट हो जाएगी।

  • यह एक नवीन परिवहन प्रणाली है, जिसमें तीव्र आवागमन हेतु एक निर्वात ट्यूब (vacuum tube) का प्रयोग किया जाता है। इसमें एक पोड के समान वाहन (pod like vehicle) को विमान की गति पर संचालित किया जाता है।
  • इसके अंतर्गत वाहन की इस द्रुत गति पर नियंत्रण बनाए रखने हेतु रैखिक प्रेरण मोटरों (Linear Induction Motors) को निर्वात ट्यूब के साथ संबद्ध किया जाता है। 
  • भारत की 65% माल ढुलाई देश के तनावपूर्ण और भीड़-भाड़ वाले सड़क नेटवर्क पर आश्रित है तथा हाई-स्पीड रेल की तुलना में लगभग तीन गुना गति के साथ यह हाइपरलूप टेक्नोलॉजी कई समस्याओं का निदान कर सकती है। 
  • इस प्रकार की अत्याधुनिक एवं महँगी परिवहन प्रणाली को विकसित करने हेतु हाइपरलूप मार्ग का उच्च घनत्व के ट्रैफिक (high-density traffic) से युक्त होना एक अनिवार्य आवश्यकता है। 
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