प्रीलिम्स फैक्ट्स : 20 दिसंबर, 2017 | 20 Dec 2017
भारतमाला सड़क परियोजना
केंद्र सरकार द्वारा सभी मौजूदा राजमार्ग परियोजनाओं को भारतमाला के तहत लाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसके अमल में आने पर राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना सहित अन्य सभी राजमार्ग निर्माण कार्यक्रम इसके तहत आ जाएंगे।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के बाद भारतमाला दूसरी सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना में लगभग 50,000 किमी. सड़कों का विकास हुआ, जिसमें स्वर्णिम चतुर्भुज भी शामिल है, जो श्रीनगर से कन्याकुमारी और पोरबंदर को सिलचर से जोड़ती है।
- भारतमाला के तहत बड़े पैमाने पर सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिसमें सीमा क्षेत्रों में सड़कों का नेटवर्क बिछाया जाना भी शामिल है।
- इसके तहत 44 आर्थिक कॉरीडोरों की पहचान की गई है।
- इसके अलावा सभी ज़िला मुख्यालयों को सड़कों के साथ जोड़ने की भी योजना है।
- आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों सहित दूरदराज़ के ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी प्रदान करने पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा बंदरगाहों के विकास के लिये सागरमाला परियोजना शुरू की गई। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में व्यापार और उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ बढ़ते आर्थिक विकास की राह को भी गति प्रदान करना है।
प्रमुख बिंदु
- सागरमाला केंद्र सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देश में बंदरगाहों की अगुवाई में विकास की गति तेज़ करना है।
- यह न्यूनतम निवेश के साथ निर्यात-आयात एवं घरेलू व्यापार की लागत काफी हद तक कम करने संबंधी सागरमाला के विज़न को साकार करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- जल परिवहन को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है क्योंकि इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी करने में मदद मिलेगी, जो चीन एवं यूरोपीय देशों की तुलना में भारत में बहुत अधिक है।
योजना के चार रणनीतिक पहलू
- घरेलू कार्गो की लागत घटाने के लिये मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट का अनुकूलन करना।
- निर्यात-आयात कार्गो लॉजिस्टिक्स में लगने वाले समय एवं लागत को न्यूनतम करना।
- बल्क उद्योगों को लागत के और करीब स्थापित कर लागत को घटाना।
- बंदरगाहों के पास पृथक विनिर्माण क्लस्टरों की स्थापना कर निर्यात के मामले में प्रतिस्पर्धी क्षमता बेहतर करना।
उद्देश्य
- सागरमाला परियोजना का उद्देश्य बंदरगाहों के आसपास प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विकास को प्रोत्साहन देना।
- मुख्य मंडियों तक संपर्क सुधारना व रेल, अंतर्देशीय जलमार्गों, तटीय एवं सड़क सेवाओं में सुधार करना।
- बंदरगाहों तक माल के तीव्र, दक्षतापूर्ण और किफायती ढंग से आवागमन के लिये अवसंरचना उपलब्ध कराना।
- देश के सभी बड़े तटवर्ती शहरों को बेहतर सड़क मार्ग, हवाई मार्ग और समुद्री मार्ग से जोड़ना।
- तटीय आर्थिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों का सतत् विकास।
एपेक्स कमिटी का गठन
- नीतिगत मार्गदर्शन और उच्चस्तरीय समन्वय तथा नियोजन के विविध पहलुओं की समीक्षा तथा योजना एवं परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिये राष्ट्रीय सागरमाला एपेक्स कमिटी का गठन किया गया है।
- परियोजनाओं के लिये धन जुटाने के लिये समुदाय विकास निधि बनाई गई है।
- राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के संबद्ध मंत्रालयों के बीच तालमेल और सहयोग एवं समन्वय से सागरमाला परियोजना की योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन होगा।
कार्यात्मक सामग्री पर वैश्विक सम्मेलन
Global conference on functional materials
हाल ही में तेलंगाना में उन्नत कार्यात्मक सामग्री (advanced functional materials) पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। तेलंगाना के आर.जी.यू.के.टी. (Rajiv Gandhi University of Knowledge Technologies - RGUKT) ने सम्मेलन की मेजबानी की।
उद्देश्य
- सामाजिक प्रासंगिकता के क्षेत्रों में कार्यात्मक सामग्री के अनुप्रयोग संबंधी पहलुओं को संबोधित करना।
- वर्तमान में मौजूद वैज्ञानिक मुद्दों पर चर्चा करना।
- युवा शोधकर्त्ताओं में वैज्ञानिक स्वभाव को प्रज्वलित करना है।
विषय
- ‘नैनो-विज्ञान और नैनो-प्रौद्योगिकी, सिंथेटिक रसायन विज्ञान, सेंसर और कम्प्यूटेशनल सामग्री विज्ञान के क्षेत्र में स्मार्ट सामग्री का अनुप्रयोग’ (Applications of smart materials in the areas of nano-science and nano-technology, synthetic chemistry, sensors and computational materials science)।
पीज़ोइलेक्ट्रिक सामग्री से उत्पन्न ऊर्जा
आईआईटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने कचरा प्याज की त्वचा का इस्तेमाल करते हुए एक सस्ती डिवाइस विकसित की है जो शारीरिक गतिविधियों से हरित बिजली ('green' electricity) पैदा कर सकती है, साथ ही पेसमेकर्स (pacemakers), स्मार्ट गोलियों (smart pills) और पहनने योग्य इलेक्ट्रॉनिक्स (wearable electronics) को चार्ज भी कर सकती है।
प्रमुख बिंदु
- शोधकर्त्ताओं द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, यह गैर विषैली (non-toxic), बायोडिग्रेडेबल (biodegradable) और बायो-कम्पेटिबल (biocompatible) डिवाइस प्याज की त्वचा के उपयुक्त पीज़ोइलेक्ट्रिक (piezoelectric) गुणों से लाभ प्राप्त करती है।
- पीज़ोइलेक्ट्रिक सामग्री (Piezoelectric materials) में रोज़मर्रा की यांत्रिक गति को विद्युत में परिवर्तित करने की क्षमता विद्यमान होती है।
- दिन-प्रतिदिन बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा वाहनों का सर्व-व्यापक उपयोग पर्यावरण को नष्ट करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
- जीवाश्म ईंधन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी के बावजूद इन पर बढ़ते बोझ तथा वर्तमान समय में ऊर्जा की कमी ने दुनिया में टिकाऊ और वैकल्पिक हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकल्प के संबंध में गंभीरता से विचार करने को विवश कर दिया है।
- हालाँकि, पीज़ोइलेक्ट्रिक नैनो-जनरेटर्स (piezoelectric nano-generators) को संश्लेषित करना एक बेहद कठिन और महँगा कार्य है।
- साथ ही ये आमतौर पर अत्यधिक ज़हरीले होते हैं, जिसका अर्थ यह है कि वास्तविक जीवन में इनका उपयोग सीमित मात्रा में ही किया जाता है।