प्रीलिम्स फैक्ट्स : 20 मार्च, 2018 | 20 Mar 2018

आदर्श स्‍मारक योजना

केंद्र सरकार द्वारा आदर्श स्मारक योजना के अंतर्गत आदर्श स्मारकों के रूप में विकसित किये जाने के लिये 25 स्मारकों को चिह्नित किया गया है। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की इस योजना के लिये देश भर में संरक्षित 3680 राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारकों व पुरातात्त्विक धरोहरों में से 25 को चिह्नित किया गया है। योजना के तहत इन पुरातात्त्विक धरोहर स्थलों में विश्वस्तरीय सुविधाएँ उपलब्ध कराकर उनका विश्व मानकों के अनुरूप विकास किया जाएगा।

विशेषताएँ 

  • स्‍मारकों को पर्यटक अनुकूल बनाया जाएगा।
  • प्रसाधन कक्ष, पेयजल, संकेतक, कैफेटेरिया और वाई-फाई सुविधाओं को अपग्रेड किया जाएगा।
  • व्‍याख्‍या और श्रव्‍य-दृश्‍य केंद्रों की व्‍यवस्‍था की जाएगी।
  • गंदे पानी और कूड़ा निस्‍तारण एवं रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की व्‍यवस्‍था की जाएगी।
  • स्‍मारकों को विकलांगों के अनुकूल बनाया जाएगा।
  • स्‍वच्‍छ भारत अभियान को कार्यान्‍वनित किया जाएगा।

केंद्र संरक्षित स्मारकों की सूची

क्रम सं. स्‍मारक का नाम क्रम सं. स्‍मारक का नाम
1. रंग घर शिवसागर (असम) 2. वैशाली-कोल्हुवा (बिहार) 
3. हुमायूँ का मकबरा, (दिल्ली) 4. कुतुब परिसर, (दिल्ली)
5. लाल किला (दिल्ली) 6. रानी की वाव, पाटन (गुजरात)
7. शैलकृत मंदिर, मसरूर (हिमाचल प्रदेश) 8. लेह महल (जम्मू-कश्मीर)
9. मार्तंड मंदिर (जम्मू-कश्मीर)  10. हम्पी, बेल्लारी (कर्नाटक)
11. पट्टदकल स्मारक समूह (कर्नाटक) 12. एलिफेंटा गुफाएं, मुंबई (महाराष्ट्र)  
13. दौलताबाद किला (महाराष्ट्र)  14. मांडू, (मध्य प्रदेश)
15. खजुराहो (मध्य प्रदेश) 16. कोणार्क मंदिर (ओडिशा)
17. कुंभलगढ़ किला, केलवाड़ा (राजस्थान) 18. तटीय मंदिर, महाबलीपुरम (तमिलनाडु)
19. बृहदेश्वर मंदिर, तंजावूर (तमिलनाडु) 20. ताजमहल (उत्तर प्रदेश)
21. फतेहपुर सीकरी स्थित स्मारक समूह, आगरा (उत्तर प्रदेश) 22. श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश)
23. सारनाथ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)  24. जागेश्वर मंदिर समूह, अल्मोड़ा (उत्तराखंड
25. हजारद्वारी महल, मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल)    

संयुक्त द्विपक्षीय नौसैन्य अभ्यास ‘वरुण’

हाल ही में अरब सागर में गोवा तट के पास भारत और फ्राँस के संयुक्त नौसैनिक अभ्यास ‘वरुण-18’ की शुरुआत की गई। इस सत्र के अंतर्गत पनडुब्बी रोधी, हवाई रक्षा और अलग-अलग रणनीतियों वाले अभ्यासों को शामिल किया गया है।

  • इस अभ्यास के अंतर्गत फ्राँसीसी नौसेना का पनडुब्बी-रोधी युद्ध पोत ‘ज्यां डी वियने’, भारतीय नौसेना का पोत ‘आईएनएस मुंबई’ और युद्ध पोत ‘आईएनएस त्रिखंड’ भाग ले रहे हैं।
  • इसके अतिरिक्त भारतीय नौसेना की पनडुब्बी ‘कलवरी’, पी8-1 और‘ डॉर्नियर’ समुद्री गश्ती विमान एवं ‘मिग-29 के’ लड़ाकू विमान भी इस अभ्यास सत्र में भाग ले रहे हैं।

‘वरुण-18’

  • इस अभ्यास को तीन समुद्री क्षेत्रों में संचालित किया जाएगा।
  • ‘वरुण-18’ को अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर सहित तीन समुद्री क्षेत्रों में संचालित किया जाएगा।
  • संयुक्त द्विपक्षीय नौसेन्य अभ्यास ‘वरुण’ की शुरूआत वर्ष 2000 में हुई थी।

सौर ऊर्जा की माप हेतु नासा का नया उपकरण

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों द्वारा सूर्य से उत्सर्जित होने वाली प्रकाश ऊर्जा को मापने हेतु एक नए उपकरण के निर्माण के संबंध में कार्य आरंभ कर दिया गया है। टोटल एंड स्पेक्ट्रल सोलर इरेडिएंस सेंसर-1 (Total and Spectral solar Irradiance Sensor-1) नामक इस उपकरण को अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन International Space Station (ISS) में स्थापित किया गया है। 

  • इस उपकरण द्वारा एकत्रित गई जानकारियों के आधार पर पृथ्वी की ओजोन परत, वायुमंडल और पारिस्थितिकी तंत्र (इको सिस्टम) पर पड़ने वाले सूर्य के प्रभाव का अध्ययन किया जा सकेगा।
  • आइएसएस में स्थापित दो सेंसर में से एक 'टोटल इरेडिएंस मॉनिटर' से सूर्य से उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा का अध्ययन किया जाएगा। इससे पिछले 40 सालों में सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा की जानकारी प्राप्त होने की संभावना है।
  • स्पेक्ट्रल इरेडिएंस मॉनिटर नामक दूसरे सेंसर से सूर्य की ऊर्जा के वितरण का विश्लेषण किया जाएगा। दरअसल, प्रकाश ऊर्जा अल्ट्रावायलेट या पराबैंगनी किरणों आदि में विभक्त हो जाती है।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊर्जा के विभाजन का अध्ययन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य से निकली प्रत्येक प्रकाश-तरंग की लंबाई पृथ्वी के वातावरण पर अलग प्रभाव डालती है। उदाहरण के तौर पर सूर्य की पराबैंगनी किरणों के अध्ययन से हम पृथ्वी की ओज़ोन परत की जानकारी जुटा पाएंगे।

नासा का हैमर प्रोजेक्ट

पृथ्वी की तरफ बढ़े रहे खतरनाक क्षुद्र ग्रहों (Asteroids) और चट्टानों से निपटने के लिये अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा द्वारा एक स्पेसक्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।

  • इस योजना में नासा के अलावा अमेरिका का राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन (National Nuclear Security Administration) भी शामिल है। 
  • लगभग आठ टन वज़नी इस स्पेसक्राफ्ट को हैमर (HAMMER) नाम दिया गया है। इसका पूरा नाम हाइपर वेलोसिटी एस्टेरोइड मिटीगेशन मिशन फॉर इमरजेंसी रिस्पॉन्स (Hypervelocity Asteroid Mitigation Mission for Emergency Response) है।
  • हैमर के माध्यम से 'बेनु' नामक क्षुद्र ग्रह को पृथ्वी पर आने से रोका जाएगा जिसके 2035 में धरती तक पहुँचने की संभावना है। हैमर इसे नष्ट करने के लिये अपने साथ एक परमाणु बम भी लेकर जाएगा।
  • ‘बेनु’ लगभग 1500 फुट से ज़्यादा व्यास वाला क्षुद्र ग्रह है जो 63000 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से सूर्य का चक्कर लगा रहा है।
  • वहीं, रूस के वैज्ञानिकों द्वारा परमाणु बम के स्थान पर लेज़र बीम के प्रयोग पर विचार किया जा रहा है।