प्रीलिम्स फैक्ट्स: 19 जुलाई, 2018 | 19 Jul 2018
पंगोलिन (pangolin)
ओडिशा पुलिस की एक विशेष इकाई ने कहा है कि जल्द ही दुनिया के सबसे अवैध व्यापारिक स्तनधारियों में से एक, पंगोलिन की अंतर्राष्ट्रीय तस्करी को रोकने के लिये इंटरपोल से संपर्क किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- दुनिया भर में पाई जाने वाली पंगोलिन की आठ प्रजातियों में से (एशिया और अफ्रीका में 4) भारत में दो भारतीय पंगोलिन (manis crassicaudata) तथा दो चीनी पंगोलिन (manis pentadactyla) की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- भारतीय पंगोलिन देश में हिमालय के दक्षिण में पाया जाता है, जबकि चीनी पंगोलिन उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को छोड़कर असम और पूर्वी हिमालय के क्षेत्र में पाया जाता है।
- औषधीय उद्देश्यों के लिये भारी मांग के कारण पंगोलिन की सड़क और रेल के माध्यम से तस्करी की जाती है और इन्हें चीन भेज दिया जाता है।
वर्तमान स्थिति
- चीनी पंगोलिन को आईयूसीएन की लाल सूची में "गंभीर रूप से लुप्तप्राय" की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है, जबकि भारतीय पंगोलिन को "लुप्तप्राय" की श्रेणी में रखा गया है।
- भारत में इन प्रजातियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,1972 की अनुसूची 1 में शामिल किया गया है, इसलिये इनका शिकार, व्यापार या शरीर के किसी भी अंग या उसके किसी भाग का किसी भी रूप में उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- सभी पंगोलिन प्रजातियाँ कंजरवेशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन इंडेंजर्ड स्पीशीज़ (CITES) की परिशिष्ट 1 में सूचीबद्ध हैं।
- यह एक बैक्टीरिया है जो नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने में सक्षम है क्योंकि इसमें एक सर्कडियन रिदम (Circadian Rtythm) होता है।
- श्वसन के माध्यम से प्रकाश संश्लेषण के दौरान अधिकांश ऑक्सीजन को हटाने के बाद सायनोथीस दिन में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के दौरान सूर्य के प्रकाश को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिये ईंधन के रूप में उपयोग करते हैं और रात में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं|
- सायनोथीस से जीन अलग कर उसे एक अन्य प्रकार के साइनोबैक्टेरिया, सिनेकोसाइटिस (Synechocystis) में डालकर वैज्ञानिक इसे वायु से नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में भी संयोजित कर सकते हैं।
- यह प्रकाश संश्लेषण के लिये क्लोरोफिल बनाने में वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग करके उर्वरक विकसित करने में इंजीनियरिंग संयंत्रों में मदद कर सकता है।
- ऐसा करने से मानव निर्मित उर्वरक के उपयोग को खत्म किया जा सकता है, जिसमें उच्च पर्यावरणीय लागत आती है।
- विक्रमशिला गेंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य (VGDS) में डॉल्फिन की आबादी में गिरावट आई है, यह भारत के राष्ट्रीय जलीय जीवों के लिये भारत का एकमात्र अभयारण्य है।
- गेंगेटिक डॉल्फिन ताजे पानी के चार डॉल्फ़िन में से एक है| तीन अन्य चीन में यांग्त्ज़ी नदी के डॉल्फिन, जो अब विलुप्त होने के कगार पर हैं| इसके अलावा, पाकिस्तान में सिंधु नदी का भुलान और लैटिन अमेरिका में अमेज़ॅन नदी का बोटो डॉल्फिन के लिये विख्यात हैं।
- इनकी संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण नदी में बड़े पैमाने पर मालवाहक जहाजों का आवागमन तथा निष्कर्षण संबंधी गतिविधियाँ हैं। गंगा के डॉल्फ़िन बड़े जहाज प्रणोदकों द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण और निष्कर्षण से पीड़ित होते हैं|
- इनकी संख्या में गिरावट के अन्य कारण हैं: बढ़ता प्रदूषण, मानव हस्तक्षेप, नदी की गाद और नदी जल के प्रवाह तथा जल स्तर में कमी।
गंगा नदी डॉल्फ़िन
- सामान्य नाम : गंगा नदी डॉल्फ़िन, ब्लाइंड डॉल्फ़िन, गंगा ससु, हिहु, साइड-स्विमिंग डॉल्फिन, दक्षिण एशियाई नदी डॉल्फिन।
- वैज्ञानिक नाम : Platanista gangetica
- IUCN स्थिति : लुप्तप्राय
- यह CITES की परिशिष्ट 1 में सूचीबद्ध है।
नोट : CITES ( The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) एक अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन है जिसका उद्देश्य वन्य जीवों और पौधों के प्रतिरूप को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाना है तथा इनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को रोकना है|
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 : यह वन्य जीवों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है और इसके तहत अपराध के लिये उच्चतम दंड निर्धारित करता है।
- विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य : यह भारत में बिहार के भागलपुर ज़िले में स्थित है। अभयारण्य सुल्तानगंज से कहलगाँव तक गंगा नदी के 50 किमी. के फैलाव में स्थित है। इसे 1991 में लुप्तप्राय गंगेटिक डॉल्फ़िन के लिये संरक्षित क्षेत्र के रूप में नामित किया गया था।
- लोकसभा के सभापति ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार कर लिया है।
- सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को तभी स्वीकार किया जाता है जब निम्न सदन के कम-से-कम 50 सदस्य इसका समर्थन कर दें।
- तत्पश्चात अध्यक्ष मतदान के आधार पर चर्चा के लिये एक तारीख तय करता है।
- जब लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है, तो राज्यसभा के मंत्रियों सहित सभी मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ता है।
- संविधान के अनुच्छेद 75 में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।