अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 19 जनवरी, 2018
- 19 Jan 2018
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राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण
National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA)
हाल ही में एनपीपीए द्वारा डीपीसीओ [Drugs (Prices Control) Order –DPCO], 2013 के तहत अनुसूची एक में निहित आवश्यक दवाओं के अधिकतम मूल्य वाले प्रावधान को संशोधित किया गया है। उन दवाओं के संदर्भ में जो कीमत नियंत्रण के अधीन नहीं हैं, निर्माताओं को अधिकतम खुदरा मूल्य 10% सालाना बढ़ाने की अनुमति दी गई है।
- एनपीपीए भारत सरकार का एक संगठन है जिसे थोक दवाओं और फॉर्मूलों की कीमतों को व्यवस्थित करने/संशोधित करने और दवाओं (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 1995 के तहत देश में दवाइयों की कीमतों और उपलब्धता को लागू करने के लिये स्थापित किया गया था।
कार्य
- दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश के प्रावधानों को कार्यान्वित करना और उन्हें लागू करना।
- प्राधिकरण के निर्णय से उत्पन्न सभी कानूनी मामलों का निपटान करना।
- दवाओं की उपलब्धता पर नज़र रखना, दवाओं की कमी की स्थिति का अवलोकन करना तथा आवश्यक कदम उठाना।
- थोक दवाओं और फॉर्मूलों के उत्पादन, निर्यात और आयात, कंपनियों की बाज़ार में हिस्सेदारी, मुनाफे आदि के संबंध में आँकड़ों को एकत्रित करना/व्यवस्थित करना।
- दवाओं/फार्मास्यूटिकल्स के मूल्य निर्धारण के संबंध में संबंधित अध्ययनों को आयोजित करना।
- सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार प्राधिकरण के अधिकारियों और अन्य सदस्यों की भर्ती/नियुक्ति करना।
- दवा नीति में परिवर्तन/संशोधन पर केंद्र सरकार को सलाह देना।
- नशीली दवाओं के मूल्य से संबंधित संसदीय मामलों में केंद्र सरकार को सहायता प्रदान करना।
क्लोथो प्रोटीन
अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं द्वारा बीटा-क्लोथो वर्ग के एक प्रोटीन की त्रिआयामी संरचना की खोज की गई है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, लंबी उम्र और मेटाबोलिज़म को नियंत्रित करने में क्लोथो प्रोटीन एक अहम् भूमिका का निर्वाह करता है। इस कार्य के लिये शोधकर्त्ताओं द्वारा एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी तकनीक का इस्तेमाल किया गया
प्रमुख बिंदु
- इस वर्ग के प्रोटीन के दो रिसेप्टर प्रोटीन कुछ विशेष प्रकार के टिशुओं की कोशिकाओं पर पाए जाते हैं।
- ये प्रोटीन हार्मोन्स के एक वर्ग को जोड़ने का काम करते हैं जो कि एफजीएफ का अत:स्त्राव करता है।
- एफजीएफ लीवर, किडनी और दिमाग सहित शरीर के दूसरे अंगों में होने वाली मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने का काम करता है।
संगीत नाटक अकादमी
संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित, नृत्य और नाटक की प्रथम राष्ट्रीय अकादमी है। इसका गठन भारत सरकार द्वारा 31 मई, 1952 के प्रस्ताव के ज़रिये किया गया था। संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था है और इसे सरकार द्वारा अपनी योजनाओं व कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
लक्ष्य एंव उद्देश्य
- प्रादेशिक अथवा राज्य की संगीत, नृत्य और नाटक अकादमियों के कार्यकलापों को समन्वित करना।
- भारतीय संगीत, नृत्य तथा नाटक के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना, पुस्तकालयों एवं संग्रहालय आदि की स्थापना करना।
- अपने उद्देश्यों की प्राप्ति तथा समग्र रूप से भारतीय संस्कृति के संवर्धन हेतु आवश्यक अकादमियों और अन्य संस्थाओं के साथ सहयोग स्थापित करना।
- भारतीय संगीत, नृत्य और नाट्य कलाओं के सम्बन्ध में विभिन्न प्रदेशों के बीच वैचारिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के साथ-साथ तकनीकों का संवर्धन करना।
- प्रादेशिक भाषाओं के आधार पर नाट्य केन्द्रों की स्थापना तथा विभिन्न नाट्य केन्द्रों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना।
- नाट्य प्रस्तुति, मंच शिल्प के अध्ययन एवं अभिनव प्रशिक्षण सहित नाट्य कला में प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करना।
- सन्दर्भ ग्रंथों, यथा सचित्र शब्द, कोष पारिभाषिक शब्दावली या तकनीकी शब्दावली की पुस्तिका सहित भारतीय संगीत, नृत्य एवं नाटक सम्बन्धी साहित्य को प्रकाशित करना।
- श्रेष्ठ नाट्य संस्थाओं को मान्यता प्रदान करना।
- विभिन्न भारतीय नाट्य शैलियों में लिप्त दलों की गतिविधियों, बाल रंगमंच, खुले रंगमंच तथा ग्रामीण रंगमंच के विभिन्न रूपों के विकास को प्रोत्साहन प्रदान करना।
- देश के विभिन्न क्षेत्रों में लोक संगीत, लोक नृत्य और लोक नाट्य को पुनर्जीवित करने, उनका परिरक्षण करने और सामुदायिक संगीत तथा अन्य प्रकार के संगीत को विकसित करने की दिशा में प्रयास करना।
- भारतीय संगीत, नृत्य तथा नाटक के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों हेतु पुरस्कार, सम्मान तथा मान्यता प्रदान करना।भारतीय संगीत, नृत्य तथा नाटक के क्षेत्रों में देश के विभिन्न प्रदेशों के बीच तथा अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक संपर्क कायम करना।
गरीबी रेखा से संबद्ध वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता एवं जीवन यापन के लिये आवश्यक उपकरण प्रदान करने वाली ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ को 01 अप्रैल, 2017 को शुरू किया गया।
- इस योजना के अंतर्गत वरिष्ठ नागरिकों के जीवन यापन के लिये आवश्यक उपकरणों को शिविरों के माध्यम से वितरित किये जा रहे है।
- ये सहायक उपकरण उच्च गुणवत्ता से युक्त होंगे और इन उपकरणों को भारत मानक ब्यूरो द्वारा तय मापदंडों के अनुसार तैयार किया जा रहे है।
- यह सार्वजनिक क्षेत्र की केन्द्रीय योजना है, जिसके लिये पूर्ण रूप से केन्द्र सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है।
योजना की मुख्य विशेषताएँ
- योग्य वरिष्ठ नागरिकों को उनकी विकलांगता/दुर्बलता के अनुरूप निःशुल्क उपकरणों का वितरण किया जा रहा है।
- एक ही व्यक्ति में अनेक विकलांगता/दुर्बलता पाए जाने की स्थिति में, प्रत्येक विकलांगता/दुर्बलता के लिये अलग-अलग उपकरण प्रदान किये जा रहे है।
- ये उपकरण वरिष्ठ नागरिकों को आयु संबंधी शारीरिक दिक्कतों से निपटने में मदद करेंगे और परिवार के अन्य सदस्यों के ऊपर उनकी निर्भरता को कम करते हुए उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर देंगे।
- योजना को भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्रालय के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम) नामक एकमात्र कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा लागू किया जा रहा है।
- भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम बुज़ुर्गों को दी जाने वाली इस सहायता एवं सामान्य जीवन जीने के लिये आवश्यक उपकरणों की एक वर्ष तक निःशुल्क देखरेख करेगा।
- प्रत्येक ज़िले में लाभार्थियों की पहचान राज्य/केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों द्वारा उपायुक्त/ज़िलाधीश की अध्यक्षता वाली कमेटी के ज़रिये की जाएगी।
- उल्लेखनीय है कि जहाँ तक संभव होगा, प्रत्येक ज़िले में 30 फीसद बुज़ुर्ग महिलाओं को लाभार्थी बनाने का प्रयास किया जाएगा।
- बीपीएल श्रेणी के बुज़र्गों की पहचान करने के लिये राज्य सरकार, केन्द्रशासित प्रदेश या ज़िलास्तरीय कमेटी, एनएएसपी अथवा किसी अन्य योजना के अंतर्गत वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त कर रहे बीपीएल लाभार्थियों के आँकड़े एवं जानकारियों का उपयोग किया जा रहा’ हैं।
- इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिये आगामी तीन वर्षों (वित्तीय वर्ष 2019-20 तक) के लिये अनुमानित वित्तीय खर्च 483.6 करोड़ रुपए है।