अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रीलिम्स फैक्ट्स:18 Nov, 2017
- 18 Nov 2017
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सौभाग्य वेब पोर्टल
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना के तहत ‘सौभाग्य’ वेब पोर्टल लॉन्च किया है।
- सौभाग्य-डैश बोर्ड घरेलू विद्युतीकरण प्रगति की निगरानी हेतु निर्मित एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो घरेलू बिजलीकरण की स्थिति (राज्य, ज़िला, गाँवों के क्रम में), लाइव आधार पर प्रगति, राज्यवार लक्ष्य और उपलब्धि तथा विद्युतीकरण की मासिक प्रगति के बारे में सूचनाओं का प्रसार करेगा।
- हालाँकि, 4 करोड़ घरों का विद्युतीकरण करना स्वयं में एक बहुत बड़ी चुनौती है, फिर भी सरकार द्वारा सभी राज्यों के सहयोग से दिसम्बर 2018 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प किया गया है।
- सरकार द्वारा विद्युत पारिस्थितिकी प्रणाली में परिवर्तन करते हुए प्रीपेड तथा स्मार्ट मीटरों के माध्यम से सभी नए बिजली कनेक्शनों के लिये मीटर की व्यवस्था को अनिवार्य बनाया गया है।
- इसका लाभ यह होगा कि इससे गरीब लोगों के लिये न केवल बिजली का बिल भरना आसान होगा, बल्कि बिजली चोरी में भी कमी आएगी, जिससे बिजली बिल भुगतान परिपालन में वृद्धि होगी।
- इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिये सभी राज्य विद्युतीकरण कार्य की प्रगति के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएंगे। इससे राज्य बिजली कंपनी/डिस्कॉम के लिये उत्तरदायी प्रणाली के रूप में स्थापित हो जाएंगे।
- बिजली वितरण कंपनियों के साथ-साथ राज्य बिजली विभाग भी इस वेब पोर्टल/मोबाइल एप के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक रूप में डाटा एकत्रीकरण कर सकेंगे।
जैव-अवशेषों का इस्तेमाल
- मंत्रालय ने एन.टी.पी.सी. को ताप विद्युत संयंत्रों में बिजली उत्पादन के लिये कोयले के साथ-साथ 10 प्रतिशत तक फसलों के अवशेष को मिलाने का निर्देश जारी किया है। इससे न केवल पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों द्वारा खरपतवार और पराली जलाने में कमी आएगी, बल्कि वायु प्रदूषण में भी कमी होगी।
- इसका एक अन्य लाभ यह होगा कि इससे किसानों को प्रतिटन फसल अवशेष के लिये 5,500 रुपए का भुगतान प्राप्त होगा। फसल अवशेष को किस प्रकार से एकत्रित किया जाना है, इसके लिये अवसंरचना तैयार की जा रही है।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिसंबर 2018 तक देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 4 करोड़ से अधिक परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान करने के लिये 16,320 करोड़ रुपए की एक नई योजना प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना 'सौभाग्य' (Pradhan Mantri Sahaj Bijli Har Ghar Yojana ‘Saubhagya) का शुभारंभ किया गया।
- इस योजना के तहत सरकार द्वारा दिसंबर 2018 तक (मार्च 2019 तक इस उद्देश्य को पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है) सभी परिवारों को बिजली उपलब्ध कराने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।
- 1 मई, 2018 की निर्धारित समय सीमा से पहले दिसंबर 2017 तक सभी गाँवों का विद्युतीकरण किया जाएगा।
- इस योजना की प्रमुख विशेषता यह है कि इस योजना के तहत सभी गरीब परिवारों को मुफ्त में बिजली कनेक्शन प्रदान किये जाएंगे।
पोर्टेबल डाइव डिटेंशन सोनार
केंद्र सरकार की “मेक इन इंडिया” नीति के तहत नौसेना ने टाटा पावर स्ट्रैजिक इंजीनियरिंग डिवीजन के साथ खरीदो और निर्माण (भारतीय) श्रेणी [Buy and Make (Indian) category] के तहत सचल गोताखोर खोजबीन सोनार (Portable Diver Detection Sonar) हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
- रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण के प्रयासों को बढ़ावा देने के संबंध में किया गया नौसेना का यह दूसरा समझौता है। इससे पहले भारतीय नौसेना ने युद्धपोत में निगरानी रडार के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
- पोर्टेबल डाइवर डिटेंशन सोनार के नौसेना में शामिल होने से समुद्री अभियान के दौरान निगरानी क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इन सोनार की खरीद से नौसेना को युद्धपोतों को खतरों से बचाने में भी सफलता मिलेगी।
डाइवर डिटेंशन सोनार (Diver Detection Sonar - DDS) क्या है?
- डी.डी.एस. गोताखोरों और जलमग्न तैराक वितरण वाहनों (swimmer delivery vehicles) के बारे में पता लगाने के लिये पानी के नीचे कार्यरत सोनार एक ध्वनिक स्थान प्रणाली (acoustic location system) है।
- इस प्रकार की सोनार प्रणाली का उद्देश्य पानी के नीचे मौजूद खतरों (ऐसे खतरों जिनसे जान-माल को खतरा हो सकता है) की पहचान करने के साथ-साथ ट्रैकिंग और वर्गीकरण की जानकारी प्रदान करना है।
- समुद्र के अंदर आतंकवादी हमले का खतरा समुद्री उद्योग और बंदरगाह कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिये एक चिंता का विषय है। अक्सर बंदरगाहों को कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिये, तैराकों द्वारा हमला, नावों द्वारा पानी के भीतर विभिन्न प्रकार के विस्फोटक उपकरणों के वितरण इत्यादि से उत्पन्न होने वाले खतरें।
- वस्तुतः डी.डी.एस. सिस्टम को बंदरगाहों, तटीय सुविधाओं, अपतटीय प्रतिष्ठानों, पाइपलाइनों और जहाजों के लिये पानी के नीचे सुरक्षा प्रदान करने हेतु विकसित किया गया है।
तपेदिक (टीबी) के इलाज के लिये दवा की दैनिक खुराक व्यवस्था लागू
हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आर.एन.टी.सी.पी.) के अन्तर्गत देश भर में तपेदिक रोग पीड़ितों के लिये दवा की दैनिक खुराक व्यवस्था लागू करने की घोषणा की है।
- मंत्रालय द्वारा तपेदिक बीमारी के इलाज के लिये मिश्रित दवाओं की तय खुराक का इस्तेमाल करते हुए सप्ताह में तीन बार के स्थान पर दैनिक खुराक की व्यवस्था की गई है। इस परिवर्तन से तपेदिक बीमारी से लड़ने के दृष्टिकोण में बदलाव आएगा।
- तपेदिक रोधी दैनिक मिश्रित दवा को निजी फार्मेसी और प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डाक्टरों को उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि इन दवाओं की खुराक को उन रोगियों तक पहुँचाया जा सके जो निजी क्षेत्र में इलाज करा रहे हैं।
- स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा टीबी के सभी मरीजों तक मिश्रित दवाओं की तय खुराक को दैनिक रूप से उपलब्ध कराने के लिये सभी बड़े अस्पतालों, आई.एम.ए., आई.ए.पी. तथा पेशेवर चिकित्सा संगठनों तक इसका विस्तार किया जाएगा।
इलाज के तरीके में बदलाव का लाभ क्या होगा?
- इस पद्धति की विशेषता यह है कि इसके अंतर्गत सभी रोगियों को निरंतर चरणों में इथैन ब्यूटॉल की मिश्रित गोलियाँ दी जाएगी। ये दवायें पहले सप्ताह में तीन बार दी जाती थी। मिश्रित दवाओं की तय खुराक से मरीजों को कम गोलियाँ खानी पडेंगी, पहले उन्हें सात अलग-अलग टैबलेट खाने पड़ते थे। बच्चों के लिये घुलनशील टैबलेट होंगे।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट, 2017 में कहा गया है कि टीबी ग्रसित लोगों की संख्या 28.2 लाख से घटकर 27 लाख हो गई है और पिछले एक वर्ष में मृत्यु में 60 हज़ार की कमी आई है।